राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के अलग-अलग शहरों में डीजल के बाद पेट्रोल की किल्लत शुरू हो गई हैं. छोटे कस्बे से लेकर बडे़ शहरों में डीजल के बाद पेट्रोल की किल्लत होने लगी हैं.
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Jaipur: राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के अलग-अलग शहरों में डीजल के बाद पेट्रोल की किल्लत शुरू हो गई हैं. छोटे कस्बे से लेकर बडे़ शहरों में डीजल के बाद पेट्रोल की किल्लत होने लगी हैं. पिछले एक सप्ताह से भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कंपनियां डिमांड के अनुपात में पेट्रोल और डीज़ल की आपूर्ति नहीं कर रही हैं, जिसके कारण दोनों कंपनियों के पेट्रोल पंप ड्राई होने लगे हैं.
पिछले दिनों केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटाकर ग्राहकों को बड़ी राहत दी हो लेकिन तेल कंपनियों की मनमर्जी और सप्लाई पर बैरियर से आम उपभोक्ता को दूसरी समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है. डिपो से पेट्रोल-डीजल नहीं मिलने से पेट्रोल पंप संचालकों ने पंपों पर पेट्रोल और डीज़ल उपलब्ध नहीं होने के बोर्ड लगा दिए हैं. दरअसल एक सप्ताह से भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति घटा दी है. राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के मुताबिक पेट्रोल पंपों पर दोनों तेल कंपनियां 33 प्रतिशत ही पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति कर पा रही हैं. जबकि तेल कंपनियों के प्रतिनिधि इस बात को नकार रहे हैं.
एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनीत बगई का कहना हैं कि राजस्थान में रिलायंस और एस्सार के करीब 1029 पेट्रोल पंप बंद हो गए हैं. दोनों कम्पनियों का राजस्थान में मार्केट शेयर करीब 15 फ़ीसदी है. अब इनके पम्प्स बंद होने से इनका भार तीनों तेल कम्पनियों के पेट्रोल पंपों पर आ गया हैं. यदि तेल कंपनियां ऐसे ही घाटा बता कर पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति कम करती रहीं तो आगामी दिनों में पूरे शहर के पंपों पर पेट्रोल-डीजल खत्म हो जाएगा. अभी तेल कंपनियां दो से तीन दिन में एक बार पेट्रोल-डीजल पंपों तक पहुंचा पा रही हैं.
IOCL-2285
BPCL-1203
HPCL-1511
रिलायंस-110
एस्सार-919
कुल संख्या-6028
राजस्थान में पेट्रोल-डीजल की बिक्री
डीजल-रोज 1.10 करोड़ लीटर
सालाना-400 करोड़ लीटर
पेट्रोल-रोज 23 लाख लीटर
सालाना-85 करोड़ लीटर
ये आ रही दिक्कते
-जयपुर में 100 से ज्यादा पंप ड्राई, प्रदेश में इनकी संख्या 2 हजार पार
-सप्लाई में कमी आने से वाहन चालकों को परेशान होना पड़ रहा,
-वाहन चालक तेल भरवाने के लिए एक पंप से दूसरे पंप की दौड़ लगा रहे हैं।
-तेल की कमी होने से वाहन चालकों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में परेशानी आ रही
-तेल की सप्लाई कम होती रही तो लोगों के वाहन खड़े हो जाएंगे।
-पहले पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से लोग परेशान थे
-अब तेल की सप्लाई की कमी से आमजन को और परेशान होना पड़ रहा
राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनीत बगई का कहना हैं कि बीपीसीएल और एचपीसीएल कम्पनी की तरफ़ से सप्लाई कम की जा रही हैं. जबकि इंडियन आयल कम्पनी राज्य के पूरी सप्लाई दे रही है. बगई का कहना हैं कि अब तक डीजल की सप्लाई कम हो रही थी लेकिन अब पेट्रोल भी मांग के अनुसार नहीं दिया जा रहा हैं सबसे पहले बीपीसी (भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन) ने सप्लाई पर बैरियर लगाया उसके बाद हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने भी सप्लाई कम कर दी, जिसके चलते दोनों कंपनियों के पंप ड्राई होने लगे हैं. इसके साथ ही एडवांस पेमेंट सिस्टम को लागू कर दिया.
पॉलिसी के तहत डीलर्स को 1 दिन पहले पेट्रोल-डीजल का पैसा जमा कराना पड़ता है जबकि पूर्व में डीलर्स को 1 सप्ताह से लेकर 15 दिन की छूट मिलती थी. इस समस्या का निराकरण नहीं हो पाया. वहीं, आईओसीएल अभी भी डीलर्स को उधार पर माल दे रहे हैं. केंद्र सरकार से गुजारिश करेंगे कि जो कंपनियों को लगातार घाटा लग रहा है. उस घाटे की भरपाई किसी न किसी तरह से की जाए ताकि सभी कंपनी सुचारू रूप से पेट्रोल-डीजल दे सकें, क्योंकि इस समय खेतों में बुवाई का समय है.
ऐसे में किसानों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. इसके लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल की सप्लाई को सुचारू रखें. इसके लिए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री को भी पत्र लिखा हैं. उधर तेल कंपनियों की माने तो पिछले साल 2021 में एक से सात जून तक पेट्रोल की सप्लाई 21 हजार किलोलीटर और डीजल की सप्लाई 43 हजार किलोलीटर हुई. जबकि इस साल 2022 के 1 से 7 जून तक का आंकड़ों पर नजर डाले तो पेट्रोल की सप्लाई 60 हजार किलोलीटर और डीजल की सप्लाई 1 लाख 7 हजार किलोलीटर हैं.
बहरहाल, फ्यूल संकट की वजह ये भी बताई जा रही हैं की पेट्रोलियम कम्पनियों को हो रहा घाटा लगातार बढ़ रहा है और इसकी वजह से दो कम्पनी सप्लाई कम दे रही है. अगर ऐसा है तो बड़ा सवाल ये है कि तीनो कम्पनी सरकारी है तो ऐसे में एक कम्पनी कैसे पूरी सप्लाई कर रही है.
इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतें लगातार उछाल पर हैं. क्रूड की दर 120 डॉलर प्रति बैरल तक हो गई है. कुछ दिन पहले अब तक के उच्चतम स्तर 121.28 डॉलर हो गई थी. इस अनुपात में सरकारी कंपनियां तेल की कीमतें नहीं बढ़ा पा रहीं. महंगाई दर रोकने के लिए सरकार ने 2 माह से कीमतें स्थिर की हैं. पेट्रोल में 18 और डीजल में 21 रुपए प्रति लीटर का नुकसान होना बताया जा रहा है. दरअसल 21 मई को केंद्र ने पेट्रोल पर 9.55 रुपए और डीजल पर 7.20 रुपए प्रतिलीटर की एक्साइज ड्यूटी घटाई. पहले से ही तेल की कीमतों में उछाल पर ब्रेक लगा रखा है. BPCL और HPCL कम हो रहे मुनाफे के लिए इसे ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
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