अनोखी पंचायत! 'सचिव जी-रिंकी' जैसा शौक नहीं, यहां पानी की टंकी पर चढ़ना 'मजनुओं' की मजबूरी
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अनोखी पंचायत! 'सचिव जी-रिंकी' जैसा शौक नहीं, यहां पानी की टंकी पर चढ़ना 'मजनुओं' की मजबूरी

कोटा फैक्ट्री के एक्टर जितेंद्र कुमार की 'पंचायत' वेब सीरीज तो शायद देखी होगी. इस सीरीज में गांव की पानी की टंकी चर्चाओं में थी. रिंकी और सचिवजी की पहली मुलाकात भी टंकी पर हुई. हालांकि, मध्य प्रदेश के एक गांव में पानी की टंकी पर चढ़ना नौजवानों का शौक नहीं मजबूरी बन गया है.  

अनोखी पंचायत! 'सचिव जी-रिंकी' जैसा शौक नहीं, यहां पानी की टंकी पर चढ़ना 'मजनुओं' की मजबूरी

गांव के परिवेश पर बनी मशहूर वेब सीरीज 'पंचायत' तो आपने देखी ही होगी, अगर नहीं देखी हो बता देंते हैं कि इस सीरीज में सरपंच जी की बेटी रिंकी को पानी की टंकी पर चढ़कर चाय पीने का शौक था. सचिवजी भी पानी की टंकी पर जाने लगे. यहां पहली बार दोनों की मुलाकात हुई और प्रेम की शुरुआत हुई. पानी की टंकी इस सीरीज का केंद्र बिंदु है. यहां एक गांव की सच्ची कहानी बता रहे हैं. इस गांव का केंद्र बिंदु भी पानी की टंकी है. यहां ज्यादातर नौजवान घंटों पानी की टंकी पर घंटों रहते हैं. हालांकि, ये उनका शौक नहीं, बल्कि मजबूरी है. 

नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले केएक गांव के लोगों को मोबइल पर बात करने के लिए पानी की टंकी पर चढ़कर बात करनी पड़ रही है. अब इसे मोबइल उपभोक्ताओं की मजबूरी भी कह सकते हैं. मोबइल नेटवर्क न मिलने की वजह से ग्रामीण जान जोखिम में डालकर 30-40 फीट ऊंची पानी की टंकी पर चढ़ते हैं. इसके बाद ही मोबइल में नेटवर्क आने पर वे अपनी बात करते हैं.

गांव में नहीं आते मोबाइल नेटवर्क
यह मामला नक्सल प्रभावित गांव कावेली का है, जहां मोबाइल नेटवर्क ना मिलने से लोग खासे परेशान रहते हैं. पानी टंकी की 40 फीट की ऊंचाई पर चढ़ने के बाद फोन पर मन की बातें हो पाती हैं. यह समस्या वर्षो पुरानी है, जिसका निराकरण अब तक नहीं हो पाया है. हालात ऐसे हैं कि लोगों को बात करने के लिए ऊंचाई पर जाना पड़ता है. लोग पहले इधर उधर भटकते थे, लेकिन गांव में जब से पानी टंकी बनी है, मानो नेटवर्क प्रॉब्लम थोड़ी सुलझ गई है. 

घंटों तक बैठे रहते हैं युवा
अब ग्रामीणों को जब भी मोबाइल यूज करना होता है तो वे पानी टंकी का सहारा लेते हैं. आलम यह है कि कुछ युवा तो अपनी प्रेमिकाओं से बात करने के लिए दिन-दिनभर पानी की टंकी पर चढ़े रहते हैं. इस समस्या को लेकर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग अधिकारी बी एल उइके का कहना है कि ग्रामीण छेत्रों में नेटवर्क की काफी समस्या है. इस तरह जान जोखिम में डालकर बात करना ठीक नहीं. ऐसे में कभी भी बढ़ी दुर्घटना हो सकती है. उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे ऐसा न करें सम्बधित अधिकारियों से बात कर रास्ता निकालें.

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