Bikaner News: एक चरखे में पूरा भारत... तीन साल की मेहनत से बनकर हुआ तैयार, देश दुनिया से पर्यटन पहुंच रहे देखने
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Bikaner News: एक चरखे में पूरा भारत... तीन साल की मेहनत से बनकर हुआ तैयार, देश दुनिया से पर्यटन पहुंच रहे देखने

Bikaner News: बीकानेर में आज गांधी जयंती पर एक कलाकार ने बापू को नमन करते हुए बापू के सबसे प्रिय चरखे का निर्माण किया है. जिसे देख हर कोई हैरान है. जहां सोने की नक्काशी से कई सालों की मेहनत के बाद बीकानेर के रहने वाले कलाकार राम भादानी ने इस अनोखा चरखे का निर्माण किया है.

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Bikaner News: राजस्थान के बीकानेर में आज गांधी जयंती पर एक कलाकार ने बापू को नमन करते हुए बापू के सबसे प्रिय चरखे का निर्माण किया है. आज देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को जयंती है पूरा देश बापू को अपने अपने तरीके से याद और नमन कर रहा है लेकिन बीकानेर में एक कलाकार ने बापू को नमन करते हुए बापू के सबसे प्रिय चरखे का निर्माण किया है जिसे देख हर कोई हैरान है. जहां सोने की नक्काशी से कई सालों की मेहनत के बाद बीकानेर के रहने वाले कलाकार राम भादानी ने इस अनोखा चरखे का निर्माण किया है.

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1942 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ओर से अंग्रेजों के खिलाफ आजादी को लेकर लड़ी जिसे आज एक क्रांति के नाम से जाना जाता है. महात्मा गांधी का चरखा सदा उनके एक पहचान के रूप में रहा है. बीकानेर में एक शख्स ने बापू के प्रिय चरखे को अपनी नवाचार से कुछ इस तरह से बनाया कि पूरा भारत एक चरखे में समाया नजर आता है.

 

गांधी जयंती के इस अवसर पर बीकानेर के इस शख्स ने बापू के चरखे में पिरोया पूरा भारत, सोने की नक्काशी से बनाए चरखे में लगे 3 साल से अधिक का समय लगा है. 1942 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ओर से अंग्रेजों के खिलाफ आजादी को लेकर लड़ी गई थी. महात्मा गांधी का चरखा सदा उनके एक पहचान के रूप में रहा है. बीकानेर में जाये जन्मे चित्रकार राम कुमार भादाणी ने बापू के प्रिय चरखे को अपनी नवाचार से कुछ इस तरह से बनाया कि पूरा भारत एक चरखे में समाया नजर आता है.

 

हजार हवेलियों के शहर के रूप में बीकानेर की पहचान है. अपने नमकीन के तीखेपन और रसगुल्लों की मिठास के लिए तथा एक अनोखा गोल्डन आर्ट में तैयार किया गया चरखा भी प्रसिद्धि हो रहा है देश ही नहीं विदेशों तक याद किया जाने वाला यह शहर अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ आज आगे बढ़ रहा है. पूरी दुनिया में एकमात्र बीकानेर ही एक ऐसा शहर है जिसकी उस्ता कला यानी कि सोने की नक्काशी कलाकारी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. 

 

बीकानेर की इस प्राचीन कला में नवाचार करते हुए अब यहां की बीकानेर गोल्डन आर्ट भी प्रसिद्धि पा रही है. इसी कला के साथ बीकानेर के चित्रकार राम कुमार भादाणी ने महात्मा गांधी के प्रिय चरखे में पूरे देश को पिरोने का प्रयास किया है. महात्मा गांधी की बदौलत चरखा देश के आर्थिक स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बना था. चरखे जैसी सामान्य चीज महात्मा गांधी के हाथों में आते ही सोए हुए भारत में नई जान फूंक कर विश्व पटल पर नई ताकत के साथ उठ खड़े होने का दैवीय शस्त्र बन गया था.

