Loksabha Election: दिल, दल और परिवार चिराग के साथ नहीं मिलेगा... पशुपति पारस की BJP को दो टूक
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Loksabha Election: दिल, दल और परिवार चिराग के साथ नहीं मिलेगा... पशुपति पारस की BJP को दो टूक

Loksabha Election Bihar: पशुपति पारस अगर भाजपा से दूरी बनाते हैं तो इसकी सबसे बड़ी वजह होंगे चिराग पासवान. चिराग पासवान भाजपा के बेहद करीब हैं. सूत्रों की मानें तो भाजपा भी चिराग पासवान के साथ है. लेकिन भाजपा, पशुपति पारस को भी नहीं छोड़ना चाहती.

Loksabha Election: दिल, दल और परिवार चिराग के साथ नहीं मिलेगा... पशुपति पारस की BJP को दो टूक

Loksabha Election Bihar: लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा का अलग ही रंग देखने को मिल रहा है. विशाल जीत के लिए भाजपा, नेताओं की नाराजगी भी दूर कर रही है और उन्हें लुभावने ऑफर भी दे रही है. बिहार की बात करें तो भाजपा के लगभग सारे दाव काम कर गए. नीतीश कुमार की वापसी इसका बड़ा उदाहरण है. लेकिन पशुपति पारस अभी तक नहीं सध पाए हैं. आइये जानने की कोशिश करते हैं कि पशुपति पारस और भाजपा की बात बनेगी या बिगड़ेगी.

चिराग और पारस में खींचतान जारी

पशुपति पारस अगर भाजपा से दूरी बनाते हैं तो इसकी सबसे बड़ी वजह होंगे चिराग पासवान. चिराग पासवान भाजपा के बेहद करीब हैं. सूत्रों की मानें तो भाजपा भी चिराग पासवान के साथ है. लेकिन भाजपा, पशुपति पारस को भी नहीं छोड़ना चाहती. रामविलास पासवान के निधन के बाद से पशुपति पारस ही पार्टी की सारी जिम्मेदारी संभालते नजर आए हैं. पार्टी नेता भी उनके साथ हैं. बता दें कि चिराग (लोजपा राम विलास) और पारस (राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी) अपने अलग-अलग दल के साथ लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.

भाजपा दोनों को नहीं छोड़ना चाहती

लोकसभा चुनाव में भाजपा चाहती है कि पशुपति पारस और चिराग पासवान एक हो जाएं. अगर ऐसा हुआ तो भाजपा को बिहार में जरूर बढ़त मिलेगी. और ये दोनों नेता अगर अलग चुनाव लड़े तो नुकसान नेता-पार्टी सबको होगा लेकिन विपक्ष इसका फायदा उठा लेगा. इस वक्त बिहार में भाजपा की राजनीति चिराग और उनके चाचा पशुपति पारस के इर्द-गिर्द ही घूम रही है.  

चिराग का साथ नहीं चाहते पारस

अब पशुपति पारस की बात करें तो वे चिराग का साथ नहीं चाहते. रामविला पासवान के निधन के बाद से ही पारस ने लोजपा पर अपना हक बताया है. लेकिन चिराग पासवान अपने चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व में लोजपा में रहकर राजनीति नहीं करना चाहते. इन दोनों चाचा-भतीजे के बीच हाजीपुर सीट भी फसाद की जड़ बनी हुई है. रामविलास पासवान ने अपने जीतेजी पशुपति पारस को हाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ाया था. लेकिन अब चिराग पासवान इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. चिराग हाजीपुर सीट को पिता की विरासत बताकर रैलियां कर रहे हैं.

पारस की भाजपा को दो टूक

सूत्रों की मानें तो पशुपति पारस भी हाजीपुर सीट को लेकर किसी की बात नहीं मानने वाले हैं. पशुपति पारस हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर अपनी मंशा भाजपा से भी जाहिर कर चुके हैं. ऐसे में भाजपा ने पशुपति पारस को मनाने की कोशिश भी की. सूत्रों की मानें तो भाजपा ने पशुपति पारस को ज्यादा सीटों का भी ऑफर दे दिया. लेकिन पशुपति पारस का फैसला अब भी नहीं बदला है. पशुपति पारस ने भाजपा को स्पष्ट कह दिया है कि वे हाजीपुर सीट नहीं छोड़ेंगे. 

बिहार में एनडीए का सीट शेयरिंग फॉर्मूला

बिहार में एनडीए के सीट शेयरिंग फॉर्मूले को लेकर सूत्रों ने बताया कि भाजपा राज्य की 17 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. जेडीयू को 12 सीटें देने की तैयारी है. जेडीयू को पूर्वोत्तर के राज्यों में भी सीट देने की तैयारी है. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को 2-2 सीटें मिल सकती हैं. वहीं, पशुपति हाजीपुर छोड़ेंगे तो उन्हें चार सीटें दी जा सकती हैं. चिराग पासवान हाजीपुर के साथ-साथ वैशाली की सीट भी देने की तैयारी. मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी को एक सीट दी जा सकती है.

..तो विपक्ष को हो जाएगा फायदा

भाजपा ने एनडीए के सभी दलों संतुष्ट करने का फॉर्मूला तैयार किया है. बिहार में भाजपा का सीट शेयरिंग का ये फॉर्मूला अगर चल गया तो विपक्ष के लिए समस्या जरूर होगी. लेकिन इस फॉर्मूले के तहत पारस और चिराग में बात नहीं बनी तो इसका फायदा हर तरह से विपक्षी गठबंधन को होगा.

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