IAS Abhishek Singh: विकलांग कोटे से भर्ती और सनी लियोनी के साथ बोल्ड डांस; कौन हैं पूर्व IAS अभिषेक सिंह, जिन पर मचा बवाल
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IAS Abhishek Singh: विकलांग कोटे से भर्ती और सनी लियोनी के साथ बोल्ड डांस; कौन हैं पूर्व IAS अभिषेक सिंह, जिन पर मचा बवाल

Former IAS Abhishek Singh Kaali movie: यूपी के पूर्व आईएएस अभिषेक सिंह ने विकलांग कोटे से नौकरी हासिल की थी. अब वे सनी लियोनी के साथ एक फिल्म में बोल्ड डांस करते पाए गए हैं. इसके बाद से हंगामा मचा हुआ है. 

 

IAS Abhishek Singh: विकलांग कोटे से भर्ती और सनी लियोनी के साथ बोल्ड डांस; कौन हैं पूर्व IAS अभिषेक सिंह, जिन पर मचा बवाल

Former IAS Abhishek Singh is in controversy: न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम न इधर के हुए न उधर के हुए. आपने मुशायरों में यह शेर तो कई बार सुना होगा. यूपी के पूर्व आईएएस अभिषेक सिंह पर यह कहावत सटीक बैठती है. आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देने के बाद एक्टिंग की दुनिया में आए लेकिन वहां पर अब तक बड़ी कामयाबी नहीं मिली है. अब वे फिर से आईएएस की सेवा में वापसी के लिए जोर मार रहे हैं. अब वही अभिषेक सिंह नए विवाद में फंस गए हैं. 

सनी लियोनी के साथ बोल्ड डांस

हुआ यूं कि IAS अफसर रहे अभिषेक सिंह अपनी नई बॉलीवुड मूवी काली में सनी लियोनी के साथ जबरदस्त बोल्ड डांस किया है. उनके इस डांस को देखकर लोग हैरान हैं. इसकी वजह ये है कि अभिषेक सिंह दिव्यांग कोटे से IAS अफसर बने थे. उन्हें यह नियुक्ति लोकोमोटिव डिसॉर्डर (LD) श्रेणी में मिली थी. इस श्रेणी का मतलब होता है कि विक्लांगता की ऐसी स्थिति, जिसमें व्यक्ति की चलने या हिलने की क्षमता प्रभावित हो जाती है. यह बीमारी किसी चोट, बीमारी या आनुवंशिक विकारों से हो सकती है. 

अब लोग इसी वीडियो को आधार बनाकर अभिषेक सिंह से जवाब मांग रहे हैं. सोशल मीडिया पर इस तरह के कमेंट्स की भरमार है. लोग उनसे सवाल पूछ रहे हैं कि आप LD श्रेणी में विक्लांग कोटे से आईएएस बने थे. लेकिन सनी लियोनी के साथ डांस देखने पर तो आपमें कोई विक्लांगता नहीं दिख रही. आखिर आपने यह कैसा जादू कर दिया. यह राज तो सामने लाया जाना चाहिए, जिससे डॉक्टर भी उसी विधि से दूसरे मरीजों का इलाज कर सकें. 

पूर्व आईएएस ने सोशल मीडिया पर दी सफाई

सोशल मीडिया पर लोगों को तानों और सवालों से परेशान होकर पूर्व IAS अभिषेक सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अपनी सफाई में लंबी चौड़ी पोस्ट लिखी. इसमें उन्होंने जातिवाद के खिलाफ और आरक्षण के फेवर में बातें की. साथ ही खुद के करियर और परिवार के बारे में बताते हुए खुद को बहादुर बताया. लेकिन मजे की बात ये है कि विक्लांग कोटे से आईएएस बनने के बाद वे ठीक कैसे हो गए, इस सवाल पर वे चुप्पी साध गए. चलिए, अब आपको बताते हैं कि अभिषेक सिंह ने ट्विटर पर अपनी सफाई में क्या लिखा है.

अभिषेक सिंह ने एक्स पर लिखा, वैसे तो मुझे किसी आलोचना से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, पर ये मेरे जीवन काल में पहली बार है जब मैं अपने आलोचकों को जवाब दे रहा हूँ. और वो इसलिए क्योंकि मेरे हज़ारो समर्थक मुझसे कह रहे हैं कि आप जवाब दें नहीं तो हमारा मनोबल टूट जाएगा.अतः ये मेरा नैतिक कर्तव्य है कि मैं सच्चाई सामने रखूँ जिससे उनका भरोसा ना टूटे. तो ये जवाब मेरे समर्थकों को समर्पित है ना कि आलोचकों को. 

