Jaipur: राजधानी जयपुर के निवारू रोड डिफेंस कॉलोनी में एक मकान के दो अलग-अलग पट्टे जारी होने के मामले में नगर निगम ग्रेटर प्रशासन अपने ही बयानों में फंसता जा रहा है.भले ही अफसरों ने जांच रिपोर्ट में अधिकारियों और कर्मचारियों को क्लीन चिट दे दी हो.
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Jaipur: जयपुर विकास प्राधिकरण से 2007 में पट्टा जारी होने के 16 साल बाद उसी प्लाट का नगर निगम ग्रेटर से पट्टा जारी हो गया.हालांकि निगम प्रशासन इस पट्टे को फर्जी करार दे रहा हैं.लेकिन पट्टा तो फर्जी बन गया,साइन भी फर्जी स्कैन हो गए.लेकिन नगर निगम के डिस्पैच रजिस्टर में उस पट्टे की एंट्री 3 मार्च 2023 को कैसे हुई.
अब झूठ का सहारा..
नगर निगम ग्रेटर प्रशासन अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए अब झूठ का सहारा ले रहा हैं.निवारू रोड स्थित डिफेंस कॉलोनी के भूखण्ड संख्या 40 के जेडीए और नगर निगम ग्रेटर से जारी पट्टों को लेकर गुत्थी सुलझने की बजाय उलझती जा रही हैं.जयपुर विकास प्राधिकरण से तो मूल फाइल मंगवाने के बाद तस्वीर साफ हो गई की पट्टा शांति देवी के नाम से 2007 में जेडीए से जारी हुआ हैं.
इस हस्ताक्षर से जारी हुआ वो फर्जी था
लेकिन उसके 16 साल बाद यानि की 3 मार्च 2023 को उसी प्लाट का पट्टा नगर निगम ग्रेटर मेयर डॉक्टर सौम्या गुर्जर और उपायुक्त आयोजना सोहनराम चौधरी के हस्ताक्षर से जारी हुआ वो फर्जी था तो डिस्पैच रजिस्टर में उसकी एंट्री कैसे हुई और किसने की.क्योंकि नगर निगम ग्रेटर उपायुक्त सोहनराम चौधरी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा हैं की विकास शर्मा के नाम से जारी पट्टे पर किसी भी कर्मचारी-अधिकारियों के हस्ताक्षर,मोहर,सील नही हैं.
पट्टे पर निगम में कोई भी नियमन राशि,लीज राशि,यूडी टैक्स भी जमा हुआ नही हैं.न ही नगर निगम की ओर से इस भूखंड का विकास शर्मा के नाम से पट्टा जारी हुआ.निगम के रिकॉर्ड के अनुसार इस भूखंड का पट्टा शांति देवी पत्नी मातादीन अग्रवाल के नाम से जेडीए द्वारा किया हुआ हैं.
साइन,मुहर नही है
इस स्पष्टीकरण के बाद फिर सवाल उठ रहा है की नगर निगम से पट्टा जारी नहीं हुआ,किसी अधिकारी-कर्मचारी के साइन,मुहर नही हैं.तो फिर नगर निगम ग्रेटर के डिस्पेच रजिस्टर में इस पट्टे की एंट्री कैसे हुई.इस पट्टे की एंट्री किसने की इसकी क्यों जांच नहीं की जा रही हैं.डिस्पेच रजिस्टर में जो भी कागज निकलता है उसकी एंट्री होती हैं.और सरकारी बाबू से लेकर अफसरों के पास ही ये रजिस्टर होता हैं.
कोई बड़ी बात नहीं
उधर नगर निगम ग्रेटर प्रशासन के बेतुका बयान से ये भी साफ हो गया हैं की अगर आपका कोई खाली भूखण्ड है और उसका पट्टा जेडीए से जारी हो चुका है तो भी आप सावधान हो जाए.क्योंकि नगर निगम से कब आपके भूखण्ड का दूसरा पट्टा कोई दूसरा व्यक्ति अपने नाम से जारी करवा ले तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है.क्योंकि इसके बाद न तो नगर निगम के अधिकारी खुद को जिम्मेदार मानेंगे और न ही उस पट्टे को निरस्त करने की कोई कार्रवाई करेंगे.हाल ही में जो डिफेंस कॉलोनी के एक भूखण्ड का दूसरा पट्टा जारी होने का मामला सामने आया है.
नगर निगम से जारी नहीं हुआ है
उसके बाद नगर निगम अधिकारियों ने उस पट्टे को निरस्त करने से मना कर दिया.अधिकारियों ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि जो पट्टा बाजार में आया है वह नगर निगम से जारी नहीं हुआ है और इसे निरस्त करने की जरूरत नहीं है.जबकि पट्टा रजिस्ट्री डिपार्टमेंट से रजिस्टर्ड हो चुका है और उसका डिस्पेच नगर निगम मुख्यालय में रखे डिस्पेच रजिस्ट्रर से हुआ है.
पट्टा जेडीए से साल 2007 में जारी हुआ था
साथ में करधनी थाना में इस मामले की एफआईआर दर्ज करवाने के लिए भी तैयारी की जा रही हैं.आपको बता दें कि निवारू रोड स्थित डिफेंस कॉलोनी के भूखण्ड संख्या 40 का पहली बार पट्टा जेडीए से साल 2007 में जारी हुआ था.लेकिन इस साल मार्च में उसी भूखण्ड का फ्री होल्ड पट्टा नगर निगम ग्रेटर से विकास शर्मा के नाम से जारी हुआ है.इस पट्टे पर नगर निगम उपायुक्त,मेयर समेत दूसरे अधिकारियों के हस्ताक्षर भी है,जो उन्हीं अधिकारियों और जनप्रतिनिधि के हस्ताक्षर से मैच करते है.
अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत
बहरहाल,नगर निगम उपायुक्त आयोजना की ओर से जारी एक रिपोर्ट में नगर निगम के कर्मचारियों-अधिकारियों की लिप्तता को गलत बताया है.उपायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जो फर्जी पट्टा नगर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से जारी होने का आरोप लगा रहे है. वह निराधार है.इसमें निगम का कोई कर्मचारी-अधिकारी शामिल नहीं है.जबकि सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर नगर निगम के डिस्पेच रजिस्टर्ड में किसने उसकी एंट्री करके उसे डिस्पेच किया?
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