भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय ने इस युद्धपोत का डिजाइन तैयार किया है. वहीं मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई द्वारा आईएनएस मोरमुगाओ का निर्माण किया गया है.
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अश्विनी पांडे/नई दिल्लीः चीन की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए भारतीय नौसेना लगातार अपने आप को मजबूत कर रही है. इसी कड़ी में आज नया युद्धपोत 'INS मोरमुगाओ' भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है. भारतीय नौसेना के 'युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो' ने इस युद्धपोत का डिजाइन तैयार किया है. वहीं 'मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड' (एमडीएल), मुंबई द्वारा आईएनएस मोरमुगाओ का निर्माण किया गया है. आईएनएस मोरमुगाओ विशाखापत्तनम श्रेणी का दूसरा युद्धपोत है, जो नौसेना में शामिल किया गया है.
बता दें कि इस श्रेणी के 4 युद्धपोत नौसेना में शामिल किए जाने हैं, जिनमें से एक युद्धपोत पहले ही नौसेना में कमीशन किया जा चुका है. आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड में पोत का आधिकारिक रूप से जलावतरण कर नौसेना में शामिल किया. आईएनएस मोरमुगाओ का नाम पश्चिमी तट पर गोवा के एतिहासिक बंदरगाह के नाम पर रखा गया है. यह पोत 30 समुद्री मील प्रति घंटे की अधिकतर रफ्तार से चल सकता है. बता दें कि चीन भारत के प्रभाव वाले हिंद महासागर में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में आईएनएस मोरमुगाओ की मदद से हिंद महासागर में चीन की चुनौती से निपटने में भारतीय नौसेना को बड़ी मदद मिलेगी.
आईएनएस मोरमुगाओ देश में बनाए गए सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक है. 163 मीटर लंबे, 17 मीटर चौड़े और 7400 टन वजनी इस युद्धपोत में ब्रह्मोस और बराक 8 जैसी विध्वंसक मिसाइलें लगी हैं. इस युद्धपोत में इजरायल में बना एमएफ स्टार रडार लगा है, जो हवा में दूर तक लक्ष्य का पता लगा सकता है. आईएनएस में एके 630 एंटी मिसाइल गन सिस्टम लगा है, साथ ही इस पर एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर भी तैनात किया गया है. इस युद्धपोत पर लगी 127 मिलीमीटर की गन से 300 किलोमीटर दूर तक लक्ष्य को भेदा जा सकता है.
चीन की चुनौती से निपटने के लिए तेजी से भारतीय नौसेना को मजबूत करने की दिशा में सरकार काम कर रही है. इसके लिए आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत 44 पोतों और पनडुब्बियों में से 42 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है. इसके अलावा 55 और पोतों और पनडुब्बियों के निर्माण के लिए आदेश जारी किए जा चुके हैं. जिनका निर्माण भी भारतीय शिपयार्ड में किया जाएगा.