Hanumangarh News: इस गांव में बेटियों के खेलने पर थी पाबंदी, क्रिकेट खिलाड़ी आरजू बिश्नोई ने दिए हर लड़की के सपनों को पंख
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Hanumangarh News: इस गांव में बेटियों के खेलने पर थी पाबंदी, क्रिकेट खिलाड़ी आरजू बिश्नोई ने दिए हर लड़की के सपनों को पंख

Hanumangarh News:  राजस्थान का एक ऐसा ग्रामीण इलाक़ा जहां लड़कियों के लिए खेलकूद और उच्‍च शिक्षा के सपने देखना पाप माना जाता था. लेकिन आज बेटियां हर क्षेत्र में नाम राम रोशन कर रही हैं.

Hanumangarh News: इस गांव में बेटियों के खेलने पर थी पाबंदी, क्रिकेट खिलाड़ी आरजू बिश्नोई ने दिए हर लड़की के सपनों को पंख

Hanumangarh News: राजस्थान का एक ऐसा ग्रामीण इलाक़ा जहां लड़कियों के लिए खेलकूद और उच्‍च शिक्षा के सपने देखना पाप माना जाता था. लेकिन आज बेटियां हर क्षेत्र में नाम राम रोशन कर रही हैं. लगभग 5-6 वर्ष पहले लड़कियों के लिए खेल के नाम पर घर के दालान में अपने भाई-बहनों के संग कुछ खेलने तक ही पर्याप्‍त था. गांव में आलम यह था कि गांव के कुछ लड़के भले ही ग्रामीण क्रिकेट प्रतियोगिताओं में हिस्‍सा लेने बाहर चले जाएं मगर लड़कियों के लिए मनाही थी. लड़कियां सिर्फ़ औपचारिक रूप से स्‍कूल जातीं और घर का काम करतीं. लेकिन एक 25 वर्षीय लड़की की बदौलत आज गाँव का माहौल ही बदल गया.

हनुमानगढ़ के नजदीकी तंदूरवाली गाँव की एक होनहार क्रिकेट खिलाड़ी आरजू बिश्नोई ने पूरे गांव की बेटियों की तकदूर बदल दी है. 18 साल की उम्र मे आरजू भारी जदोजहद के बाद घर से बाहर क्रिकेट सीखने के लिए और अलग-अलग स्तर पर सफलता के झंडे गाड़े. लेकिन आरजू को एक मलाल भी था और एक सपना भी था की जिस तरह से क्रिकेट सीखने मे उसको परेशानियां आई वो परेशानियां दूसरी खेलने वाली ग्रमीण लड़कियों और लड़को को नहीं आये.

इसी सोच को लेकर आरजू वापिस अपने घर गाँव तंदूरवाली पहुँची और एक क्रिकेट एकेडमी खोलने की मंशा जताई. लेकिन उसके लिए करीब 10 बीघा जमीन और 10 लाख रुपए की जरूरत थी. माता-पिता ने बेटी का सपना पूरा करने के लिए बेटी की बात मान लीं. हलाँकि लाखों की जमीन और उससे हर साल होने वाली लाखों की आमदनी का भारी नुकसान हुआ. लेकिन बेटी के लिए सब कुर्बान कर दिया.

अब आरजू की एकेडमी मे 40 से 50 के बच्चे क्रिकेट सीख रहे हैं. इतना ही नहीं आरजू एक "आरजू हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन" नाम से NGO भी चला रही है,जिसमे जरूरतमंद बच्चों को स्पोर्ट्स की किट,जूते या अन्य जरूरत की वस्तुएँ निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाती है.

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