chhattisgarh news-हिंदू धर्म में प्राकृतिक पूजा का विशेष महत्व है, शास्त्रों के अनुसार जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी सहित पेड़ पौधों की भी अलग-अलग महत्व के साथ पूजा-पाठ की जाती है. ठीक उसी हिसाब से जब किसी पेड़ से आस्था जुड़ जाए तो उसे भी देवता मानकर पूजा जाता है. ऐसा ही एक पेड़ छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में मौजूद है. 500 साल पुराने इस पेड़ को लेकर लोगों की धार्मिक आस्था है.
कोरबा के हसदेव नदी के तट पर मौजूद मां सर्वमंगला का मंदिर का काफी पुराना है, मां सर्वमंगला को जिले की आराध्य देवी माना जाता है. इस मंदिर में साल के दोनों नवरात्रों में मां सर्वमंगला की विशेष पूजा की जाती है.
मां सर्वमंगला का यह मंदिर करीब 124 साल पुराना है, जिसे लेकर कोरबावासियों की आस्था काफी गहरी है. स्थानीय लोगों के साथ प्रदेशवासी मां सर्वमंगला को काफी मानते हैं. यही वजह है कि नवरात्र के समय श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है.
इसी मंदिर परिसर में बरगद का विशाल पेड़ मौजूद है, जो करीब 500 साल पुराना है. इस मन्नतें पूरी करने वाला पेड़ भी माना जाता है, कहा जाता है इस विशाल बरगद के पेड़ के नीचे हाथी विश्राम किया करते थे.
इसके अलावा इस पेड़ की डालियों पर मोरों का बसेरा हुआ करता था, स्थानीय लोगों की मान्यताएं है कि यह पेड़ हर मनोकामना पूरी करता है. यही वजह है कि यहां लोगों का जनसैलाब उमड़ता है.
लोगों का मानना है कि इस पेड़ में रक्षासूत्र बांधकर जो भी मन्नत मांगी जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है, इसलिए दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर माता के दरबार में पहुंचते हैं.
चैत्र नवरात्र के मद्देनजर यहां हजारों की संख्या में सर्व मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित होती है. नवरात्र के दौरान विदेशों से भी यहां मनोकामना ज्योति कलश जलवाए जाते हैं.
वहीं साल के दोनों नवरात्र के दौरान मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर मां के दर्शन करते हैं. इसके अलावा मंदिर परिसर में मौजूद बरगद के पेड़ पर रक्षासूत्र बांधकर मनोकामनाएं मांगते हैं.
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