Operation Shukrawar: कानपुर हिंसा का आरोपी जफर हयात बेनकाब, खुफिया कैमरे पर हुआ खुलासा
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Operation Shukrawar: कानपुर हिंसा का आरोपी जफर हयात बेनकाब, खुफिया कैमरे पर हुआ खुलासा

Operation Shukrawar: उत्तर प्रदेश में प्रयागराज से लेकर सहारनपुर, मुरादाबाद, देवबंद तक हिंसा और हंगामे की तस्वीरें दिखीं. इस हिंसा की शुरूआत हुई 3 जून को कानपुर से. लेकिन बड़ा सवाल ये क्या ये हिंसा PLANED थी. क्या देश में भाईचारे को तार-तार करने की बड़ी साजिश की गई है. हम आज 3 जून को कानपुर के बेकनगंज में हुए उपद्रव की हर साजिश को बेपर्दा करेंगे. 

Operation Shukrawar: कानपुर हिंसा का आरोपी जफर हयात बेनकाब, खुफिया कैमरे पर हुआ खुलासा

Operation Shukrawar: नूपुर शर्मा के बयान के बाद उत्तर प्रदेश से लेकर झारखंड और पश्चिम बंगाल तक नफरत के पत्थर चल रहे हैं. बंगाल में बीजेपी का दफ्तर फूंक दिया गया. रांची में नफरत इतनी बढ़ गई कि मंदिर पर पेट्रोल बम से हमला किया गया. उत्तर प्रदेश में प्रयागराज से लेकर सहारनपुर, मुरादाबाद, देवबंद तक हिंसा और हंगामे की तस्वीरें दिखीं. इस हिंसा की शुरूआत हुई 3 जून को कानपुर से. लेकिन बड़ा सवाल ये क्या ये हिंसा PLANED थी. क्या देश में भाईचारे को तार-तार करने की बड़ी साजिश की गई है. हम आज 3 जून को कानपुर के बेकनगंज में हुए उपद्रव की हर साजिश को बेपर्दा करेंगे. सबसे पहले ये चैट पढ़िए.

स्टिंग ऑपरेशन में बड़ा खुलासा

रिपोर्टर- सर एक चीज समझना चाह रहे हैं. इसलिए सोचा आप ऑफ कैमरा बात कर लें. सर, जो मामला सुनने में आ रहा है कि जो हयात था वो आप के पास आया था एक-दो तारीख को
अकमल ख़ान,एसीपी, अनवरगंज- देखिए 1 तारीख को इनकी जो कॉलिंग थी वो बंद की कॉलिंग थी
रिपोर्टर- बंद बुलाया गया था?
अकमल ख़ान,एसीपी, अनवरगंज- बंद की कॉल थी. ये हमारे संज्ञान में आया 1 तारीख की शाम को कि ये 3 तारीख को बंद करेंगे. ये जो इलाका है वो मुस्लिम क्षेत्र है.फिर मैंने अपने ऑफिस बुलाया.

दंगे पर जी न्यूज़ के स्टिंग ऑपरेशन का ये पहला किरदार था  और ये है किरदार नंबर दो. कानपुर में 3 जून को हुए उपद्रव की पड़ताल करने पहुंची जी मीडिया की टीम को 3 किरदार मिले हैं. एसीपी अकमल खान की बातों से ये तो साफ है कि कानपुर अंदर ही अंदर सुलग रहा था.चिंगारी को आग यूं ही नहीं लगी, ये आग लगाई गई. साजिश के चेहरे और मोहरे एक नहीं कई हैं. अब आप किरदार नंबर दो मौलाना सलीस को पढ़िए , कानपुर हिंसा पर उनका कबूलनामा.  

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रिपोर्टर- इस बार गलती किस की रही?

मौलाना सलीस- देखिए गलती तो हम मुसलमान लड़कों की मानते हैं. जब आपने बंद की कॉल की तो परेड चौक की तरफ जाने की क्या आवश्यकता थी. भाई आप ने बंद की कॉल की, आप ने बंद कर दिया.अब ये तो कॉल नहीं थी आप जाइए. अब वहां क्या रखा है परेड चौक पर. अब वहां से कुछ लड़के गुजरे वहां पर चंद्रेश्वर हाता पर कुछ शरारती तत्व खड़े थे.उन्होंने गाली बकी. जा रहे हैं ये @@@@@ वहां जो लड़कों ने सुना उन्होंने कर दिया.

