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BJP BRS: भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने तेलंगाना विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के साथ अपनी निकटता का एक और संकेत देते हुए केंद्र द्वारा बुलाई गई बैठकों का बहिष्कार समाप्त कर दिया है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री पिछले महीने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए थे. उन्होंने राज्यों के प्रति केंद्र सरकार के भेदभावपूर्ण रवैये के विरोध में पिछले साल अगस्त में नीति आयोग की बैठक का भी बहिष्कार किया था. हालांकि भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने रविवार को कहा कि पार्टी का तेलंगाना की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के साथ कोई संबंध नहीं है.
क्या करीब आ रहीं दोनों पार्टियां?
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में केसीआर ने लिखा था कि केंद्र भारत को एक मजबूत और विकसित देश बनाने के सामूहिक प्रयास में राज्यों के साथ समान भागीदार के रूप में व्यवहार नहीं कर रहा है. केसीआर ने प्रधानमंत्री के हैदराबाद दौरे पर उनका स्वागत करना भी बंद कर दिया था.
इस साल अप्रैल में जब मोदी कुछ परियोजनाओं का शुभारंभ करने के लिए हैदराबाद आए थे तो उन्होंने उनका स्वागत नहीं किया था. पिछले 14 महीनों में यह पांचवीं बार था जब मुख्यमंत्री ने राज्य के दौरे पर उनका स्वागत नहीं किया. इस संदर्भ में शनिवार को सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए बीआरएस के एक प्रतिनिधि ने राजनीतिक हलकों में चिंताएं बढ़ा दी हैं. यह भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के प्रति बीआरएस के रुख में बदलाव के संकेतों के बीच आया है.
पहला संकेत 15 जून को मिला जब बीआरएस अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने प्रधानमंत्री मोदी को 'अच्छा दोस्त' बताया था. नागपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केसीआर ने कहा था कि उनके मन में मोदी के खिलाफ कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है. बीआरएस प्रमुख ने उन्हें अपना अच्छा दोस्त बताते हुए कहा था कि वे अक्सर सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचारों का आदान-प्रदान करते हैं.
बीआरएस 2024 के चुनावों में भाजपा से मुकाबला करने की रणनीति पर चर्चा के लिए 23 जून को आयोजित कांग्रेस सहित विपक्षी दलों की पटना बैठक से भी दूर रही. भाजपा के साथ निकटता का संकेत देते हुए, केसीआर के बेटे और राज्य मंत्री केटी रामाराव (केटीआर) केंद्रीय मंत्रियों से मिलने के लिए दिल्ली पहुंचे थे. उन्होंने राज्य के मुद्दों पर चर्चा के लिए दो दिवसीय यात्रा के दौरान केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह, हरदीप सिंह पुरी और पीयूष गोयल से मुलाकात की थी.
केटीआर ने यह भी बताया कि बीआरएस पटना बैठक से क्यों दूर रही. उन्होंने स्पष्ट किया कि बीआरएस इस विचार से सहमत नहीं है कि भाजपा या कांग्रेस को किसी भी मोर्चे या गठबंधन का केंद्र होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हम मुद्दों पर लोगों को एकजुट करने में विश्वास करते हैं न कि पार्टियों को एकजुट करने में.