Chaiturgarh Mata Mandir: चैतुरगढ़ छत्तीसगढ़ के प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक है. इसे छत्तीसगढ़ का कश्मीर भी कहा जाता है. चैतुरगढ़ किले में महिषासुर मर्दिनी मंदिर सबसे प्रसिद्ध है. आपको बता दें कि इस मंदिर को भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है. आइए जानते हैं मंदिर के बारे में.
चैतुरगढ़ छत्तीसगढ़ के फेमस टूरिज्म प्लेस में एक है. यह अलौकिक एवं मनमोहक प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण अद्भुत स्थान है. चैतुरगढ़ किले में महिषासुर मर्दिनी मंदिर सबसे प्रसिद्ध है. आज हम आपको इसी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं.
महिषासुर मर्दिनी मंदिर का निर्माण कल्चुरी शासन के दौरान राजा पृथ्वीराज ने 1069 ई. में करवाया था. यह ऐतिहासिक स्थान बिलासपुर-कोरबा मार्ग पर 50 किमी दूर स्थित है.
महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति के 12 हाथ हैं. 7वीं शताब्दी में वाण वंश के राजा मल्लदेव ने महिषासुर मर्दिनी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर शंकर गुफा स्थित है, जो घने जंगलों के बीच बसा हुआ है.
यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्तों का कहना है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना देवी मां पूरी करती हैं. लोग माता रानी के दर्शन के साथ प्राचीन दृश्य देखने आते हैं. यहां सुंदरता और देवी की मान्यता लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है.
बता दें कि महिषासुर मर्दिनी मंदिर को भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है. महिषासुर मर्दिनी मंदिर समुद्र तल से 3,060 फीट की ऊंचाई पर है. चैतुरगढ़ को छत्तीसगढ़ का कश्मीर भी कहा जाता है.
पहाड़ी की चोटी पर स्थित चैतुरगढ़ मंदिर मैकाल पर्वत श्रृंखला की ऊंची चोटियों में से एक है. यहां गर्मियों में भी तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होता है. इसीलिए इसे छत्तीसगढ़ का मिनी कश्मीर कहा जाता है.
चैतुरगढ़ मंदिर की प्राकृतिक दीवारें पर्यटकों को आकर्षित करती हैं. पर्यटन स्थल में अनेक प्रकार के पशु-पक्षी माहौल बनाते हैं. यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं.
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