Jaipur News: हरियाणा के रण में राजस्थान के नेता भी सक्रिय थे. दरअसल पड़ौसी राज्य होने के कारण सीमा से लगते ज़िलों और विधानसभा सीटों पर तो नेताओं की सक्रियता रही ही. साथ ही जातिगत समीकरण और सोशल इन्जीनियरिंग के हिसाब से भी डिमान्ड बनी रही.
बीजेपी की तरफ़ से बड़े चेहरों की करें तो मुख्यमन्त्री भजनलाल शर्मा की सक्रियता खूब रही. सतीश पूनिया ने संगठन प्रभारी के रूप में कमान संभाली. कांग्रेस की तरफ़ से भी अशोक गहलोत, गोविन्द डोटासरा, सचिन पायलट, टीकाराम जूली समेत राजस्थान से सांसद और विधायक भी सक्रिय रहे.
इन सबके बीच हरियाणा चुनाव को लेकर नतीजों से पहले जो प्रचार था. उसके उलट आए नतीजों ने राजस्थान बीजेपी को भी उत्साहित कर दिया है. अब आकलन इस बात का भी हो रहा है कि राजस्थान में होने वाले सात सीटों के उपचुनाव और सीएम भजनलाल शर्मा की सरकार पर इस चुनाव का क्या असर होगा?
दरअसल यह चर्चा इसलिए भी है क्योंकि हरियाणा और राजस्थान की सीमा लगती हुई है. खास बात यह की अलवर के रामगढ़ और झुंझुनूं के ज़िला मुख्यालय की सीट पर तो हरियाणा की भावनाओं का सीधा असर होता है. साथ ही एक पहलू यह भी कि सीएम भजनलाल शर्मा ने हरियाणा में प्रचार किया तो वहां 6 में से 5 सीट बीजेपी जीती और एक पक्ष यह भी कि हरियाणा में बीजेपी के रणनीतिकारों में संगठन प्रभारी के नाते सतीश पूनिया की बड़ी भूमिका रही.