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राजस्थानी शादियों में क्यों लिए जाते हैं चार फेरे?

Rajasthan News: राजस्थान में कई ऐसे रीति-रिवाज निभाएं जाते हैं, जिनको सुनकर बाकी राज्यों के लोग सुनकर चौंक जाते हैं. ऐसे ही राजस्थान के मारवाड़ की कुछ शादियों में चार ही फेरे दिलाए जाते हैं. 

 

पशुओं की रक्षा

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पशुओं की रक्षा

राजस्थान की कुछ शादियों में दूल्हा-दुल्हन को चार फेरे ही दिलाए जाते हैं. कहते हैं कि राजस्थान के लोक देवता पाबूजी ने पशुओं की रक्षा के लिए अपनी शादी में चार ही फेरे लिए थे. इसी के चलते कुछ शादियों में चार ही फेरे लेने का रिवाज है

मातृभूमि पर आक्रमण

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मातृभूमि पर आक्रमण

कहते हैं कि लोक देवता पाबूजी ने देवल चारणी को वचन दिया था. वहीं, जब मातृभूमि पर आक्रमण हुआ, तो उन्हें अपना वचन याद आया. 

फेरे में पल्ला छुड़ा दिया

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फेरे में पल्ला छुड़ा दिया

ऐसे में पाबूजी ने चौथे फेरे में पल्ला छुड़ा दिया और पशु रक्षा के लिए निकल पड़े. इस घटना के बाद वहां के लोगों की शादियों में चार फेरे लेने की परंपरा शुरू हो गई.   

वैदिक धर्म के अनुसार

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वैदिक धर्म के अनुसार

वैदिक धर्म के अनुसार, शादी के समय चार फेरे लिए जाते हैं. ये चार फेरे चार पुरुषार्थों- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के प्रतीक माने जाते हैं. 

7 के स्‍थान पर 4 फेरे

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7 के स्‍थान पर 4 फेरे

चार फेरे लेने का रिवाज राजस्थान के अलावा कुछ अन्‍य राज्‍यों में भी है. जहां 7 के स्‍थान पर 4 फेरे ही लेकर विवाह को सम्मपन्न माना जाता है.