जबसे मैंने आरक्षण के पक्ष में आवाज़ उठाना शुरू किया है, आरक्षण विरोधियों की पूरी सेना ने सब काम छोड़कर मुझपे मोर्चा खोल दिया है. उनको यह बात हज़म नहीं हो रही कि एक जनरल कैटेगरी का लड़का आरक्षण के पक्ष में कैसे बोल रहा है? 

पहले तो आपने मेरी कास्ट पर ही सवाल उठाया और कहा कि मैं झूठा सिंह हूँ, फिर आपने कहा कि मैं अपनी नौकरी वापिस माँग रहा हूँ, और अब कह रहे हैं कि मैंने नौकरी आरक्षण से ली है. 

'अपने दम पर हासिल की नौकरी, आरक्षण से नहीं'

मैं आपसे बड़ी विनम्रता पूर्वक एक बात कहना चाहता हूँ. अभिषेक सिंह अपने पुरुषार्थ, कर्मठता और साहस के लिए जाना जाता है. किसी की कृपा के लिए नहीं. मैंने अपने जीवन में जो कुछ हासिल किया है अपने दम पर हासिल किया है, किसी आरक्षण के दम पर नहीं.

देश की सर्वोच्च सेवा में सेलेक्शन लेना, उसमें निर्भीक निडर बिना किसी का दबाव माने ईमानदारी से कार्य करना, और अपनी मर्ज़ी से उसे छोड़ दोबारा शून्य से शुरुआत करना. जब भविष्य अंधकार में छुपा हो तब भी उसमें सूरज ढँढने का हौसला लिए, आँखों में अनगिनत सपने लिए, अपने दम पर आगे बढ़ जाना, साहब इसके लिए चट्टान का कलेजा चाहिए. 

आपने ये कहा कि मेरे पिताजी IPS अधिकारी थे इसलिए मुझे फ़ायदा मिला. आपको बता दूँ, मेरे पिताजी एक बहुत ग़रीब परिवेश से निकलकर PPS अधिकारी बने, IPS में प्रमोट हुए थे. उनकी 3 सन्तानें हैं, यानी मेरी एक छोटी बहन और एक छोटा भाई. उन्होंने भी UPSC की तैयारी करी पर सेलेक्शन नहीं हो सका, इसके अलावा मेरे 7 और कजिंस ने प्रयास किया, कई कर भी रहे हैं, अभी तक किसी का भी सेलेक्शन नहीं हो सका है. अपने पूरे खानदान में मैं इकलौता IAS में चयनित हुआ. 

'UPSC में कोई डोमिसाइल certificate नहीं लगता'

आपको ये भी बता दूँ कि UPSC में कोई डोमिसाइल certificate नहीं लगता. जिसने भी UPSC दिया है उसको पता होगा. तो ये फ़र्ज़ी प्रॉपगैंडा बंद करें. जिसको जो भी पूछना है मैं जवाब देने के लिए तैयार हूँ.

मुझे जो ठीक लगता है मैं करता हूँ, और आगे भी करता रहूँगा. कला और समाज सेवा मेरी रुचि है और मैं इसमें लगातार प्रयासरत हूँ. हाँ मैं ये मानता हूँ कि दोनों ही फील्ड में मैं ज़्यादा कुछ नहीं कर पाया हूँ, पर मैं हारा नहीं हूँ. रोज़ सुबह उठकर मैं पूरी निष्ठा से मेहनत करता हूँ, और तब तक करता रहूँगा जब तक सफल नहीं हो जाता.  मैं कभी मैदान छोड़कर नहीं भागूँगा. 

हाँ, ये भी सुन लें, मैंने जितने भी सामाजिक कार्य किए हैं चाहे वे अपने United by Blood के तहत COVID-19 से ग्रसित लोगों को वैक्सीन लगवाना व ऑक्सीजन सिलिंडर पहुँचाना या No-Shame Movement के माध्यम से लड़कियों को निःशुल्क लीगल सहायता दिलवा कर उनका आत्मबल बढ़ाना, या फिर “राष्ट्रीय युवा शक्ति” द्वारा फ्री UPSC कोचिंग, ये सब अपनी निजी क्षमता से किया हैं. नौकरी से इतर. सिस्टम का सहारा लिए बिना!

