Food inflation: उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा, सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए तीन लाख टन के प्रारंभिक खरीद लक्ष्य को हासिल करने के बाद इस साल प्याज की ‘बफर स्टॉक’ की मात्रा को बढ़ाकर पांच लाख टन कर दिया है.
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Onion News: प्याज की बढ़ती कीमतों पर नकेल कसने और जनता को राहत देने के लिए अब सरकार ने कमर कस ली है. सरकार इस साल प्याज का ‘बफर स्टॉक’ पांच लाख टन करने के लिए दो लाख टन एक्स्ट्रा प्याज खरीदेगी और खुदरा बिक्री में इसका इस्तेमाल करेगी. सरकार ने रविवार को यह ऐलान किया.
इससे एक दिन पहले ही सरकार ने प्याज की लोकल सप्लाई आसान करने और कीमतों पर कंट्रोल करने के लिए इसके एक्सपोर्ट पर 40 प्रतिशत सेस लगाने का ऐलान किया था.
बफर स्टॉक का लक्ष्य हासिल
चालू वित्त वर्ष के लिए प्याज के ‘बफर स्टॉक’ के लिए लक्ष्य तीन लाख टन रखा गया था, जो हासिल कर लिया गया है. फिलहाल इस ‘बफर स्टॉक’ को चुनिंदा राज्यों के तय बाजारों में लोकल सप्लाई सुधारने और कीमतों में इजाफे पर लगाम कसने के लिए खपाया जा रहा है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, प्याज की देशभर में खुदरा कीमत रविवार को सालाना आधार पर 19 प्रतिशत बढ़कर 29.73 रुपये प्रति किलोग्राम थी. बीते वित्त वर्ष इसी दिन यह 25 रुपये प्रति किलोग्राम थी.
दिल्ली में प्याज की खुदरा कीमत 37 रुपये प्रति किलोग्राम है, जो पिछले साल इसी दिन 28 रुपये प्रति किलोग्राम थी. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए तीन लाख टन के प्रारंभिक खरीद लक्ष्य को हासिल करने के बाद इस साल प्याज की ‘बफर स्टॉक’ की मात्रा को बढ़ाकर पांच लाख टन कर दिया है.'
किसानों ने उठाया ये कदम
गौरतलब है कि प्याज के एक्सपोर्ट पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने के केंद्र के फैसले के विरोध में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में किसानों ने रविवार को प्याज की बिक्री रोक दी. अहमदनगर जिले की राहुरी तहसील में प्याज उत्पादकों ने थोक बाजार में प्याज की चल रही बिक्री रोक दी.
सरकार ने कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका के बीच घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए शनिवार को प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया था. प्याज पर 31 दिसंबर 2023 तक प्याज पर यह निर्यात शुल्क जारी रहेगा.
स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संदीप जगताप ने कहा, 'केंद्र सरकार का किसान विरोधी रुख एक बार फिर सामने आया है। महाराष्ट्र में किसान प्याज के निर्यात से अच्छे लाभ की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन लगाए गए शुल्क से अब यह संभव नहीं होगा। इससे घरेलू बाजार में कीमतें गिर जाएंगी और किसानों को नुकसान होगा.'
(इनपुट-पीटीआई)