Delhi Elections 2025: ब्रिटिश दौर की शराब कैसे बनी AAP के गले की फांस, क्या सत्ता बचा पाएंगे केजरीवाल?
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Delhi Elections 2025: ब्रिटिश दौर की शराब कैसे बनी AAP के गले की फांस, क्या सत्ता बचा पाएंगे केजरीवाल?

Delhi Assembly Election 2025 : इस बार का चुनाव अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे कठिन साबित हो सकता है. उनके ऊपर लगे आरोपों से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है, लेकिन उनकी सरकार की योजनाओं और मुफ्त सुविधाओं का असर भी बरकरार है. अगर दिल्ली की जनता विपक्ष के आरोपों को नजरअंदाज कर उनकी नीतियों पर विश्वास करती है, तो AAP की वापसी संभव हो सकती है.

Delhi Elections 2025: ब्रिटिश दौर की शराब कैसे बनी AAP के गले की फांस,  क्या सत्ता बचा पाएंगे केजरीवाल?

Alcohol During British Rule: ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेज शराब लेकर भारत आए थे. उस समय शराब का सेवन बढ़ा और यह सामान्य जनता में एक आम आदत बन गई. अंग्रेजों ने शराब को एक व्यापारिक साधन बना दिया, जिससे उन्हें राजस्व मिलता था. अंग्रेजों ने शराब के उत्पादन और वितरण पर कर लगाया और इसे एक प्रमुख व्यावसायिक गतिविधि बना दिया. बता दें कि जिस शराब को राजस्व का साधन बनाया गया था, वही आज भारतीय राजनीति में सत्ताओं को बनाने और गिराने का औजार बन गई है. चुनावी सभाओं में विकास की जगह अब भ्रष्टाचार के आरोपों की गूंज है. सवाल यह है क्या जनता विकास को चुनेगी या घोटाले का असर सत्ता पलट देगा. दिल्ली में 2025 का विधानसभा चुनाव सिर्फ विकास या मुफ्त सुविधाओं का नहीं, बल्कि शराब नीति घोटाले का चुनाव बन चुका था. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) जहां इसे केंद्र सरकार की साजिश बता रही थी, वहीं बीजेपी इसे भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण बनाकर जनता के बीच ले जा रही थी.

शराब घोटाले से उपजी सियासी लड़ाई
जानकारों के अनुसार दिल्ली की राजनीति में 2025 का विधानसभा चुनाव एक नया मोड़ लेकर आया है. इस बार मुद्दे वही हैं शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और भ्रष्टाचार. लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियों में है शराब नीति घोटाला. विपक्ष इसे केजरीवाल सरकार के पतन की शुरुआत बता रहा है, जबकि AAP इसे केंद्र सरकार की 'राजनीतिक साजिश' करार दे रही है. सवाल यह है कि क्या यह घोटाला आम आदमी पार्टी की सत्ता वापसी की राह में सबसे बड़ी बाधा बनेगा या फिर केजरीवाल इस चुनाव को एक भावनात्मक लड़ाई में बदलकर जनता की सहानुभूति हासिल करेंगे. 2022 में जब दिल्ली सरकार की नई शराब नीति लागू हुई, तब इसे एक साहसिक कदम बताया गया था. सरकार का दावा था कि यह नीति भ्रष्टाचार को खत्म करेगी और शराब के व्यापार को व्यवस्थित करेगी. लेकिन कुछ ही महीनों में घोटाले के आरोप लगने लगे. केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच में कथित अनियमितताएं सामने आईं, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने नीति को वापस ले लिया. अब 2025 में विपक्ष ने इस घोटाले को अपना सबसे बड़ा चुनावी हथियार बना लिया है. बीजेपी और कांग्रेस लगातार जनता को यह याद दिला रही हैं कि कैसे केजरीवाल सरकार ने कथित रूप से शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाया और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया. बीजेपी का नारा है. 'शराब नीति घोटाला नहीं, केजरीवाल का असली चेहरा'.

केजरीवाल का बचाव और रणनीति
आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर बचाव की नई रणनीति अपनाई है. उन्होंने इसे केंद्र सरकार की 'राजनीतिक साजिश' बताया है और कहा है कि अगर हमने भ्रष्टाचार किया होता तो जनता हमें तीन बार सत्ता में क्यों लाती. केजरीवाल और उनके सहयोगी इस चुनाव को मोदी सरकार बनाम दिल्ली सरकार की लड़ाई के रूप में पेश कर रहे हैं. AAP की रणनीति अब जनता को यह भरोसा दिलाने की है कि अगर विपक्ष सत्ता में आया, तो बिजली-पानी मुफ्त नहीं रहेगा. मोहल्ला क्लीनिक बंद हो जाएंगे और शिक्षा व्यवस्था फिर से बिगड़ जाएगी. पार्टी इसे 'दिल्ली का मॉडल बनाम केंद्र की साजिश' के रूप में प्रचारित कर रही है.

क्या AAP फिर से सत्ता में आएगी?
2025 का चुनाव AAP के लिए अब तक का सबसे कठिन चुनाव साबित हो सकता है. अगर विपक्ष इस घोटाले को जनता के बीच एक भ्रष्टाचार के मुद्दे के रूप में बनाए रखने में सफल रहा, तो सत्ता परिवर्तन हो सकता है, लेकिन अगर केजरीवाल इसे एक भावनात्मक मुद्दा बना पाते हैं और दिल्ली की जनता को यह भरोसा दिलाने में सफल होते हैं कि यह उनके खिलाफ एक 'राजनीतिक षड्यंत्र' है, तो AAP की वापसी भी संभव है. यह चुनाव सिर्फ एक पार्टी की हार या जीत का नहीं, बल्कि इस बात का फैसला करेगा कि दिल्ली की जनता भ्रष्टाचार के आरोपों को या विकास के वादों को महत्व देती है.

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