सतना में नगर निगम (Satna Nagar Nigam) का पहला चुनाव 1996 में हुआ था, जिसमें कांग्रेस के राजाराम त्रिपाठी मेयर चुने गए थे. इसके बाद निर्दलीय बीएल यादव मेयर बने. साल 2005 में बीजेपी की विमला पांडे महापौर चुनीं गईं.
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प्रमोद शर्मा/सतनाः नगरीय निकाय चुनाव के लिए नामांकन के बाद प्रचार का काम शुरू हो गया है. सतना नगर निगम से भाजपा के टिकट पर RSS की पृष्ठभूमि वाले योगेश ताम्रकार को महापौर पद का उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा पर ही भरोसा जताया है. सतना नगर निगम में इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है, इसकी वजह ये है कि सतना भाजपा का गढ़ माना जाता है लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सिद्धार्थ कुशवाहा ने बीजेपी के इस गढ़ में सेंध लगा दी थी. ऐसे में अब भाजपा फिर से अपने इस गढ़ को कब्जाने की कोशिश में है और कांग्रेस की कोशिश है कि विधानसभा के बाद शहर की सरकार पर भी अपना कब्जा बनाया जाए.
सतना नगर निगम का इतिहास
सतना नगर निगम का गठन साल 1996 में हुआ था. वर्तमान में यहां 45 वार्ड हैं और यहां की जनसंख्या करीब 3 लाख 28 हजार 700 रुपए है. इनमें से 2 लाख मतदाता 14 हजार 185 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर निगम सरकार चुनेंगे. जिनमें एक लाख 10 हजार 995 पुरुष और एक लाख तीन हजार 183 महिला मतदाता हैं.
सतना में नगर निगम का पहला चुनाव 1996 में हुआ था, जिसमें कांग्रेस के राजाराम त्रिपाठी मेयर चुने गए थे. इसके बाद निर्दलीय बीएल यादव मेयर बने. साल 2005 में बीजेपी की विमला पांडे महापौर चुनीं गईं. 2010 में बसपा के पुष्कर सिंह महापौर बने और 2015 में यह फिर से भाजपा के कब्जे में चला गया और यहां से बीजेपी की ममता पांडे महापौर चुनीं गईं.
विकास है बड़ा मुद्दा
सतना की पहचान उद्योग और व्यापार रहा है. शहर का तेजी से शहरीकरण और फैलाव हुआ है लेकिन इसके बावजूद कई इलाके आज भी आधारभूत सुविधाओं से वंचित हैं. जब जी मीडिया ने कुछ मतदाताओं से बात की तो कुछ लोग नगर निगम के कामकाज से संतुष्ट नजर आए तो वहीं कुछ ने शहर में ड्रेनेज सिस्टम के खराब होने और भ्रष्टाचार की शिकायत की. वार्ड 10 के लोग सड़क जैसी मूलभूत सुविधा भी नहीं मिलने से नाराज हैं और मतदान का बहिष्कार करने का विचार कर रहे हैं.
कांग्रेस के लिए अंतर्कलह चुनौती
कांग्रेस ने सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को मेयर पद का प्रत्याशी बनाया है. मेयर पद का प्रत्याशी घोषित करने के 24 घंटे के अंदर ही कांग्रेस ने सिद्धार्थ कुशवाहा को पिछड़े वर्ग का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक बड़ी जिम्मेदारी दी है. टिकट वितरण के बाद सतना कांग्रेस में असंतोष उपज गया है. कांग्रेस के पुराने नेता और प्रदेश उपाध्यक्ष सईद अहमद ने पार्टी छोड़कर बसपा की सदस्यता ले ली है. कांग्रेस पिछड़ा वर्ग के जिला अध्यक्ष गेंदलाल पटेल ने भी पार्टी छोड़ दी है. ऐसे हालात में कांग्रेस को सतना नगर निगम का चुनाव जीतने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.
क्या कहना है मेयर प्रत्याशियों का
कांग्रेस मेयर प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा सतना नगर निगम में जीत का दावा कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी उनकी पार्टी के नेताओं के भड़का रही है. उन्होंने कहा कि सतना नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर है. शहर स्मार्ट नहीं हुआ है और बीजेपी नेता स्मार्ट हो गए हैं. शहर का ड्रेनेज सिस्टम खराब है और रहवासी परेशान हो रहे हैं. कालोनियों में सड़क नहीं है और मुद्दों की भरमार है. इन सभी मुद्दों को पूरा करने के वादे पर वोटर मुहर लगाएगा.
वहीं भाजपा के मेयर प्रत्याशी योगेश ताम्रकार ने कहा कि उन्होंने लगातार जमीन पर काम किया है. उद्योगपति, किसान, व्यापारी सभी से उनका गहरा नाता रहा है. कांग्रेस ने 15 माह में जो भ्रष्टाचार का बीज बोया, जनता को परेशानी हो गई थी. योगेश ताम्रकार ने जीत का दावा किया और कहा कि उनकी प्राथमिकता है कि लोगों को बेवजह नगर निगम के चक्कर ना लगाने पड़ें. कांग्रेस अंतर्कलह से जूझ रही है और उनके नेता आपस में लड़ रहे हैं. सतना में पहले चरण के तहत 6 जुलाई को मतदान होगा और 17 जुलाई को मतगणना कर परिणाम घोषित किए जाएंगे.