रिपोर्टर- जो गाली दिए ये कहां के लोग थे
मौलाना सलीस- चंद्रेश्वर हाता

पुलिस को पहले से थी जानकारी

कानपुर के परेड चौराहे पर हुई हिंसा में चारों तरफ से ही भीड़ निकल कर के आने लगी परेड चौराहे की सड़कों पर हुए बवाल के बाद यतीम खाने समेत बेकनगंज से भारी संख्या में युवा निकल पड़े. हाजी सलीस का स्टिंग करने की मुख्य वजह यह थी कि हाजी सलीस के घर के बाहर ही भारी संख्या में उपद्रवी जमा थे, जहां वह उपद्रव की रणनीति बना रहे थे इसके साथ ही आपको बता दें कि हाजी सलीस को पल-पल की जानकारी थी, बंद की कॉल से लेकर सभी जानकारियां मौजूद थीं.

स्टिंग में हाजी ने पूरे साजिश के बारे में बताया है. उसने कहा कि देखिए हर समाज में शरारती तत्व तो है ही. समाज में प्रोटेस्ट करने का अधिकार है लेकिन गांधी वादी तरीके से. गोडसे के तरीके से नहीं. लेकिन जिस लीडर के कॉल पर बाहर निकलते हो उसके कहने पर अंदर चले जाना चाहिए. इस बार भी गलती मुसलमान बच्चों की ही मानते हैं. जब आप बंदी की कॉल की तो परेड जाने की क्या जरूरत थी. जब ये जा रहे थे, चंद्रेश हाता के पास से गुजर रहे थे.वहां के कुछ लड़के ने गली दी, उसके बाद लड़को ने पत्थरबाजी शुरू की.माहौल खराब करने में कुछ मौलबियों का हाथ है. इन्होंने मीटिंग की थी, उकसाया था. दंगे का कोई प्लान नहीं था, अगर प्लान था तो कोई मरा क्यों  नहीं, प्लान होता तो पूरे कानपुर में दंगा होता.पुलिस ने हयात को सही पकड़ा, कॉल उसी का था, औकात नहीं थी तो कॉल क्यों दिया. 

हयात के संपर्क में थी कानपुर पुलिस

कानपुर एसीपी अकमल और डीसीपी प्रमोद कुमार का भी स्टिंग हुआ है.एसीपी अनवरगंज अकमल खान ने कहा कि जब भीड़ इकट्ठा हो रही थी वह एयरपोर्ट पर वीआईपी ड्यूटी पर था. जैसे ही उसे भीड़ इकट्ठा होने की जानकारी हुई उसने हयात जफर को फोन किया, फोन पर उससे कहा कि जब पहले बात हो गई थी आज बंद नहीं होगा तो लोगों की भीड़ क्यों इकट्ठा हो रही है. जिस पर हयात ने जवाब दिया यह भीड़ उसने नहीं इकट्टा नहीं की बल्कि छोटे-छोटे बच्चे इकट्ठा हो रहे हैं. अकमल ने कहा कि यह भीड़ उसके क्षेत्र में नहीं इकट्ठा हो रही थी फिर भी उसे लगा कि जो कुछ भी आएगा वह उसके ही मत्थे मढ़ा जाएगा. यही वजह है कि उसने बेकन गंज थाना अध्यक्ष नवाब अहमद को वीआईपी ड्यूटी से रिलीज करा कर तुरंत मौके पर भेजा. बातचीत के दौरान डीसीपी ने यह स्वीकार किया की हिंसा की प्लानिंग की गई थी. जफर की पत्नी के इस दावे कि जफर नमाज अदा करने के बाद घर में आकर सो गया था पर एसीपी अकमल खान ने कहा कि जफर हयात क्षेत्र में घूम रहा था और वह लगातार उसके संपर्क में थे.

