4 Tigers Will be Shifted from Ranthambore: पर्यटन सीजन शुरू होने से वन्यजीव सफारी के लिए भी पर्यटकों की बुकिंग मांग देखी जा रही है. वन विभाग ने पर्यटकों का वन की ओर बढ़ता रूख और वन्यजीवों के प्रति जागरूक लाने के भी प्रयास है. वन विभाग अब रामगढ़ के बाद अब मुकन्दरा और सरिस्का को बाघ छोड़ देगा.
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4 Tigers Will be Shifted from Ranthambore: पर्यटन सीजन शुरू होने से वन्यजीव सफारी के लिए भी पर्यटकों की बुकिंग मांग देखी जा रही है. वन विभाग ने पर्यटकों का वन की ओर बढ़ता रूख और वन्यजीवों के प्रति जागरूक लाने के भी प्रयास है. वन विभाग अब रामगढ़ के बाद अब मुकन्दरा और सरिस्का को बाघ छोड़ देगा. रणथम्भौर के नॉन ट्यूरिज्म से 4 बाघ शिफ्ट किए जाएंगे. विषधारी वन में एक ओर बाघिन को शिफ्ट किया जाएगा.
सरिस्का और मुकन्दरा में बाघ-बाघिन का जोड़ा शिफ्ट किया जाएगा
सरिस्का और मुकन्दरा में बाघ-बाघिन का एक-एक जोड़ा शिफ्ट किया जाएगा. एनटीसीए से मिली मंजूरी के बाद अगले सप्ताह वन विभाग शिफ्टिंग की तैयारी करेगा. राजस्थान में दो टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट है. रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 78 बाघ-बाघिन है जबकि सरिस्का में 24 बाघ की पीढ़ी उम्रदराज हो चुकी ऐसे में सरिस्का को बाघ-बाघिन दोनों की जरूरत है. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर के दिशा निर्देश पर रणथम्भौर में बढ़ती बाघ की आबादी में संतुलन करना की जरूरत बताई. वहीं मुकन्दरा,सरिस्का और रामगढ़ को बाघ-बाघिन की जरूरत है. अब जल्द ही इनमें बाघ-बाघिन छोडे़ जाएंगे.
वन विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी
राज्य वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार से एक और मंजूरी मिलने के बाद दो बाघों को मुकुंदरा और सरिस्का बाघ अभयारण्य भेज दिया जाएगा. रणथंभौर बाघ अभयारण्य के क्षेत्र निदेशक सेडूराम यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “एनटीसीए की तकनीकी समिति ने एक बाघ को सरिस्का और दूसरे को मुकुंदरा में स्थानांतरित करने के राज्य वन विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.”
अगले चरण में दो बाघिनों को स्थानांतरित किया जाएगा
उन्होंने बताया कि अगले चरण में दो बाघिनों को स्थानांतरित किया जाएगा, जिसके संबंध में एक प्रस्ताव भेजा जा चुका है. मुकुंदरा बाघ अभयारण्य के क्षेत्र निदेशक एसपी सिंह ने बताया, “रणथंभौर से एक नर बाघ को मुकुंदरा में स्थानांतरित करने की तैयारी है. इसके बाद एक बाघिन को मुकुंदरा में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है. मुकुंदरा बाघ अभयारण्य कुल 792 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में स्थित है.”
रणथंभौर बाघ अभयारण्य में बाघों की आबादी में वृद्धि देखी गई
बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में रणथंभौर बाघ अभयारण्य में बाघों की आबादी में वृद्धि देखी गई है, जिससे उनके रहने के लिए जगह कम पड़ने लगी है. साथ ही बाघ की पीढ़ी उम्रदराज हो चुकी है. वहीं, प्रदेश के अन्य बाघ अभयारण्यों में बाघों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. रणथंभौर के अलावा राजस्थान में तीन और बाघ अभयारण्य (सरिस्का, मुकुंदरा और नव अधिसूचित रामगढ़ विषधारी अभयारण्य) हैं.
सवाई माधोपुर जिले में 1,334 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले रणथंभौर बाघ अभयारण्य में अभी कुल 78 बाघ हैं, जिनमें 32 मादा और 26 नर बाघ शामिल हैं, जबकि बाकी किशोर बाघ और शावक हैं. एक अधिकारी ने कहा कि चूंकि, रणथंभौर अभयारण्य बाघों के रहने और शिकार के लिए समृद्ध स्थान है, इसलिए वहां बाघों की संख्या अधिक है.अलवर जिला स्थित सरिस्का बाघ अभयारण्य में मौजूद बाघों की संख्या 27 है, जिनमें नौ नर बाघ, 11 बाघिन और 7 शावक शामिल हैं. वहीं, कोटा जिले के मुकुंदरा हिल्स बाघ अभयारण्य में एक बाघिन, जबकि बूंदी जिला स्थित रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में एक बाघ और एक बाघिन हैं.
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रणथंभौर के क्षेत्रीय निदेशक ने कहा, “अभयारण्य में वयस्क बाघों का फैलाव बढ़ रहा है, खासकर उन बाघों का, जिनके पास एक क्षेत्र नहीं है और ऐसे लगभग एक दर्जन बाघ परिधि क्षेत्र में हैं. सिकुड़ता दायरा क्षेत्र को लेकर टकराव के साथ-साथ मानव-पशु संघर्ष की आशंका बढ़ाता है.”
वन विभाग के एक अन्य अधिकारी ने बताया, “रणथंभौर में बाघों की आबादी बढ़ रही है और उन्हें जगह की जरूरत है. दो बाघों को वहां से स्थानांतरित करने के पीछे यही बड़ी वजह है.” रणथंभौर में एक दर्जन से अधिक बाघ जो कि उम्र में काफी छोटे है विशेष निगरानी में हैं, क्योंकि उनके पास अपना कोई क्षेत्र नहीं है और वे परिधि में घूम रहे हैं. अधिकारी के मुताबिक, विभाग इन बाघों की आवाजाही पर नजर रख रहा है और इस बाबत कई ‘कैमरा ट्रैप’ लगाए गए हैं. ‘कैमरा ट्रैप’ एक ऐसा कैमरा होता है, जो अपने आसपास की किसी परिस्थित में बदलाव, जैसे किसी जानवर की उपस्थिति से खुद बखुद सक्रिय हो जाता है.