अटल जी का वो सपना जिसका 2002 में बना प्लान, PM मोदी 2024 में MP से करेंगे शुरुआत
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh2572592

अटल जी का वो सपना जिसका 2002 में बना प्लान, PM मोदी 2024 में MP से करेंगे शुरुआत

Ken Betwa Link Project: नदी जोड़ो परियोजना का प्लान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाया था, जिसकी शुरुआत आज पीएम मोदी मध्य प्रदेश के खजुराहो से करने जा रहे हैं.  

केन बेतवा लिंक परियोजना की शुरुआत

Nadi Jodo Pariyojna: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को मध्य प्रदेश के खुजराहो से 'केन-बेतवा लिंक परियोजना' परियोजना की शुरुआत करने जा रहे हैं. यह काम महत्वपूर्ण 'नदी जोड़ो परियोजना' के तहत शुरू किया जा रहा है, जो पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का भी सपना था, वैसे तो नदी जोड़ो परियोजना की कहानी पुरानी है, लेकिन 2002 में तत्कालीन अटल सरकार ने इस पर काम शुरू किया था. हालांकि बाद में यह योजना अटक गई. लेकिन मोदी सरकार ने इस पर फिर से काम शुरू किया जिसके तहत पहले देश के आम बजट में नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन और बेतवा नदी के जोड़ने का प्लान बनाया गया. जिसके बाद  मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की बहुप्रतीक्षित 'केन-बेतवा लिंक परियोजना' के लिए बजट पास हुआ और अब पीएम मोदी इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के खुजराहो से करने जा रहे हैं. 

खुद अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था सुझाव 

साल 2002 तक देश में सूखे की स्थिति थी, कई राज्य सरकारों में भी इसकी परेशानी साफ दिख रही थी, क्योंकि सबसे ज्यादा संकट सिंचाई का था. उस वक्त नदियों को आपस में जोड़कर सिंचाई की समस्या से निजात पाने के लिए तत्कालीन अटल सरकार ने योजना बनाई थी. खुद तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने यह सुझाव दिया था. जिसका मकसद था 60 नदियों को आपस में जोड़ दिया जाए ताकि सूखे के साथ-साथ बाढ़ की स्थिति से भी निपटा जाए. तत्कालीन सरकार में इसके लिए एक समिति भी गठित हुई थी, जिसके प्रस्ताव पर सहमति भी बनी थी. लेकिन बाद में इस योजना में कई तरह की अड़चने दिखी, जिसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में गया था. लेकिन 2014 में मोदी सरकार ने नदियों को जोड़ने की परियोजना के तहत विशेष समिति के गठन को मंजूरी दी थी, जिसकी पहली कड़ी 'केन-बेतवा लिंक परियोजना' मानी जा रही है. 

सालों पुराना है नदी जोड़ो परियोजना का प्लान 

दरअसल, नदियों को जोड़ने का प्लान तो सालों पुराना बताया जाता है. ब्रिटिश शासनकाल में भी इसका जिक्र मिलता है. बताया जाता है कि 1958 में ब्रिटिश सैन्य इंजीनियर आर्थर थॉमस कॉटन ने बड़ी नदियों के बीच नहर जोड़ का प्रस्ताव रखा था, उन्होंने यह प्रस्ताव इसलिए दिया था ताकि ईस्ट इंडिया कंपनी को बंदरगाहों की सुविधा हो सके और दक्षिण-पूर्वी प्रांतों में बार-बार बनने वाली सूखे की स्थिति से भई निपटा जा सके. इस तरह से यह प्रोजेक्ट बेहद पुराना माना जाता रहा है, भारत में आजादी के बाद कई बार इस प्लान पर काम हुआ है. 

ये भी पढ़ेंः प्रयागराज के बाद महाकाल की नगरी में लगेगा कुंभ,जानिए पहली बार कब लगा था सिंहस्थ मेला

बड़ा दिन-बड़ी योजना की शुरुआत 

दरअसल, केन-बेतवा लिंक परियोजना की शुरुआत अहम दिन पर हो रही है. 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन होता है. ऐसे में मोदी सरकार उनके जन्मदिन से ही नदी जोड़ो परियोजना की पहली कड़ी मानी जा रही है 'केन-बेतवा लिंक परियोजना' की शुरुआत करने जा रही है. क्योंकि यह योजना मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के लिए सबसे अहम है, जो सूखाग्रस्त इलाका माना जाता है. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश दोनों ही ऐसे राज्य हैं, जिनसे अटलजी का गहरा लगाव रहा है, ऐसे में बड़े दिन पर बड़ी योजना की शुरुआत मोदी सरकार मध्य प्रदेश के खजुराहो से पूरी करने जा रही है. केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने 45 हजार करोड़ रुपए जारी किए हैं. केंद्र सरकार की तरफ से 90 प्रतिशत राशि मिलने के बाद दोनों राज्यों की सरकारों को बकाया पांच-पांच प्रतिशत की राशि देनी होगी. 

क्या है केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट

2005 में पहली बार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों के बीच नदी जल बंटवारे को लेकर एक समझौता हुआ था, जिसमें केन और बेतवा नदी को जोड़ने के एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. जिससे केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच पूरा होगा, इसमें केन नदी पर डैम बनाने की योजना है और नहर के जरिए पानी बेतवा पहुंचाया जाएगा. नदी जोड़ो परियोजना के तहत इसमें हर साल नवंबर महीने से लेकर अप्रैल महीने के बीच तक यूपी को 750 एमसीएम और एमपी को को 1834 एमसीएम पानी मिलेगा, जिसमें केन नदी का पानी बेतवा नदी में छोड़ा जाएगा. जबकि दोनों नदियों को जोड़ने के लिए करीब 221 किलोमीटर लंबी केन-बेतवा लिंक नहर का निर्माण किया जाएगा, जिससे दोनों राज्यों में सिंचाई के साथ-साथ पेयजल की सुविधा भी आसान होगी. जबकि इस प्रोजेक्ट बुंदेलखंड में विकास के रास्ते भी बनेंगे. 

मध्य प्रदेश के इन जिलों का होगा फायदा 

  • छतरपुर
  • टीकमगढ़
  • पन्ना 
  • दमोह
  • विदिशा
  • सागर
  • शिवपुरी
  • दतिया 
  • रायसेन 

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय करेगा निगरानी 

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से यह प्रोजेक्ट पूरा होगा, मोदी सरकार ने इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण (NWDA) सौंपी हैं, जिसकी मॉनिटरिंग भी केंद्रीय जल संसाधन मंत्री करेंगे. इस योजना से यूपी और एमपी के बुंदेलखंड क्षेत्र में कुल 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सालाना सिंचाई होगी. जिसका सबसे ज्यादा लाभ यहां के किसानों को मिलेगा. 

ये भी पढ़ेंः MP का सियासी केंद्र बना सागर, पूर्व मंत्री ने नहीं कराया स्वागत, गुटबाजी दिखी ?

मध्य प्रदेश नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें MP Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी । मध्य प्रदेश  की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार। जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड! 

Trending news