Jaipur News: लाचार नहीं 'दिव्यांग', पीठ पर थपकी के साथ भर सकते हैं उड़ान, शरीरिक कमी से लड़कर मुकाम हासिल करने पर मिला सम्मान
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Jaipur News: लाचार नहीं 'दिव्यांग', पीठ पर थपकी के साथ भर सकते हैं उड़ान, शरीरिक कमी से लड़कर मुकाम हासिल करने पर मिला सम्मान

Jaipur News: दिव्यांगों को सशक्त एवं स्वावलम्बी बनाने के लिए  समारोह का आयोजन किया गया. एसएमएस मेडिकल कॉलेज न्यू एकेडमिक सभागार में हुए समारोह में  उन दिव्यांगों का सम्मान किया गया, जिन्होंने अपनी शारीरिक कमजोरी को छोड़ते हुए हौसलों के दम पर आसमान छुआ.

Jaipur News: लाचार नहीं 'दिव्यांग', पीठ पर थपकी के साथ भर सकते हैं उड़ान, शरीरिक कमी से लड़कर मुकाम हासिल करने पर मिला सम्मान

Jaipur News: दिव्यांगों को सशक्त एवं स्वावलम्बी बनाने के लिए  समारोह का आयोजन किया गया. एसएमएस मेडिकल कॉलेज न्यू एकेडमिक सभागार में हुए समारोह में  उन दिव्यांगों का सम्मान किया गया, जिन्होंने अपनी शारीरिक कमजोरी को छोड़ते हुए हौसलों के दम पर आसमान छुआ. इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि दिव्यांग लाचार नहीं है बस उनकी पीठ पर थपकी मारें फिर वो उड़ान भर सकते हैं.

देश में दिव्यांगों को सशक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए काम कर रही संस्था सक्षम की ओर से विभिन्न कार्य किया जा रहे हैं. सक्षम जयपुर की ओर से दिव्यांग सशक्तिकरण समारोह आयोजित किया गया.  समारोह में राज्य के सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम, जिला कलेक्टर जितेंद्र सोनी, चिकित्सा शिक्षा सचिव बड़ी संख्या में डॉक्टर,  दिव्यांग और गामान्य लोग मौजूद थे.

मुख्य वक्ता सक्षम के राष्ट्रीय महासचिव  उमेश अंधारे ने देश में दिव्यंगता की समस्या उस दिव्यांग व्यक्ति की नहीं है, सिर्फ उस परिवार की नहीं है, यह समस्या पूरे समाज की है. इसलिए सक्षम ने समाज में एक ऐसा भाव रखा कि दिव्यांगता समाज का दायित्व है. समाज ऐसा  करें कि वह अपने पैर पर खड़ा होकर अपना जीवन खुद अपने भरोसे स्वाभिमान के साथ व्यतीत करें.

यह भाव सिर्फ भाषण से बोलने से पढ़ने से लिखने से नहीं आने वाला है. वैसे तो सेवा का भाव हमारे भारत के जन्म से ही शुरू होता है. सभी व्यक्ति कुछ ना कुछ स्वरूप में सेवा करना चाहते हैं, सिर्फ उनको दिशा देने की जरूरत है. दिव्यांग व्यक्ति भी यह बेचारा नहीं है यह हमारे लिए समस्या तो बिल्कुल नहीं है. अगर हम सब लोग यह ठान लें कि अगर हम थोड़ी भी उनकी सहायता करते हैं, सेवा भाव से करते हैं तो दिव्यांग व्यक्ति भी हमसे आगे जा सकते हैं.

 केंद्र सरकार की ओर से 2016 में दिव्यांगों के लिए कानून लाया गया, जिसमें उनके लिए सभी प्रावधान किए गए हैं.  जरूरत है इनका इंप्लीमेंटेशन होना चाहिए, हम सबको और सेंसिटिव होने की आवश्यकता है. जिला कलेक्टर जितेंद्र सोनी ने कहा दिव्यांगों के लिए स्कूल की पढ़ाई से लेकर विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनाएं हैं. जिला प्रशासन सहित सरकार जिला प्रशासन सहित सरकार इन योजनाओं को लागू करने में जुटी है.

वहीं कई ऐसे कार्य है वहीं कहीं ऐसे कार्य है, जो सामुदायिक तौर पर हर कोई कर सकता है. उसके लिए प्रशासन का हिस्सा होने की जरूरत नहीं है. दिव्यांग को सहानुभूति की जरूरत नहीं है. उसकी दया भावना की जरूरत नहीं है , वह सोचता है कि कि पीठ पर थपकी दें तो  मैं आसमान छू सकता हूं. पीठ पर थपकी आपके अंदर से आती है. 

सक्षम पदाधिकारी की ओर से सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत को मांग पत्र सौंपा गया.  दिव्यांगजनों के लिए प्रतिमाह 3000 रुपए  मासिक पेंशन का प्रावधान किया जाए.  जिला अस्पतालों के जिला अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट स्पीच थैरेपिस्ट ऑडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति की जाए. सभी सरकारी अस्पतालों में दिव्यांगजनों को प्राथमिकता से उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए.

पैरा ओलंपिक खिलाड़ी देवेंद्र झांझड़िया ने कहा कि वर्ष 2014 के बाद केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों को कारण पैरा ओलंपिक में देश का नाम रोशन किया जा रहा है. 2008 जो बीजिंग पैरा ओलंपिक हमारा एक भी मेडल नहीं है. 2012  लंदन पैरालंपिक में मात्र एक सिल्वर मेडल आया. लेकिन 2016 में हमने चार मेडल जीते, वर्ष 2000 टोक्यो पैरालंपिक में हमने 19 मैडल जीटी.  पैरालंपिक में हमने 60 साल में 30 मेडल जीते थे,  टोक्यो ओलंपिक में हमने 29 पदक जीते, 7 गोल्ड 13 सिल्वर मेडल जीते थे. विधायक गोपाल शर्मा ने कहा दिव्यंगता की ताकत के बल पर ऋषि मुनियों ने समाज के सामने श्रेष्ठ उदाहरण रखे है. 

कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा केंद्र सरकार ने दिव्यांगों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू कर रखी है.  प्रधानमंत्री मोदी ने 7 श्रेणी से बढ़ाकर 21 श्रेणी की है. राजस्थान में दिव्यांग को 1100 पेंशन देते हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण पर जोर देते हुए कहा कि सेवा, संस्कार और स्वावलंबन को समाज में बढ़ावा देना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन संघर्ष और जीत के प्रतीक हैं. समाज की जिम्मेदारी है कि दिव्यांगजनों तक योजनाओं का लाभ पहुंचे. उन्होंने कहा कि सेवा भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. हमारा देश धर्म और अध्यात्म प्रधान है. इसलिए सेवा के भाव  और सेवा का संस्कार यहां के डीएनए में है.

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