क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला, जिसमें गिरफ्तार हुए पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा
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क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला, जिसमें गिरफ्तार हुए पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा

chhattisgarh liquor scam-छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है. ईडी दफ्तर में लखमा को तीसरी बार पूछताछ के लिए बुलाया गया था. 

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला, जिसमें गिरफ्तार हुए पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा

kawasi lakhma arrested-बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी हो चुकी है. ईडी ने लंबी पूछताछ के बाद कवासी लखमा को गिरफ्तार किया है. बुधवार को उन्हें तीसरी बार पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर बुलाया गया था इसी दौरान उनकी गिरफ्तारी हुई. बता दें कि जब शराब घोटाले का मामला सामने आया था, उस समय कांग्रेस की सरकार में कवासी लखमा आबकारी विभाग के मंत्री थे

इससे पहले 2 बार ईडी के अधिकारियों ने कवासी लखमा से 8-8 घंटे पूछताछ की थी. 

सबूत के आधार पर हुई गिरफ्तारी

सूत्रों के अनुसार, ईडी को कवासी लखमा के खिलाफ कुछ सबूत मिले हैं इस आधार पर ही गिरफ्तारी की गई है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर ईडी के अफ्सरों ने कुछ नहीं कहा है. कवासी लखमा के घर रेड के बाद ईडी ने अपने अधिकारिक बयान में कहा था कि कवासी लखमा के खिलाफ सबूत मिले हैं. उनके कमीशन लेने की बात भी सामने आई थी.  ईडी के छापे के बाद कवासी लखमा ने कहा था कि घोटाला हुआ है या फिर नहीं मुझे इसकी जानकारी नहीं है. मैं अनपढ़ आदमी हूं, अधिकारी मुझे जहां साइन करने को कहते थे मैं कर देता था. 

क्या है शराब घोटाला

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला 2 हजार करोड़ से भी ज्यादा का है, इसकी जांच ईडी कर रही है. ईडी का दावा है कि इस पूरे घोटाले को आईएस अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था. इस मामले में कई आरोप जेल में बंद है. इस घोटाले में शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है. 

शराब घोटाले पर ईडी को मिले अहम सबूत 

दरअसल, छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले को लेकर ED को अहम जानकारियां मिली थी. बताया जा रहा है कि 2019 से यह पूरा मामला शुरू हुआ था, जहां 2022 तक लाइसेंसी शराब दुकानों पर डूप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची जाती थी. जिसके चलते छत्तीसगढ़ के राजस्व विभाग को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था. ईडी का कहना है कि शराब को स्कैनिंग से बचाने के लिए नकली होलोग्राम भी लगाया जाता था, ताकि वह किसी की पकड़ में न आ सके. बताया जा रहा है कि शराब घोटाले में शामिल लोगों ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में होलोग्राफी का काम करने वाली एक कंपनी को नकली होलोग्राम बनाने का टेंडर दिया था. जबकि यह कंपनी इस प्रक्रिया के लिए पात्र नहीं थी, उसके बाद भी नियमों में संसोधन करके यह टेंडर उसी कंपनी को दे दिया गया था. बदले में कंपनी के मालिक से कमीशन लिया गया था. 

कंपनी मालिक के पकड़े जाने से हुआ खुलासा 

नोएडा की इस कंपनी के मालिक का नाम विधु गुप्ता था, जब विधु गुप्ता को ईडी ने गिरफ्तार किया तो उसने अरुणपति, अनवर ढेबर के नाम लिए थे. जिसके बाद एक एक करके इस पूरे मामले में खुलासा होता गया. इस मामले में अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और एपी त्रिपाठी की गिरफ्तारी होने के बाद जैसे-जैसे कार्रवाई आगे बढ़ी तो कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम सामने आया. इसके बाद 28 दिसंबर को ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के घर पर रेड मारी थी, जबकि उनके बेटे हरीश कवासी के घर पर भी छापा मारा था, जो इस वक्त सुकमा जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. अब तक कवासी लखमा से तीन बार पूछताछ हुई है, जहां तीसरी बार की पूछताछ में उन्हें गिरफ्तार किया गया है. 

कितने का है घोटाला

छत्तीसगढ़ का यह शराब घोटाला करीब 2161 करोड़ रुपए का बताया जा रहा है. क्योंकि यह पूरा घोटाला सिंडिकेट के नाम से हुआ है. जांच में पता चला है कि शराब घोटाले का कमीशन सब लोगों में बांटा जाता था, जो हर महीने ट्रांसफर होता था. 2019 से लेकर 2022 तक लगातार शराब घोटाले में अवैध कमाई की बात ईडी की तरफ से कई गई है.

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