Jind News: मोहन भागवत ने कहा कि हमें समाज को संगठित करने के लिए अधिक तेजी से कार्य करना होगा. जब संपूर्ण राष्ट्र एकमुष्ठ शक्ति के साथ खड़ा होगा तो दुनिया का सारा अमंगल हरण करके यह देश फिर से विश्व गुरु बनकर खड़ा होगा.
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Jind News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के 12 से 14 जनवरी तक 3 दिवसीय जींद दौरे पर थे. इस दौरान आज उन्होंने विद्यालय में आयोजित मकर संक्रांति कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान मोहन भागवत ने कहा कि हमें समाज को संगठित करने के लिए अधिक तेजी से कार्य करना होगा. जब संपूर्ण राष्ट्र एकमुष्ठ शक्ति के साथ खड़ा होगा तो दुनिया का सारा अमंगल हरण करके यह देश फिर से विश्व गुरु बनकर खड़ा होगा.
डॉ. मोहन भागवत रविवार को अपने प्रवास के तीसरे दिन भिवानी रोड स्थित गोपाल विद्या मंदिर में जींद नगर की शाखाओं के स्वयंसेवकों को संबोधित किया. इस अवसर पर उनके साथ क्षेत्रीय संघचालक सीताराम व्यास सहित कई अन्य लोग भी मौजूद थे. डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि जो विश्व के सामने संकट खड़े हैं, भारत के विश्वगुरु बनने से वह सब शांति, उन्नति को प्राप्त करेंगे. सारी समस्याओं को ठीक करते हुए सब राष्ट्र अपनी-अपनी विशिष्ठता के आधार पर अपना जीवन जीते हुए मानवता के जीवन में, सृष्टि के जीवन में अपना योगदान करते रहें. ऐसा एक आदर्श विश्व खड़ा करने की ताकत हिंदुओं की सगंठित अवस्था में है, उसी के चलते मंदिर बन रहा है.
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राम मंदिर बनने का आनंद है और आनंद करना चाहिए. अभी और बहुत काम करना है, लेकिन साथ में यह भी ध्यान रखेंगे कि जिस तपस्या के आधार पर यह काम हो रहा है वह तपस्या हमें आगे भी जारी रखनी है. जिसके चलते समपूर्ण मार्ग की प्राप्ति होगी. उन्होंने कहा कि समाज में तीन शब्द चलते हैं क्रांति, उतक्रांति, संक्रांति तीनों का अर्थ परिवर्तन है. परंतु, परिवर्तन किस तरीके से आया उसमें अंतर आता है. संक्रांति हमारे यहां आदि काल से प्रचलित है. बड़े-बड़े कार्य सत्य के आधार पर होते हैं.
मोहन भागवत ने कहा कि ये जो दीर्घ तपस्या चली है उसके कारण देश के जीवन में जो परिवर्तन आने ही वाला है उसका प्रारंभ का संकेत श्रीराम मंदिर है. जैसे संक्रांति के बाद अच्छा परिवर्तन आता है. ठंड कम होकर गर्मी बढ़ती है और लोगों की कर्मशीलता बढ़ती ठीक उसी प्रकार देश के जीवन में भी अच्छा परिवर्तन आने वाला है. मोहन भागवत ने कहा कि भारतवर्ष का शील 'वसुधैव कुटुम्बकम' रहा है. दुनिया की ज्यादातर संस्कृति अपने शील के साथ मिट गईं, लेकिन हिंदू हर प्रकार के उतार-चढ़ाव से निकल कर भी जिंदा हैं. इतनी सारी भाषाएं, देवी-देवता, विविध पंथ होने के बाद भी उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम भारतवर्ष का व्यक्ति एक बात को मानता है कि हमें ऐसे जीना है कि हमको देख कर दुनिया जीना सीखे.
वर्षों का सपना होगा पूरा
मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू समाज के मन में था इसलिए गुलामी के प्रतीक ढहाया गया, इसके अलावा अयोध्या में किसी भी मस्जिद को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ. कारसेवकों ने कहीं दंगा नहीं किया, हिंदू का विचार विरोध का नहीं प्रेम का रहता है, इसे संक्रांति कहते हैं.
स्वयंसेवकों से शाखा के माध्यम से पंच परिवर्तन का किया आह्वान
मोहन भागवत ने जींद नगर के स्वयंसेवकों से शाखा के माध्यम से पंच परिवर्तन के विषय स्व का बोध अर्थात स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण, सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन ये पंच परिवर्तन के कार्यों को आम जन तक पहुंचाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि इन पंच परिवर्तन के कार्यों से ही समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है. मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों से शाखाएं बढ़ाने का आह्वान भी किया. इस समय हरियाणा में 800 स्थानों पर 1500 शाखाएं चल रही हैं.
Input- Gulshan