Taranagar Churu Vidhansabha Seat: शेखावाटी के तारानगर विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायक कांग्रेस के नरेंद्र बुडानिया है.
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Taranagar Churu Vidhansabha Seat: शेखावाटी के तारानगर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास महज 46 साल पुराना है. जहां अब तक हुए 10 विधानसभा चुनाव में से 6 बार कांग्रेस, दो-दो बार भाजपा और जनता पार्टी ने जीत हासिल की है. यहां से मौजूदा विधायक कांग्रेस के नरेंद्र बुडानिया है.
तारानगर विधानसभा क्षेत्र से सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड चंदन मल बैद के नाम है. चंदनमल बैद ने 1980 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने 1990, 1993 और 1998 में भी जीते. उसके बाद यहां से दो बार जीत का रिकॉर्ड जय नारायण पूनिया ने बनाया. जिन्होंने 1985 में पहली मर्तबा जीत हासिल की. इसके बाद वह 2013 में एक बार फिर जीतने में कामयाब हुए, जबकि इस सीट से एक बार भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ भी जीत दर्ज कर चुके हैं.
इस सीट से मौजूदा वक्त में कांग्रेस के नरेंद्र बुडानिया विधायक है तो वहीं यहां टिकट दावेदारों के भी एक लंबी फेहरिस्त है. पिछले दिनों वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मनफूल कस्वां ने अपने ही विधायक के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए स्थानीय व्यक्ति को टिकट देने की मांग कर दी थी. वहीं इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी भी एक प्लान तैयार कर रही है.
तारानगर विधानसभा क्षेत्र का गठन 1977 में हुआ. इससे पहले यह क्षेत्र चूरू और सरदार शहर में बटा हुआ था. यहां के पहले चुनाव में कांग्रेस ने चंदनमल बैद को टिकट दिया तो वहीं जनता पार्टी की ओर से मणि राम चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में जनता पार्टी की जीत हुई और मणि राम को 23,460 मत मिले, जबकि चंदनमल बैद को 12,962 मत ही हासिल हो सके और उसके साथ ही तारानगर के पहले विधायक मणि राम चुने गए.
1980 के विधानसभा चुनाव में चंदनमल बैद को कांग्रेस आई की ओर से टिकट मिला. जिसे इंदिरा गांधी लीड कर रही थी. जबकि निर्दलीय के तौर पर राम सिंह उन्हें कड़ी टक्कर देने उतरे. इस चुनाव में चंदन मल बैद की जीत हुई और उन्हें 24,786 वोट मिले.
1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदला और लूणाराम को टिकट दिया जबकि जनता पार्टी की ओर से जय नारायण चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव के नतीजे आए तो जय नारायण की जीत हुई और उन्हें 33,241 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ जबकि लूणाराम 29,888 मत ही हासिल कर सके.
1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर चंदनमल बैद को टिकट दिया तो वहीं जनता दल की ओर से रामलाल चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में जनता दल के रामलाल को 20,799 मत हासिल हुई तो वहीं चंदनमल बैद 32999 मत हासिल करने में कामयाब हुए और उसके साथ ही उनकी एक बार फिर जीत हुई.
1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का विश्वास चंदनमल बैद पर कायम रहा तो वहीं बीजेपी के टिकट पर बहादुर सिंह गोदारा ने चुनाव लड़ा. इस चुनाव के नतीजे आए तो बहादुर सिंह 24,769 मत हासिल करने में कामयाब हुए हालांकि यह समर्थन उन्हें जीत नहीं दिल पाया और एक बार फिर चंदन मल बैद की जीत हुई और उन्हें 34,144 मत मिले.
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर चंदनमल बैद को टिकट दिया तो वहीं इंडियन नेशनल लोकदल की टिकट पर जय नारायण पूनिया चुनावी मैदान में उतरे. इससे पहले जय नारायण 1985 में तारानगर से विधायक चुने गए थे, हालांकि चुनावी नतीजे आए तो महज 1200 वोटों के अंतर से चंदमल बैद चुनाव जीतने में कामयाब रहे. तो जय नारायण पूनिया की हार हुई चुनाव में चंदनमल बैद को 46,415 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ.
2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने डॉक्टर चंद्रशेखर बैद को टिकट दिया तो वहीं इंडियन नेशनल लोकदल से एक बार फिर जयनारायण पूनिया चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में जय नारायण पूनिया को 40,539 मत मिले तो वहीं 42708 मतों के साथ चंद्रशेखर बैद की जीत हुई.
2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर चंद्रशेखर बैद को ही टिकट दिया तो वहीं बीजेपी ने दिग्गज नेता राजेंद्र राठौड़ को चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में राजेंद्र राठौड़ 54,517 मतों से तारानगर के विधायक चुने गए जबकि चंद्रशेखर बैद की हार हुई और उन्हें 36,904 मत हासिल हुए.
2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जय नारायण पूनिया को टिकट दिया वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर डॉक्टर चंद्रशेखर बैद पर ही दांव खेला. इस चुनाव में मोदी लहर पर सवार जय नारायण पूनिया की जीत हुई और उन्हें 65,654 वोट मिले तो वहीं चंद्रशेखर बैद 54,518 मत हासिल कर सके और उसके साथ ही जय नारायण पूनिया की जीत हुई.
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार बदले जहां कांग्रेस की ओर से नरेंद्र बुडानिया चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं भाजपा ने राकेश जांगिड़ को टिकट दिया. इस चुनाव में राकेश जांगिड़ को 44,413 मत मिले तो वहीं नरेंद्र बुडानिया 56,262 मत हासिल करने में कामयाब हुए और उसके साथ ही नरेंद्र बुडानिया की इस चुनाव में जीत हुई.
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