Chittorgarh: बदहाली का शिकार हो रहा चित्तौड़गढ़ का दुर्ग, चतुरंग मौर्य तालाब पर संकट, शराबियों का बना अड्डा
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Chittorgarh: बदहाली का शिकार हो रहा चित्तौड़गढ़ का दुर्ग, चतुरंग मौर्य तालाब पर संकट, शराबियों का बना अड्डा

Chittorgarh: ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ दुर्ग की अपनी वैश्विक पहचान है. यहां स्थिति ऐतिहासिक धरोहरों को देखने दुनिया भर के अलग-अलग कोने से विदेशी सैलानी यहां आते हैं, जिससे हमारे देश का गौरव और भी बढ़ता है. 

 

Chittorgarh: बदहाली का शिकार हो रहा चित्तौड़गढ़ का दुर्ग, चतुरंग मौर्य तालाब पर संकट, शराबियों का बना अड्डा

Chittorgarh: चित्तौड़गढ़ दुर्ग की बदहाली का कौन जिम्मेदार है, ताबाब पर संकट है. अब यहां शैलानियों का नहीं शराबियों का अड्डा बन रहा है.वहीं, दूसरी और पुरातत्व विभाग की अनदेखी के चलते हमारे देश को गौरान्वित करने वाली ऐतिहासिक धरोहरें बदहाली का शिकार हो रही हैं. हम बात कर रहे हैं, सातवीं-आठवीं सदी में निर्मित ऐतिहासिक चतुरंग मौर्य तालाब की,जो सार संभाल के अभाव में बदहाली का शिकार हो रहा है.

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित चतुरंग मौर्य तालाब पर सालभर में कई देशी-विदेशी सैलानी पिकनिक मनाने आते हैं, अधिकांश लोग परिवार के साथ अच्छा वक्त बिताने के लिए तो आते हैं, लेकिन अपने परिवार की तरह वो इस तलाब की देखरेख करना भूल जाते हैं.

तो पुरातत्व विभाग भी इस तालाब की सुध लेने को तैयार नही है. तालाब के आस-पास हजारों की संख्या में पहुचंने वाले लोग तालाब को गंदा कर रहे हैं,तो सामाजिक तत्वों और शराबियों इस जगह को अपना अड्डा बना लिया है.

बता दें, सातवीं शताब्दी में चित्तौड़गढ़ किले की चित्रांगद राजा द्वारा नीव रखी गई थी.उस दौरान मजदूरों और आम लोगों को पानी पीने के लिए चित्रांगद राजा द्वारा इस तालाब का निर्माण करा गया था. जिसका नाम चतुरंग मोर्य रखा गया. 

इस तालाब में साल भर पानी की आवक बनी रहती है. इसका पानी कभी समाप्त नहीं होता है. वर्ष भर में इस तालाब पर पिकनिक मनाने पर्यटक पहुंचते हैं, लेकिन असामाजिक तत्वों द्वारा शराब बीयर की बोतलों का सेवन कर यहीं पर बोतल फेंक दी जाती है.

जिससे पूरे तालाब पर कांच के टुकड़े जगह-जगह फेल रहे हैं और वहीं आने वाले पर्यटकों द्वारा खाने पीने के बाद बचा सामान तालाब में फेंक देने के कारण यह तालाब लगातार गंदा होता जा रहा है.

एक तरफ पर्यटकों की ओर से पिकनिक मनाने के बाद छोड़ा गया. सामान भी यहां गंदगी का कारण बन रहा है.तो दूसरी ओर पुरातत्व विभाग का भी ऐतिहासिक धरोहर की ओर कोई ध्यान नहीं है.यहां देखरेख के लिए न तो सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था है और न ही पुलिस सुरक्षा के किसी प्रकार के इंतजाम हैं.जिससे असामाजिक तत्वों द्वारा प्रतिदिन यहां शराब का सेवन कर कांच की बोतल फेंक दी जाती है.

जिस वजह से यह तलाबा यहां आने वाले लोगों के लिए खतरनाक भी बनता जा रहा है.तलाब के आसपास बीयर और शराब की बोतले फैंकने के कारण कांच से लोगों के चोटिल होने का खतरा बना रहता है.

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