 

आर्टिस्ट रामकुमार भादानी कहते हैं कि उनके मन में एक विचार आया कि कुछ ऐसा बनाया जाए जो विविधता में एकता और भारत की एकरूपता और अखंडता को प्रदर्शित करें और ऐसा लगे कि एक जगह पूरा भारत है. महात्मा गांधी इस पूरे विचार में केंद्र में थे, क्योंकि वे देश के राष्ट्रपिता है और इसी से जोड़ते हुए चरखा दिमाग में आया और फिर इस चरखे को बनाया. जिसमें भारत के सभी राष्ट्रीय चिन्ह, राष्ट्रभाषा, महात्मा गांधी के तीन बंदर उनका चश्मा उनकी घड़ी सबको समाहित किया. वो कहते हैं कि सत्यमेव जयते हमारा परम वाक्य है. 

 

इसको शामिल करते हुए अशोक चक्र की 24 तीलियों और उनके नामो का उल्लेख भी इस चरखे में किया गया है. ताकि देखने वाला हमारी संस्कृति हमारे अखंडता और विविधता इन सब से परिचित हो. वो कहते हैं कि इस चरखे को बनाने का ख्याल जब मन में आया और तब पता नहीं था कि यह कैसा बनेगा, लेकिन 3 साल बाद में मेहनत रंग लाई और कई गणमान्य लोगों ने इस चरखे को देखकर उनकी कलाकारी को सराहा है.

 

 

जिनमें केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र, बीकानेर के वर्तमान संभागीय आयुक्त तथा बीकानेर के जिला कलेक्टर महोदया नम्रता वृष्णि ने भी रामकुमार के इस चरखे को देख कर काफ़ी सरहना की है. भादाणी बताते है हैं कि उनकी इच्छा है कि यह चरखा भारत की महामहिम या फिर प्रधानमंत्री को वो भेंट करें और यह चरखा भारत की संसद में स्थापित हो सके ताकि लोग इस चरखे को देखकर हमारी देश की संस्कृति को समझें और बीकानेर की यह सुनहरी कलम (उस्ता कला) भी एक मंच पर स्थान पा सके.

 

गोल्डन आर्ट के आर्टिस्ट रामकुमार भादानी कहते हैं कि मैं पिछले 15 सालों से इस कला के माध्यम से अनेक को नवाचार करने में जुटे हुए है. हालांकि अब यह इनकी जीविकोपार्जन का भी साधन है. वे कहते हैं कि बीकानेर गोल्डन आर्ट की पहचान है और धीरे-धीरे यह लोगों तक पहुंचे जिसमे आम उपयोगी वस्तुवो पर वह कर रहें है ताकि हार कोई इस कला को आपने उपयोग में ला सके.

 

रामकुमार कहते हैं कि उनके गोल्डन आर्ट के बने हुए अलग-अलग आइटम मोमेंटो कई गणमान्य लोगों को बतौर प्रतीक चिन्ह कई अवसर पर भेंट किए गए हैं. पिछले दिनों बीकानेर के दौरे पर आए कला महोत्सव में आये राष्ट्र पति महोदया,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जो प्रतीक चिन्ह भेंट किया वह मेरे ही बनाया हुआ था. इसके अलावा भारत के मुख्य न्यायाधीश को तथा केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल जी को भी बीकानेर दौरे पर उनके द्वारा बनाया गया मोमेंटो भेंट किए जा चुके हैं. 

 

वे अपनी कला के चलते रामकुमार राज्य और जिला स्तर पर कई बार सम्मानित हो चुके हैं तथा राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर की कला महोत्सव में भी भागीदारी रख चुके हैं. इसी के साथ वह इस सुनहरी कला को जीवंत रखने के लिए देसी व विदेशी कलाकारों को इस कला में पारंगत कर इस कला को जीवंत रखने का एक अनूठा प्रयास कर रहे हैं. हाल ही में बीकानेर की सुनहरी कलम (उस्ता कला ) को जी. आई. टैग भी प्राप्त हो चुका है.

 

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