दादाजी और पिताजी भी लगभग 175 साल से फुटपाथ पर फोटोग्राफी का व्यवसाय कर रहे हैं. टीकम पहाड़ी लगभग 175 साल पुराने अपने पुरखों के कैमरे से आज भी फोटोग्राफी करते नजर आते हैं.
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Jaipur: आज तक आपने कैमरे से फोटो क्लिक करते हुए बहुत से लोगों को देखा होगा, लेकिन आज हम एक ऐसे फोटोग्राफर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके कैमरे से फोटो क्लिक करने के लिए दूर-दूर से सैलानी गुलाबी नगरी जयपुर आते हैं.
आधुनिकता, डिजिटलाइजेशन चकाचौंध की भागती दौड़ती जिंदगी में आम आदमी सबको पछाड़ कर आगे निकलने की कोशिश कर रहा है. वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इन सब चीजों से दूर अपने पुरखों के व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं.
जी हां ऐसे ही है जयपुर के टीकम पहाड़ी फोटोग्राफर. यह लगभग 40 सालों से हवा महल के पास स्ट्रीट फोटोग्राफर का काम कर रहे हैं. इसी जगह पर उनके दादाजी और पिताजी भी लगभग 175 साल से फुटपाथ पर फोटोग्राफी का व्यवसाय कर रहे हैं. टीकम पहाड़ी लगभग 175 साल पुराने अपने पुरखों के कैमरे से आज भी फोटोग्राफी करते नजर आते हैं.
स्ट्रीट फोटोग्राफर टीकम पहाड़ी ने बताया कि उनके दादाजी और पिताजी इसी 175 साल पुराने जमाने के कैमरे से फोटोग्राफी करते थे. उनके पेशे को आगे बढ़ाने का काम मैं कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि दादाजी को फोटोग्राफी का शौक था, जिसके चलते उन्होंने उस समय में जर्मनी से इस कैमरे को मंगवाया था. इस कैमरे को पहले मेरे दादाजी चलाया करते थे. फिर उनके पिताजी ने इस कैमरे को चलाया और आज मैं खुद इस कैमरे को चला रहा हूं.
टिकम ने बताया कि जब मैं छोटा था तब पिताजी को खाना देने के लिए आता था तभी से मुझे फोटोग्राफी का शौक लगा, लेकिन पिताजी ने आर्थिक हालातों को देखते हुए मुझे फोटोग्राफी व्यवसाय करने के लिए मना करा, लेकिन मैं माना नहीं और मैंने तय किया कि अपने दादाजी की इस विरासत को मैं आगे लेकर जाऊंगा. टीकम 1977 से इस कैमरे को चला रहे है. इस कैमरे को मिंट कैमरे और बॉक्स कैमरे के नाम से भी जाना जाता है.
एक और जहां बड़े-बड़े स्टूडियो चकाचौंध लाइटिंग में डिजिटल कैमरे से फोटो ग्राफी की जाती है. वहीं, टीकम रोड पर काले कपड़े का बैकग्राउंड बनाकर फोटोग्राफी करते नजर आते हैं. 20 किलो वजन के कैमरे की बॉडी लकड़ी की बनी हुई है, इसी के साथ ही कैमरे का स्टैंड भी लकड़ी का ही है. आज इस कैमरे के पार्ट्स मिलना नामुमकिन है, वहीं, फोटो तैयार करने में काम आने वाला पेपर और केमिकल भी फ्रांस, जर्मनी से ही मंगवाना पड़ता है.
इसके चलते उनकी फोटोग्राफी काफी महंगी होती है. टीकम ने कैमरे की खासियत बताते हुए कहा कि इस कैमरे के अंदर ही डार्करूम यानी कि लैब है, जिसमें ब्लैक एंड वाइट फोटोग्राफ तैयार किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ शौकिया लोग ही उनसे फोटो खिंचवाते हैं, बाकी के लोग उनकी कैमरे के साथ फोटो क्लिक कर आगे बढ़ जाते हैं. पहाड़ी ने संतोष जताते हुए कहा कि कोई उनसे फोटो खिंचवाए या नहीं यह उस पर निर्भर करता है, लेकिन जयपुर दर्शन करने वाले सैलानियों के दिलों में मेरी फोटो बसी हुई है, यही मेरे लिए सबसे बड़ी पूंजी है.
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टिकम के कैमरे से फोटो देशी-विदेशी ग्राहक होते है, लेकिन अगर तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो विदेशी पर्यटकों की संख्या ज्यादा होती है. विदेशी लोगों में इस कैमरे के प्रति काफी आकर्षण देखने को मिलता है. भारतीय लोग इस कैमरे को बहुत कम अहमियत देते हैं. यह कैमरा भूल भुलैया के साथ ही और भी फिल्मों में दिखाया जा चुका है.
Reporter- Anoop Sharma
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