'जीवन में जो भी ठाना है, वो पाया' 

मैंने अब तक के जीवन में जो भी ठाना है, वो पाया है अपनी मेहनत और लगन से. तो अब जब बात छेड़ ही दी है, तो एक और संकल्प ले रहा हूँ. इस देश में सरकार के संसाधन जहाँ जहाँ भी खर्च होंगे, न्यायसंगत तरीक़े से ही होने चाहिए. सरकार की नौकरियाँ में आरक्षण जनसंख्या के अनुरूप होना चाहिए. अब मैं आंदोलन शुरू करूँगा और इस 50% की सीलिंग को हटाकर जनसंख्या के अनुरूप आरक्षण की माँग रखूँगा और उसको संवैधानिक तौर पर पूरा कराऊँगा. 

और जिन आरक्षण विरोधियों को इससे तकलीफ़ है, और वो अपनी प्रतिभा का दंभ भरते हैं, उनसे मैं कहूँगा कि यदि इतनी ही प्रतिभा है, तो सरकारी नौकरियों में सेंध लगाना बंद करो और खुले मैदान में आओ और बिज़नेस करो, उद्योगपति बनो, खिलाड़ी बनो, एक्टर बनो. वहाँ तो आपकी सीट कोई नहीं माँग रहा. वहाँ कोई रिज़र्वेशन नहीं. खुला मैदान है, आसमान पुकार रहा है, चलो मेरे साथ. जब मैं चल सकता हूँ तो आप क्यूँ नहीं. 

'जात-पात के एकदम ख़िलाफ़'

हालाँकि मैं जात-पात के एकदम ख़िलाफ़ हूँ, और मैं चाहता हूँ कि ये व्यवस्था ख़त्म हो, इसके लिए हमारी “राष्ट्रीय युवा शक्ति” इंटरकास्ट शादी करने वालों को धन भी देती है, लेकिन जब तक समाज इसको मानता है तब तक आरक्षण जनसंख्या के आधार पर रहना चाहिए. 

भविष्य में मुझपर आक्षेप लगाने से पहले दो बार सोच लेना, मैं कोई छुई मुई नहीं हूँ जो डर के बैठ जाऊँगा. अपनी प्रतिभा, अपने आत्मविश्वास और अपने साहस के दम पर चलता हूँ, किसी के बाप के दम पर नहीं.

लोगों की प्रतिक्रिया

पूर्व कलेक्टर की यह सफाई लोगों को पसंद नहीं आई है. ऐसे ही एक इंटरनेट यूजर रोशन राय ने लिखा, भाई दुनिया भर की कहानी लिख दी बस ये नही बताया की कैसे LD जिसके वजह से आपने दिव्यांग कोटा लगाया और IAS बने वो होते हुए भी जिम में वजन उठा रहे हो? थोड़ा ज्ञान साझा कर दो, डॉक्टर भी अध्यन करके दुसरे मरीजों की मदद कर देंगे. 

एक अन्य यूजर ने लिखा, सवाल आपके LD पर है, जिसके चलते आपने कोटा लिया और आईएएस बने. आप सवाल पढ़े बिना ही ‘मेरा जीवन एक संघर्ष’ विषय पर आलेख पेल दे रहे हैं. सवाल फिर से समझिए- ‘आपको दिव्यांग कोटा कैसे मिला? क्या किस क़िस्म के लोकोमोटिव डिसऑर्डर का शिकार हैं? विस्तार से समझाइए.’

विकलांग कोटे पर फंसे हुए अभिषेक सिंह

कुल मिलाकर बात ये है कि अभिषेक सिंह विक्लांग कोटे में भर्ती पर फंस गए हैं. अब भविष्य में यह मुद्दा किस मोड़ लेगा, यह देखने लायक बात होगी. लेकिन फिलहाल उनकी परेशानी बढ़ना तय है. अभिषेक सिंह यूपी में जौनपुर के रहने वाले हैं. उनकी पत्नी दुर्गा शक्ति नागपाल भी यूपी में ही आईएएस अधिकारी हैं. अभिषेक सिंह 2011 में आईएएस अधिकारी बने थे. गुजरात चुनावों के दौरान पर्यवेक्षक के रूप में भेजे जाने पर उन्होंने मॉडल स्टाइल में फोटो खिंचवाई थी, जिसके आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए चुनाव आयोग ने सस्पेंड कर दिया था. इसके बाद उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और एक्टिंग की दुनिया में कूद गए थे. हालांकि वहां पर भी वे कोई पहचान नहीं बना पाए हैं. 

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