mp news-मध्यप्रदेश में कई तरह के ऐतिहासिक और रहस्यमई जगह हैं. इन जगहों का रहस्य कई हजार सालों के बाद भी अनसुलझा है, इन रहस्यों के पीछे कई तरह की कहानियां है. मध्यप्रदेश का बुंदलेखंड भी रहस्यों से भरा हुआ है, यहां कई रहस्यमई स्थान मौजूद हैं. छतरपुर जिले में मौजूद भीमकुंड धाम जहां पर कुंड की गहराई आज भी रहस्य है. विज्ञान के लिए यह कुंड किसी रहस्य से कम नहीं है.
छतरपुर जिले से करीब 77 किलोमीटर दूर बाजना गांव में स्थित भीमकुंड दुनिया की रहस्यमई जगहों में से एक है. इसके आगे वैज्ञानिक भी नतमस्तक हो जाते हैं. विंध्य पर्वत पर जंगल में प्राकृतिक वनों के बीच भीमकुंड सदियों से पर्यटकों की पसंसदीद जगह रही है. यह स्थान धार्मिक पर्यटन और वैज्ञानिक शोध का केंद्र है. इस कुंड के रहस्य वैज्ञानिकों को भी हैरान करते हैं.
मान्यता है कि महाभारत काल में पांडव जब अज्ञातवास में थे, तो उन्होंने यहां भी समय बिताया था. लोगों का मानना है कि अज्ञातवास के समय जंगल में घूमते समय द्रोपदी को प्यास लगी, तो उन्होंने साथ चल रहे भीम से पानी लाने को कहा. जब आस-पास कहीं पानी नहीं दिखा तो उनके भाई नकुल ने उन्हें बताया कि इस जगह पर पानी है. फिर भीम ने अपनी गदा से वहां प्रहार किया. उसी गदा के प्रहार से इस कुंड का निर्माण हुआ. इसलिए इस कुंड को भीम कुंड कहा जाता है.
भीमकुंड से जुड़े कई सारे रहस्य हैं. कहा जाता है कि इस कुंड की गहराई आज तक कोई नाप नहीं सका है. कई लोगों ने ये जानने की कोशिश भी की, लेकिन कोई सफल नहीं हो सका. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस कुंड के तीन बूंद पानी से ही प्यास बुझ जाती है.
इस कुंड की गहराई जानने के लिए छतरपुर जिला कलेक्टर ने कुंड को खाली कराने का आदेश दिया था. लेकिन 5 दिनों तक मोटरों से पानी पानी निकालने के बाद भी भीमकुंड का पानी कम नहीं हुआ. इसके बाद प्रशासन ने भी हार मान ली और कुंड को खाली करने का काम रोक दिया.
इस कुंड की गहराई इतनी ज्यादा है कि इसे नापने के लिए लगाए गए तमाम यंत्र तक फेल हो चुके हैं, लेकिन इसटी सटीक जानकारी किसी को नहीं मिल सकी है. भू-वैज्ञानिकों के लिए भी भीमकुंड की गहराई रहस्य है.
2004 में आई सुनामी के वक्त इस कुंड में करीब 10 से 20 फीट तक ऊंची लहरें उठी थीं. कहा जाता है कि जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है उससे पहले इस कुंड में समुद्र जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. कुंड का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगता है. और लोग इस संकेत को समझकर पहले से ही सतर्क हो जाते हैं.
इस कुंड के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसका पानी गंगा की तरह बिल्कुल पवित्र है और यह कभी खराब नहीं होता है. यहां घूमने आने वाले लोग अपने साथ कुंड का पानी बोतलों में भरकर लेकर जाते हैं.
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