DNA: मुसलमान खुद बोले- हमारा कोई दावा नहीं, ये मंदिर है; फिर क्यों बीजामंडल को मस्जिद बता रहा ASI
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DNA: मुसलमान खुद बोले- हमारा कोई दावा नहीं, ये मंदिर है; फिर क्यों बीजामंडल को मस्जिद बता रहा ASI

Beejamandal Temple:  मध्य प्रदेश के विदिशा में ASI की समझ पर सवाल उठ रहे हैं. मध्य प्रदेश के विदिशा में मंदिर और मस्जिद का एक अनोखा विवाद सामने आया है, जो हिंदू वर्सेज मुसलमान नहीं है बल्कि हिंदू वर्सेज ASI है.

DNA: मुसलमान खुद बोले- हमारा कोई दावा नहीं, ये मंदिर है; फिर क्यों बीजामंडल को मस्जिद बता रहा ASI

Beejamandal Temple or Mosque: देश में जब कभी भी और कहीं भी कोई मंदिर-मस्जिद विवाद होता है तो इस विवाद को सुलझाने के लिए अदालतें सबसे पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI की मदद मांगती हैं. ASI सर्वे करता है और सर्वे रिपोर्ट में मंदिर या मस्जिद होने के तथ्य देता है. प्रमाण बताता है. राम जन्मभूमि विवाद हो या ज्ञानवापी परिसर विवाद, अदालत ने ASI की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर फैसला सुनाया है.

लेकिन मध्य प्रदेश के विदिशा में ASI की समझ पर सवाल उठ रहे हैं. मध्य प्रदेश के विदिशा में मंदिर और मस्जिद का एक अनोखा विवाद सामने आया है, जो हिंदू वर्सेज मुसलमान नहीं है बल्कि हिंदू वर्सेज ASI है.

बीजामंडल कैंपस में है मंदिर

दरअसल विदिशा में बीजामंडल नाम का एक कैंपस है, जिस पर प्रशासन का ताला लगा हुआ है. इस कैंपस में एक मंदिर है, जिसमें नागपंचमी के मौके पर हिंदू धर्म के लोग पूजा अर्चना करते हैं. हिंदू इसे प्राचीन सूर्य मंदिर बताते हैं. लेकिन इस बार हिंदू संगठनों ने प्रशासन से पूजा की अनुमति मांगी तो ASI ने मना कर दिया और लेटर जारी करके बताया ये सूर्य मंदिर नहीं बीजामंडल मस्जिद है.

कैंपस में जो स्ट्रक्चर है, उसे देखकर सिर्फ वही इसे मंदिर नहीं कहेगा, जो दृष्टिबाधित हो क्योंकि ये पूरा स्ट्रक्चर दीवारें, खंभे, छत और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां देखने के बाद तो कोई नहीं कह सकता कि ये मंदिर नहीं मस्जिद है.

एएसआई बोली- ये मंदिर नहीं मस्जिद है

लेकिन अब कमाल की बात देखिये हिंदू कह रहे हैं कि ये सूर्यमंदिर है. लेकिन ASI कह रही है कि ये बीजापुर मस्जिद है. कलेक्टर कह रहे हैं कि यहां पूजा नहीं हो सकती. लेकिन मुसलमान कह रहे हैं कि हमारा कोई दावा ही नहीं है.

है ना अनोखा केस. मतलब खुद मुसलमान कह रहे हैं कि मस्जिद नहीं है मंदिर है.लेकिन फिर भी ASI कह रही है कि नहीं, ये मंदिर नहीं है मस्जिद है. इसलिए कलेक्टर दफ्तर से आदेश आया कि हिंदू इस मंदिर में पूजा नहीं कर सकते और अगर किसी ने पूजा की तो उसपर जुर्माना लगाया जाएगा. जेल भी हो सकती है.

Zee News को जब इस अनोखे मंदिर-मस्जिद विवाद की स्टोरी पता चली तो संवाददाता प्रमोद शर्मा वहां पहुंच गए और उन्होंने जो वहां देखा, उससे ASI पर सवाल उठ रहे हैं. 

ये वीडियो देखें

ये रिपोर्ट देखी आपने. क्या आपको कहीं से भी किसी भी एंगल से विदिशा का प्राचीन मंदिर एक मस्जिद लगता है ? तो सवाल ये है कि आखिर ASI को यहां ऐसा क्या दिखा कि इस प्राचीन सूर्य मंदिर को मस्जिद ही घोषित कर दिया.

और मजे की बात देखिये. हर साल नागपंचमी के दिन यहां मेला लगता है. हिंदुओं को हर साल नागपंचमी पर मंदिर के अंदर जाकर पूजा-अर्चना करने की इजाजत मिलती है. लेकिन इस बार ASI को अचानक से याद आया कि ये तो मस्जिद है. मुसलमान भी कह रहे हैं कि भई ये मस्जिद नहीं है, मंदिर है. लेकिन ASI ये ठानकर बैठ गया है कि इसे मस्जिद ही मानेगा. लेकिन हिंदू संगठनों ने ASI की बात नहीं मानी और मंदिर परिसर में बैठकर प्रदर्शन करने लग गए.

इतिहासकारों ने भी उठाए सवाल

ASI के इस दृष्टिदोष पर इतिहासकार भी सवाल उठा रहे हैं. इतिहासकार तो ये भी कह रहे हैं कि विदिशा के इसी विजय सूर्य मंदिर की तर्ज पर ही नई संसद बनी है. प्राचीन विजय सूर्य मंदिर के गेट पर जो दो विशाल स्तंभ हैं वो संसद के प्रवेश द्वार से मेल खाते हैं. विजय सूर्य मंदिर का एरियल व्यू देखें तो नए संसद भवन से काफी मेल खाता है. दोनों की ही आकृति त्रिभुजाकार है, यहां तक कि संसद भवन और मंदिर की ऊंचाई भी लगभग समान है.

तो क्या ASI अब ये कहेगा कि नई संसद का डिजाइन, किसी मस्जिद से प्रेरित है. नई संसद...बीजापुर मस्जिद की तरह बनी है.

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