रिपोर्टर- सर आप लोगों को एक डेढ़ बजे मैसेज आया कि लोग इक्कठा हो रहे हैं, मतलब की भनक लग चुकी थी
एसीपी- हां, ये नहीं था कि जुलूस निकलेगा...लेकिन ये था कि लोग जगह-जगह इक्कठा हैं. जेनरली लोग जुम्मे की नवाज पढ़ कर भी इक्कठा होते हैं.
रिपोर्टर- अच्छा सर किसी की पत्थरबाजी की आशंका थी
डीसीपी- न बिल्कुल नहीं किसी को भी नहीं, अगर किसी को दुकानें बंद करनी थी, लोगों को लगा कि कॉल दिया है वापस भी ले लिया. दुकान बंद ही करेगा.लेकिन पत्थर बाजी या जुलूस निकलेगा ये किसी को आशंका नहीं थी.
रिपोर्टर- मतलब कि ये दुर्भाग्यपूर्ण रहा
डीसीपी- मतलब ये बैक प्लानिंग ही थी किसी की, वो हम से बात कर रहा है. ऐसा कई बार हुआ है, कॉल की और फिर किसी ने बात की तो खत्म हो गया.
रिपोर्टर- एक चीज समझना चाहूंगा सर, पत्थरबाजी की नौबत क्यों आई, क्या कंडीशन रही वो सर
एसीपी- देखिए मोब का कोई फेस नहीं होता है, कोई विहेबियर नहीं होता है. थोड़ा बहुत प्लानिंग तो थी. लगा की दुकानें बंद होंगी. थोड़ा बहुत लोग इक्कठा होंगे.पर रिपोर्ट कही नहीं थी. अंदेशा तो था कि दुकानें बंद कर सकते हैं, पर पत्थर बाजी का नहीं.
रिपोर्टर- एलआईयू का भी नहीं
डीसीपी- नहीं, पत्थरबाजी बड़ी बात है

अनवरगंज के ACP अकमल खान और डीसीपी ईस्ट प्रमोद कुमार की बातों से ये तो साफ है कि पुलिस को भीड़ के इकट्ठा होने की खबर करीब डेढ़-दो घंटे पहले लग चुकी थी.फिर बड़ा सवाल ये कि कि आखिर पुलिस की नाक़ामी से कानपुर दंगा हुआ? जी मीडिया की टीम ने अनवरगंज के ACP अकमल खान से ये समझने की भी कोशिश की कि कहीं वो हयात हाशमी के इरादे भांपने में भूल तो नहीं कर बैठे.अकमल खान ने हमें ये भी बताया कि किस तरह उस दिन वो हयात हाशमी और दूसरे लोगों से भी जुलूस रोकने की अपील करते रहे.

रांची हिंसा को लेकर भी प्लानिंग

इसी तरह रांची हिंसा को लेकर कई वीडियो सामने आएं हैं और इन वीडियो से कई खुलासे भी हुए हैं. खुलासा ये कि हिंसा भड़काने के लिए बकायदा एक WhatsApp ग्रुप बनाया गया था. इतना ही नहीं 10 जून को मुस्लिम बहुल हिंदपीढ़ी इलाके में हिंदुओं के घरों को भी निशाना बनाया गया. पुलिस दंगे के नीला कुर्ता कनेक्शन का भी पता लगा रही है.

रांची में 10 जून को हुई हिंसा एक सुनियोजित साजिश थी. रांची की सड़कों पर उन्मादी भीड़ एक प्लानिंग के तहत उतारी थी. बकायादा इसके लिए WhatsApp ग्रुप बनाया गया था.सूत्रों के मुताबिक WhatsApp ग्रुप का नाम 'वासेपुर गैंग' रखा गया था और इस ग्रुप के जरिए ही हिंसा के लिए भीड़ जुटायी गयी थी. रांची पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है. पुलिस अब WhatsApp ग्रुप के  एडमिन की तलाश में जुटी है. रांची हिंसा मामले में पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार किया है. करीब दर्जन भर लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. इसके साथ ही इंटरनेट बहाल होने के बाद हिंसा के कई वीडियो सामने आ रहे हैं.

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