Rajasthan Congress : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दो सिपहसालार मंत्रियों की जिलाध्यक्ष पद से छुट्टी हो सकती है. प्रदेश और जिला कांग्रेस कमेटी में किसी पद पर 5 साल रहने के बाद वो पद छोड़ना होगा. साथ ही उस पद पर वो पदाधिकारी रिपीट भी नहीं होगा.
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Rajasthan Congress : राजस्थान की सियासत में चुनावी साल को लेकर कवायद तेज होती जा रही है. कांग्रेस ने सरकार और संगठन स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में अब पिछले साल उदयपुर में हुए चिंतन फॉर्मूले को लागू किए जाने को लेकर कवायद तेज है. अगर यह फार्मूला लागू होता है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दो सिपहसालार मंत्रियों की जिलाध्यक्ष पद से छुट्टी हो सकती है.
दरअसल चुनावी साल को लेकर संगठन को मजबूत करने की तैयारी की जा रही है. इसी कड़ी में अब उदयपुर फॉर्मूले को भी लागू किया जाएगा. इस फॉर्मूले के तहत किसी भी नेता को प्रदेश और जिला कांग्रेस कमेटी में किसी पद पर 5 साल रहने के बाद वो पद छोड़ना होगा. साथ ही उस पद पर वो पदाधिकारी रिपीट भी नहीं होगा.
इस फॉर्मूले के तहत मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को जयपुर जिला अध्यक्ष पद छोड़ना होगा. खाचरियावास को इस पद पर चार साल से ज्यादा का वक्त हो चूका है. वहीं मंत्री राजेंद्र यादव को भी यह पद त्यागना होगा. यादव जयपुर ग्रामीण कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं. उन्हें भी इस पद पर लम्बा वक्त हो चूका है. साथ ही कई ऐसे विधायक भी हैं जो जिला अध्यक्ष भी हैं. ऐसे सभी विधायक और मंत्रियों की पद से छुट्टी होना तय है.
पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा भी कह चुके हैं कि उदयपुर चिंतन शिविर का फार्मूला लागू किया जाएगा. इसके तहत कोई भी व्यक्ति सिर्फ 5 साल ही किसी भी पद पर बना रह सकता है. इसके बाद वो उस पद पर नहीं रह सकेगा. राजस्थान में भी प्रदेश और जिला स्तर पर इस फॉर्मूले को लागि किया जाएगा. जिन पदाधिकारियों ने 4 साल भी पूरे कर लिए हैं उन्हें भी पद त्यागना होगा. क्योंकि फिर एक साल बाद उस पद नियुक्ति करनी पड़ेगी. हालांकि डोटासरा ने इस बात को भी माना कि इस कवायद में कुछ नेता नाराज भी हो जाएंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें मना लिया जाएगा.
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