Pragyan Rover Research: प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) ने चांद पर अपना काम पूरा कर लिया है और अब स्लीपिंग मोड में चला गया है. आइए जानते हैं कि स्लीपिंग मोड में जाने से पहले रोवर ने क्या-क्या हासिल किया?
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Pragyan Rover Sleep Mode: जब इंसान मेहनत के बाद अपने लक्ष्य को हासिल कर लेता है तो उसे आराम की जरूरत होती है. ऐसा ही कुछ हमारे प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) ने किया. रोवर ने अपने मुकाम और काम को पूरा कर लिया है और अब ये सुरक्षित रूप से पार्क होकर स्लीप मोड में चला गया है. 22 सितंबर को रोवर की नींद फिर टूटेगी और वो अपना काम शुरू करेगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रोवर ने स्लीपिंग मोड में जाने से पहले चांद पर कई बड़े मुकाम हासिल किए. रोवर ने बहुत सारी अहम जानकारी इसरो (ISRO) को भेजी. आइए रोवर की इस उपलब्धि के बारे में जानते हैं.
स्लीपिंग मोड पर गया रोवर
बता दें कि जिस काम के लिए विक्रम को चांद पर उतारा गया था उस काम को उसने पूरा कर लिया है और अब उसी चांद की गोद में बड़े आराम से सो रहा है. इस बात की जानकारी खुद इसरो ने दी. ISRO ने माइक्रो ब्लोगिंग साइट एक्स पर लिखा कि प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है. इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क कर स्लीप मोड में सेट किया गया है. APXS और LIBS अब बंद हैं. इन पेलोड से डेटा लैंडर के जरिए पृथ्वी तक पहुंचा दिया गया है. अभी बैटरी भी पूरी तरह चार्ज है. रोवर को ऐसी दिशा में रखा गया है कि 22 सितंबर 2023 को जब चांद पर अगला सूर्योदय होगा तो सूर्य का प्रकाश सौर पैनलों पर पड़े. इसके रिसीवर को भी चालू रखा गया है. उम्मीद की जा रही है कि 22 सितंबर को ये फिर से काम करना शुरू करेगा.
रोवर ने चांद पर क्या-क्या किया?
स्लीपिंग मोड पर जाने से पहले हमारे चंद्रयान-3 ने कई अहम और खास जानकारियां भेजी हैं. जिसमें चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे पेलोड ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ा पहला ऑब्जर्वेशन भेजा था. इसके बाद प्रज्ञान रोवर ने 4 मीटर का गड्ढा देखकर रास्ता भी बदला और एक अहम जानकारी भेजी. जिसमें रोवर ने चांद पर सल्फर होने की पुष्टि की. जिसमें उम्मीद के मुताबिक, एल्युमीनियम, कैल्शियम, लौह, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन होने का अनुमान है जिस पर अभी और डिटेल्स आनी बाकी है. इसके बाद रोवर ने निरंतर आगे बढ़ते हुए चंद्रमा की सतह पर भूकंप भी रिकॉर्ड किया.
100 मीटर का तय किया सफर
प्रज्ञान रोवर के स्लीपिंग मोड पर जाने से पहले तक 23 अगस्त के बाद से प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर शान से मून वॉक कर रहा था और साक्ष्य जुटा रहा था. रोवर करीब 100 मीटर तक चांद की सतह पर सफर कर चुका था. इस बात की जानकारी खुद इसरो ने दी.
उम्मीद है कि 22 सितंबर को जब प्रज्ञान रोवर एक बार फिर जागेगा तब अपनी नॉटआउट शतकीय पारी को आगे बढ़ाते हुए कई और अहम जानकारियां भेजेगा. लेकिन इन सब के बीच हमारा रोवर ऐसे टाइम पर स्लीपिंग मोड पर गया जब हिंदुस्तान ने अपने पहले सूर्य मिशन को ऑन किया यानी चंद्र विजय के बाद अब भारत सूर्य के अध्ययन का नया अध्याय लिख रहा है.