Demands of Ladakh: सोनम वांगचुक समेत कई लोग दिल्ली में 5 अक्टूबर को लद्दाख भवन के बाहर अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठ गए थे. इसके बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के जॉइंट सेक्रेटरी प्रशांत लोखंडे ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात कर उनसे 15 दिन का उपवास खत्म करने को कहा और गृह मंत्रालय की ओर से लेटर दिया था.
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Ladakh Special Status: आखिरकार लद्दाख के लोगों के लिए वो दिन आ ही गया, जिसका उनको लंबे वक्त से इंतजार था. 3 दिसंबर को लद्दाख के नेता केंद्रीय गृह मंत्रालय की हाई पावर कमेटी से मिलकर राज्य से जुड़े लंबित मुद्दों पर वार्ता करेंगे. लद्दाख के राज्य का दर्जा बहाल करना, युवाओं को रोजगार और संरक्षण समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर कुछ महीने पहले क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने दिल्ली तक पैदल यात्रा और फिर अनिश्चितकालीन उपवास किया था. गृह मंत्रालय ने उनको 21 अक्टूबर को आश्वासन दिया था कि लद्दाख की मांगों पर बातचीत 3 दिसंबर को की जाएगी.
सोनम वांगचुक समेत कई लोग दिल्ली में 5 अक्टूबर को लद्दाख भवन के बाहर अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठ गए थे. इसके बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के जॉइंट सेक्रेटरी प्रशांत लोखंडे ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात कर उनसे 15 दिन का उपवास खत्म करने को कहा और गृह मंत्रालय की ओर से लेटर दिया था.
इस खत में कहा गया था कि मंत्रालय की एक हाई पावर कमेटी लद्दाख के प्रतिनिधियों से बातचीत करेगी.
3rd DECEMBER IS THE DAY
we have all been waiting for...
Talks between Ladakh's leaders and #HomeMinistry to resolve the long-standing issues.
Please post messages/ short videos wishing for the success.
Please use hashtag #SaveLadakh#SaveHimalayas #SaveGlaciers #6thSchedule… pic.twitter.com/BjkH3If8Ri
— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) December 1, 2024
क्या थीं वांगचुक की मांगें?
साल 2019 के बाद से ही लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने के अलावा राज्य का दर्जा देने की डिमांड की जा रही है. छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग सबसे बड़ी है. ये इसलिए की जा रही है ताकि लद्दाख को संवैधानिक संरक्षण मिल सके. साथ ही पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए. इसके पीछे यह तथ्य दिया जा रहा है कि आर्टिकल 370 की वजह से लद्दाख को संवैधानिक सुरक्षा हासिल थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है.
संविधान की छठी अनुसूची में आर्टिकल 244 (2) और आर्टिकल 275 (1) के तहत खास प्रावधान किए गए हैं. इसकी वजह से मिजोरम, असम, त्रिपुरा और मेघालय में जनजाति क्षेत्रों का राज चलता है.
छठी अनुसूची के ही जनजातीय इलाकों में स्वायत्त जिले बनाए जा सकते हैं. जिला परिषदों के गठन किया जा सकता है. ये स्वायत्त जिला परिषद टैक्स लगाने, लैंड रेवेन्यू जमा करने, बिजनेस को रेग्युलेट करने, खनिजों के खनन के लिए लाइसेंस जारी करने के साथ-साथ सड़कें, बाजार और स्कूल भी बनवाते हैं.
इसके अलावा लद्दाख पब्लिक सर्विस कमीशन के गठन की मांग इसलिए की गई है ताकि लद्दाख के युवाओं को रोजगार मिल सके. इससे पहले यहां के लोग जम्मू-कश्मीर पीएससी में आवेदन करते थे.
370 हटने के बाद से लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिल चुका है. यहां ना तो जम्मू-कश्मीर की तरह विधानसभा है और ना ही कोई लोकल काउंसिल. यहां से दो लोकसभा सीटों और राज्यसभा में प्रतिनिधित्व की मांग भी की गई है.