अलवर में कब्रिस्तान की जमीन को पहले खाते दारी में चढ़ाना फिर अपने ही आदेश को रद्द करने एसडीएम प्यारेलाल सौंठवाल और तहसीलदार कमल पचौरी की गम्भीर लापरवाही सरकार ने दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया है.
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Alwar: राजस्थान के अलवर में कब्रिस्तान की जमीन को पहले खाते दारी में चढ़ाना फिर अपने ही आदेश को रद्द करने एसडीएम प्यारेलाल सौंठवाल और तहसीलदार कमल पचौरी की गम्भीर लापरवाही सरकार ने दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. कब्रिस्तान की जमीन को निजी खातेदारी में करना अलवर एसडीएम प्यारेलाल सौंठवाल और तहसीलदार कमल पचौरी को भारी पड़ गया. पहले कब्रिस्तान की जमीन को मिलीभगत कर खातेदारी में करने और फिर बढ़ते विरोध को देखते हुए अपने ही आदेश को वापिस लेने के मामले में सरकार ने दोनों अधिकारियों को मंगलवार को निलंबित कर दिया है.
साथ ही इस मामले में आज पूर्व मंत्री नसरू खान के नेतृत्व में मेव समाज के लोगो ने अलवर में मौन जुलूस निकाला और कलेक्ट्रेट पहुंच कर कब्रिस्तान की जमीन को खुर्द फर्द करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के साथ जिले की अन्य कब्रिस्तान की जमीनों की भी जांच करने की मांग ऊठाई.
दरअसल 12 अगस्त को एसडीएम प्यारेलाल सौंठवाल ने एक निर्णय देते हुए जेल चौराहा स्थित कब्रिस्तान की जमीन खातेदारी के अधिकार मन्नू बनाम सरकार केस में खातेदारी में अधिकार मिलने के बाद मेब समुदाय में इसका विरोध शुरू हुआ. इस मामले को पूर्व मंत्री नसरू खां ने भी उठाया और समाज के लोगों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंचाई. इस मामले में बढ़ता दबाव देख 21 अक्टूबर को एसडीएम ने अपने ही निर्णय को बदल दिया. सरकार ने इस मामले में अधिकारियों की लापरवाही मानते हुए एसडीएम प्यारेलाल सौंठवाल और तहसीलदार कमल पचौरी को सोमवार को निलंबित कर दिया.
आपको बता दें कि सूत्रों का कहना है एसडीएम ने बिना दस्तावेजों की जांच किये निर्णय दिया जो महज 62 दिनों बाद अपने ही निर्णय को उन्होंने बदल दिया. इस मामले की तहसीलदार कमल पचौरी को पूरी जानकारी होने के बाद उन्होंने जिला कलेक्टर को इस कि जानकारी नही दी, इसलिए तहसील दार को भी निलंबित कर दिया गया.
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