Earthquake Clinic: बिहार के हर जिले में खुलेगा भूकंप क्लिनिक, जानें इस पहल से कैसे मिलेगी मदद
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Earthquake Clinic: बिहार के हर जिले में खुलेगा भूकंप क्लिनिक, जानें इस पहल से कैसे मिलेगी मदद

Bihar Earthquake Clinic: बिहार में भूकंप जागरूकता के लिए हर जिले में क्लिनिक खुलेंगे. पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर में क्लिनिक बनकर तैयार हो चुके हैं.

Earthquake Clinic: बिहार के हर जिले में खुलेगा भूकंप क्लिनिक, जानें इस पहल से कैसे मिलेगी मदद

Bihar Earthquake Clinic: बिहार सरकार भूकंप को लेकर जागररूक है. आम लोगो को भूकंप रोधी मकान बनाने के लिए हर जिला में भूकंप जागरुक्ता क्लिनिक खोला जा रहा है. इसकी शुरुआत हो चुकी है. पटना,मुजफ्फरपुर,भागलपुर में भूकंप जागररूकता क्लिनिक बनाए जा चुके है.तो और स्थानों पर यह बनाया जा रहा है. जल्द ही सूबे के विभिन्न जिलाों मे जागरुकता क्लिनिक बनाया जा येगा.

बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तकनीकी सलाहकार डाक्टर बीके सहाय ने बताया है कि बिहार भूकंप के पांचवे जोने में आता है.लिहाजा,बिहार सरकारलोगो को भूकंप रोधी मकान बनाने की सलाह देता है..डाक्टर सहाय ने बताया है कि बिहार के आठ जिला है,जो नेपाल से लगे है.वह भूकंपर प्रणव क्षेत्र मे आतें है.

मधुबनी, सुपौल, सहरसा, अररिया, सीतामढ़ी, दरभंगा, किशनगंज जिला है जो अति संवेदनशील क्षेत्र है. डाक्टर सहाय ने कहा है कि बांस और पक्के मकान के क्लिनिक बनाकर लोगो को जागररूक किया जा रहा है. इस क्लिनिक में जानकार लोग रहते है. जानकार लोगो द्वारा आम लोगो को भूकंप रोधी मकान बनाने की सलाह दी जाती है.

तकनीकि सलाहकार डाक्टर बीके सहाय ने बताया कि भूकंपरोधी मकान बनाने में ज्यादा खर्च नहीं आते पांच से दस फीसदी की अधिक लागत से भूकंपरोधी मकान बनाए जाते है. उन्होंने कहा है कि हर सौ साल बाद भूकंप लौटता है. इसी के परिपेक्ष में बिहार सरकार काम कर रहा है. 1934 में बिहार में काफी तेज भूकंप के झटके आए थे. आपदा प्रबंधन प्राधीकरण के सदस्य एस एन आर्या ने भी कहा है कि बिहार में यदि रात में भूकंप के झटके आते है तो लाखो लोगो की मौत हो सकती है. हालांकि,दिन में यह झटके आने पर मौत की संख्या कम होगी.

डाक्टर बीके सहाय बताया है कि भूकंप क्लिनिक कोई राकेट साइंस नहीं है. इसमें लोगो को यह बताया जाता है. कि आप मकान बना रहें है तो गिट्टी के आकार,सिमेंट की मात्रा,सरिया की क्वालिटी आदी विशेष ध्यान देना होता है. उन्होने कहा है मकान के मैटेरियल मे.न तो अधिक और न ही कम इस्तेमाल किया जाता है.ईट को कम से कम छह घंटे तक पानी में भीगोना होता है. इससे कम भीगोने पर इट में मजबूती नहीं आ पाती है.डाक्टर सहाय ने बताया है कि बिहार में दो तरह के मकान बनते है. एक वैसे मकान जहां पर इंजीनियर आदि की सलाह से स्क्रच्रर फ्रेम होता है तो दूसरी तरह ईट और सीमेंट से सामान्य मकान.राजमिस्त्री मकान मालिकों के आगे झुक जाते है और क्वालिटी से समझौता कर लेते है.

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