रविवार को आतंकवादियों के साथ एनकाउंटर में एक जेसीओ शहीद हो गया है. इसके अलावा 3 अन्य जवान भी जख्मी हुए हैं. इसके अलावा श्रीनगर के जबरवान इलाका भी काफी अशांत है. स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने पिछले 20 वर्षों में ऐसे हालात कभी नहीं देखे.
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Jammu Kashmir Encounter: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में रविवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) शहीद हो गए, जबकि तीन अन्य कमांडो के जख्मी होने की खबर है. सेना की व्हाइट नाइट कोर के अनुसार 2 पैरा (विशेष बल) के नायब सूबेदार राकेश कुमार शहीद हो गए, जबकि तीन अन्य कमांडो किश्तवाड़ के भारत रिज क्षेत्र में रविवार, 10 नवंबर को हुई मुठभेड़ में घायल हो गए. एनकाउंटर तब शुरू हुआ जब सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त तलाशी दलों ने किश्तवाड़ के कुंतवाड़ा और केशवान के सुदूर जंगल में दो आतंकवादियों को रोका. यह स्थान उस स्थान से कुछ किलोमीटर दूर है जहां विलेज डिफेंस ग्रुप (वीडीजी) के दो सदस्यों नजीर अहमद और कुलदीप कुमार के गोलियों से छलनी शव मिले थे.
इन दिनों जम्मू-कश्मीर में कई अलग-अलग जगहों पर एनकाउंटर जारी हैं. श्रीनगर के जबरवान में पिछले दो दशक में ऐसा पहली बार हुआ है जब जबरवान के घने जंगलों में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच रविवार को मुठभेड़ हुई और इलाके में दशहत के माहौल के बीच स्थानीय निवासियों को वहां से भागने पर मजबूर होना पड़ा. इलाके में घेराबंदी मजबूत करने के लिए अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया है. डल झील के किनारे निशात के आसपास इस एनकाउंटर से पहले, इस महीने की शुरूआत में श्रीनगर के खानयार इलाके में मुठभेड़ हुई थी, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक शीर्ष पाकिस्तानी कमांडर मारा गया था.
अधिकारियों ने बताया कि जबरवान में एनकाउंटर कई घंटों तक चला, लेकिन आतंकवादी घने जंगल का फायदा उठाकर भाग गए. ताजा रिपोर्ट मिलने तक आतंकवादियों की तलाश जारी थी. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक सुबह करीब नौ बजे सेना, पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों की एक टुकड़ी वहां पहुंची और उसने तलाशी मुहिम शुरू की. जिसके तुरंत बाद जंगल में गोलियों की आवाज गूंजने लगी. इस वन क्षेत्र में एक दर्जन से ज्यादा घर हैं और कई लोग दहशत की वजह से इलाके से भाग गए.
यहां पर स्थानीय लोग अपने मवेशियों को चराते हैं और साथ ही महिलाएं कश्मीर की हाड़ कंपा देने वाली सर्दी से बचने के लिए जंगल से लकड़ियां लाती हैं. स्थानीय निवासी अब्दुल खालिक ने कहा,'मैंने सुबह कुछ गोलियां चलने की आवाज सुनी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि यह गोलीबारी पड़ोस में ही हो रही है. मैं पिछले दो दशक से यहां रह रहा हूं और मैंने कभी ऐसी घटना नहीं देखी.' उन्होंने कहा,'मैं और मेरी पत्नी तुरंत घर से निकलकर सुरक्षित जगह की ओर भागे. इस वन क्षेत्र में कम से कम दो दर्जन घर हैं.'
एक अन्य स्थानीय निवासी अब्दुल राशिद लंबे समय से जंगल में अक्सर आते-जाते हैं. वह आज सुबह जब अपने मवेशियों को जंगल में छोड़कर लौट रहे थे, तभी मुठभेड़ शुरू हो गई. परेशान दिख रहे राशिद ने कहा,'मैं आज अपनी गाय और कुछ भेड़ों को भी जंगल में ले गया था. जब मैं नीचे आ रहा था, तब मैंने कुछ गोलियों की आवाज सुनी. मेरे मवेशी अब भी वहीं हैं और मैं सड़क पर उनका इंतजार कर रहा हूं. यह हमारे लिए एक असामान्य दृश्य है क्योंकि यह एक शांत जगह है.'
गोलीबारी शुरू होने के तुरंत बाद पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) और सीआरपीएफ के अतिरिक्त बल इलाके में पहुंचे और उन्होंने वहां कड़ी घेराबंदी कर दी. सुरक्षा बलों ने आम नागरिकों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी ताकि किसी भी तरह की जनहानि न हो. यहां तक कि एनकाउंटर की रिपोर्टिंग करने के लिए मौके पर पहुंचे मीडियाकर्मियों को भी सुरक्षित दूरी पर रखा गया.