Dungarpur news: डूंगरपुर जिले की क्रय विक्रय सहकारी समिति डूंगरपुर के चुनाव की मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी के आरोप लगे है.मतदाता सूची को लेकर 9 लोगों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है .निर्वाचन अधिकारी को पेश की गई आपत्तियों में बताया गया है कि फर्जी तरीके से 3 लैंप्स के नाम मतदाता सूची में जोड़े गए हैं
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Dungarpur : डूंगरपुर जिले की क्रय विक्रय सहकारी समिति डूंगरपुर के चुनाव की मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी के आरोप लगे हैं. मतदाता सूची को लेकर 9 लोगों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है . निर्वाचन अधिकारी को पेश की गई आपत्तियों में बताया गया है कि फर्जी तरीके से 3 लैंप्स के नाम मतदाता सूची में जोड़े गए हैं. वही 7 लैंप्स के नाम हटाये गए है.
डूंगरपुर क्रय विक्रय समिति सहकारी समिति के चुनाव में अब दलगत राजनीति खुलकर सामने आ गई है .कांग्रेस समर्थित निवर्तमान बोर्ड पर मतदाता सूचियों में घालमेल करने की आरोप लगे हैं. दरअसल क्रय विक्रय सहकारी समिति के चुनाव 10 अप्रैल को होने हैं और इसे लेकर 27 मार्च को अधिसूचना जारी की गई थी .जिसमें मतदाता सूचियों में आक्षेप दर्ज कराने के लिए आज दोपहर 1 बजे तक का समय नियत था.
भारतीय जनता पार्टी समर्थित नौ कार्यकर्ता जिसमे निवर्तमान उपाध्यक्ष राकेश जैन भी शामिल है वे सभी बड़ी संख्या में क्रय विक्रय सहकारी समिति पहुंचे और निर्वाचन अधिकारी से मिले. प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि अ श्रेणी मतदाता सूची के क्रम संख्या 2 पर दामडी, क्रम संख्या 4 पर बिलडी और क्रम संख्या 7 पर पीपलादा लैंप्स का नाम दर्ज है. जबकि नियमानुसार तीनो लैंप्स ने साल 2021-22 में किसी भी प्रकार की खरीदी समिति से नहीं की है ना ही कोई राशि समिति को जमा करवाई है.
इसके प्रमाण के रूप में प्रतिनिधिमंडल ने तीनों लैंप्स की ऑडिट रिपोर्ट भी निर्वाचन अधिकारी को पेश करते हुए बताया कि इस ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार किसी भी तरीके का समिति से लेनदेन नहीं होना प्रमाणित होता है.ऐसे में फर्जी तरीके से बिल बनाकर पेश किए गए हैं.इधर डूंगरपुर केवीएसएस के कार्य क्षेत्र में कुल 16 लैंप्स आते हैं जिसमें से केवल 7 लेंस का ही नाम मतदाता सूची में दर्शाया गया है.
ऐसे में अपात्रों को लाभ दिए जाने और पात्र को मतदाता सूची से बाहर की जाने की शिकायत निर्वाचन अधिकारी ने दर्ज कर ली है. साथ ही प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी दी है कि गलत तरीके से रसीदें पेशकर मतदाता सूची में शामिल हुए तीनों लैंप्स के नाम नहीं हटाए गए तो मजबूरन अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. साथ ही रिकॉर्ड में हेराफेरी करने के मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.