America Dalai Lama: अब अमेरिका या भारत दलाई लामा से कोई भी वास्ता रखे और चीन को मिर्ची ना लगे ऐसा तो हो ही नहीं सकता. यूएस प्रतिनिधिमंडल के दलाई लामा से मिलने की खबर जैसे ही चीन को मिली वह तिलमिला गया. वॉशिंगटन में चीनी दूतावास में प्रवक्ता लियू पेंगयू ने कहा, 'चीन किसी भी देश में दलाई लामा की तरफ से चलाए जाने वाले चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों का मजबूती से विरोध करता है.
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US-China Relations: चीन को एक बार फिर मिर्ची लगना तय है. चीन की विरोधी माने जाने वाली अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी मंगलवार को भारत आईं, जहां वह तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात करेंगी. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा एयरपोर्ट पर उनका विमान उतरा. पेलोसी 6 सदस्यों वाले हाई लेवल प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, जो दलाई लामा से मिलने धर्मशाला पहुंचा है.
इस प्रतिनिधिमंडल में ग्रेगरी डब्ल्यू मीक्स, जिम मैकगवर्न, अमी बेरा, मैरिएनेट मिलर-मीक्स और निकोल मैलियोटाकिस शामिल हैं. कांगड़ा पहुंचकर पेलोसी ने कहा कि वह भारत आकर रोमांचित महसूस कर रही हैं.
लामा के अलावा भारतीय अधिकारियों से मिलेगा डेलिगेशन
दरअसल दलाई लामा ने अपने घुटनों का ट्रीटमेंट कराने के लिए अमेरिका जाने की योजना बनाई है. उससे कुछ दिन पहले ही अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल उनसे मुलाकात करने पहुंचा है. वहीं विदेशी मामलों की उपसमिति के सदस्य माइकल मैककॉल ने कहा है कि भारत अमेरिका का एक अहम सामरिक साझेदार है और अमेरिका तिब्बती लोगों के साथ खड़ा है. अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल 18-19 जून तक भारत दौरे पर है. दलाई लामा से मिलने से अलावा ये लोग भारतीय अफसरों और प्रतिनिधियों से भी मिलेंगे.
#WATCH | A US delegation including former US House Speaker Nancy Pelosi arrives at Kangra airport, to meet Tibetan spiritual leader Dalai Lama in Dharamshala, Himachal Pradesh.
The delegation is received by officials of the Central Tibetan Administration pic.twitter.com/YBQoYTwasS
— ANI (@ANI) June 18, 2024
दलाई लामा से अमेरिकी डेलिगेशन ऐसे मौके पर मिलने जा रहा है, जब हाल ही में अमेरिकी संसद ने एक बिल को मंजूरी दी है. अमेरिका इस बिल के जरिए तिब्बत पर चीन के दावे को चुनौती देगा. इस बिल को Resolve Tibet Act नाम दिया गया था, जो अमेरिकी संसद से 12 जून को पास हुआ था. यूएस संसद के दोनों ही सदनों से इसे मंजूरी मिल चुकी है और अब इसके तहत चीन तिब्बत को लेकर जो भी दुष्प्रचार फैला रहा है, उससे अमेरिका निपटेगा.
दलाई लामा से मिलने पर चीन को लगी मिर्ची
अब अमेरिका या भारत दलाई लामा से कोई भी वास्ता रखे और चीन को मिर्ची ना लगे ऐसा तो हो ही नहीं सकता. यूएस प्रतिनिधिमंडल के दलाई लामा से मिलने की खबर जैसे ही चीन को मिली वह तिलमिला गया. वॉशिंगटन में चीनी दूतावास में प्रवक्ता लियू पेंगयू ने कहा, 'चीन किसी भी देश में दलाई लामा की तरफ से चलाए जाने वाले चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों का मजबूती से विरोध करता है और किसी भी देश के अधिकारियों का उनके साथ किसी भी प्रकार के संपर्क का विरोध करता है.'
प्रवक्ता ने कहा कि चीन धार्मिक विश्वास की आजादी की नीति को मानता है. लेकिन उसे विरोध कतई बर्दाश्त नहीं है. इससे पहले नैंसी पेलोसी 2022 में ताइवान गई थीं. उस वक्त भी चीन बौखला गया था. तब अमेरिका और चीन के रिश्ते सबसे बुरे दौर में पहुंच गए थे. गौरतलब है कि तिब्बत में चीनी सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ था, जिसके बाद दलाई लामा 1959 में भागकर भारत आ गए थे.