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International Labour Day 2022: हर साल 1 मई को पूरी दुनिया में मजदूर दिवस के नाम से मनाया जाता है. इस दिन को लेबर डे, श्रमिक दिवस, मई डे आदि नामों से भी जाना जाता है. मजदूर दिवस मनाने का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया में मजदूरों के संघर्ष और बलिदानों को याद कर सकें. एक मई, 1886 को अमेरिका में आंदोलन शुरु हुआ जिसके बाद तय हुआ कि हर मजदूर से दिन के केवल 8 घंटे ही काम लिया जाए. तो आइए जानते हैं कि काम के घंटों के हिसाब से आप दुनिया भर के अपने साथियों के कितने पास या कितने दूर हैं ?
करीब 103 साल पहले अंतरार्ष्ट्रीय श्रम मानक (1919) का कन्वेंशन नंबर 1 के अनुसार दुनिया में किसी भी व्याक्ति को 48 घंटे ही काम करना चाहिए. मगर आज भी दुनिया का एक तिहाई वर्कफोर्स अभी भी अभी प्रति सप्ताह 48 घंटे से ज्यादा काम करती है. दुनिया के विकसित देशों में काम करने के घंटे कम हुए हैं लेकिन अभी भी दुनिया का एक बड़ा हिस्से को अपना बहुत समय रोजी रोटी कमाने में देना पड़ता है.
अगर इसी आकंड़े को दुनिया में क्षेत्रवार बांट दे तो पूर्वी युरोप अव्वल नंबर है. यहां पर महज 5 प्रतिशत वर्कफोर्स 48 घंटे से ज्यादा काम करती है. वहीं भारत और पडोसी देशों वाला दक्षिणी एशिया क्षेत्र इस पैमाने पर सबसे कमजोर हैं. यहां की करीब 55 प्रतिशत आबादी 48 घंटों से ज्यादा काम करती है.
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अंतर्राष्ट्रीय मजदूर संगठन (ILO) के रिसर्च के अनुसार हफ्ते में 48 घटें से ज्यादा काम करने के मानक पर विकसित और विकासशील देशों के बीच दोगुने से ज्यादा अंतर हैं. जहां विकसित देशों में महज 15.3 प्रतिशत से ज्यादा आबादी ही हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम करती है. वहीं विकासशील देशों के करीब 40.5% आबादी को ज्यादा काम करना पड़ता है.
देश | रेफरेंस साल | सप्ताह में रोजगार प्राप्त व्याक्ति के काम के घंटे |
गैम्बिया | 2018 | 49.84 |
कतर | 2019 | 48 |
भारत | 2019 | 47.86 |
जार्डन | 2019 | 47.47 |
मंगोलिया | 2020 | 46.81 |
अगर BRICS देशों की बात करें तो भारत के सभी साथी देश इस मानक पर भारत से बेहतर हैं. जहां ब्राजील और रुस में क्रमश 35 और 38 घंटे ही काम करते हैं. वहीं चीन (46.61) और दक्षिणी अफ्रीका (46.81) भी भारत (47.86) से बेहतर स्थिति में है.
जैसा कि हमने ILO के रिसर्च में जाना था कि विकसित देशों और विकासशील देशों के बीच काम के घंटो का अंतर बहुत ज्यादा है. ऐसे में नीदरलैंड, कनाडा, न्यूजीलैंड , अमेरिका, यूके, फ्रांस, इटली आदि देशों में हफ्ते में काम के घंटे 35 से कम हैं. यानी विकसित देशों के पास भारतीयों से करीब 10 घंटे ज्यादा मिलते हैं.
देश | रेफरेंस साल | सप्ताह में रोजगार प्राप्त व्याक्ति के काम के घंटे |
नीदरलैंड | 2020 | 31.74 |
कनाडा | 2019 | 32.1 |
न्यूजीलैंड | 2019 | 33 |
यूएसए | 2020 | 35.85 |
यूके | 2019 | 35.85 |
फ्रांस | 2020 | 35,88 |
इटली | 2020 | 35.82 |
फिनलैंड | 2020 | 35.78 |
बेल्जियम | 2020 | 35.71 |
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