H3N2 influenza enters in Rajasthan: राजस्थान में तेजी से H3N2 इन्फ्लूएंजा के मामलों में बढोतरी देखी जा रही है. प्रदेशभर के अस्पतालों में इस फ्लू के मरीज बढ़ रहे हैं. हालांकि इस अनुपात में अस्पतालों में इस वायरस की सैम्पलिंग नहीं की जा रही है.
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H3N2 influenza enters in Rajasthan: कोरोना देश से पूरी तरह गया नहीं है कि अब सीजनल फ्लू का एक स्वरूप एच 3 एन 2 का खतरा देश में बढ़ गया है.अस्पतालों में खांसी,बुखार, लंग्स इंफेक्शन के मरीजों की संख्या बढ़ चुकी है. हालांकि सर्दियों के बाद जब मौसम बदलता है तो इसी तरह के मरीज इस फ्लू का शिकार होते आए है लेकिन इस बार ये फ्लू लंबे दिनों तक बुखार, खांसी और लंग्स में इंफेक्शन के साथ कमजोरी दे रह है. राजस्थान में भी H3N2 इन्फ्लूएंजा के मामलों में तेजी से बढोतरी हो रही है. अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज खांसी-बुखार की शिकायत को लेकर पहुंच रहे हैं. एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने अब तक H3N2 इन्फ्लूएंजा के 54 पॉजिटीव केस आने के बात कही है लेकिन हर दिन महज 25-30 लोगों की ही सैम्पलिंग की जा रही है. चिकित्सकों के अनुसार विशेष एहतियात बरत कर इस फ्लू से बचा जा सकता है.
राजस्थान में H3N2 इन्फ्लूएंजा !
राजस्थान में भी तेजी से फैला H3N2 इन्फ्लूएंजा
हरियाणा और कर्नाटक के बाद अब राजस्थान में भी तेजी से H3N2 इन्फ्लूएंजा के मामलों में बढोतरी देखी जा रही है. प्रदेशभर के अस्पतालों में इस फ्लू के मरीज पहुंच रहे हैं. हालांकि इस अनुपात में अस्पतालों में इस वायरस की सैम्पलिंग नहीं की जा रही है. प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में भी रोजाना बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं. एसएमएस अस्पताल में रोजाना सिर्फ 15 से 20 मरीजों की ही सैम्पलिंग की जा रही है. एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अनुसार फरवरी से लेकर अब तक H3N2 इन्फ्लूएंजा के 54 मामले सामने आ चुके हैं.
चिकित्सकों के अनुसार ओपीडी में आने वाला हर तीसरा-चौथा मरीज इस वायरस या फिर इससे जुड़ते लक्षणों वाले हैं. एसएमएस अस्पताल के चिकित्सक डॉ.पुनित सक्सैना ने बताया कि मरीज नाक बंद,जुखाम,गले में दर्द और बुखार के शिकायत को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि H3N2 इन्फ्लूएंजा के मरीजों में तेज बुखार के बाद लंबे समय तक खांसी चलने की शिकायत होती है. उन्होंने बताया कि अभी ज्यादातर माइल्ड केस आ रहे हैं.
मौसम में बदलाव के मरीजों की संख्या में भी इजाफा
डॉक्टर्स के अनुसार ये वायरस फ्लू श्रेणी का है, मौसम में बदलाव के साथ इसके मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. इसमें बुखार सामान्यत: 3 से 4 दिन रहता है, लेकिन कुछ केस में 6 से 7 दिन में भी बुखार ठीक नहीं हो रहा है. इस वायरस की चपेट में आने वाले मरीजों में बुखार टूटने के बाद खांसी शुरू होती है और ये लंबे समय तक रहती है. कुछ मामलों में निमोनिया होने की भी कंडीशन बन रही है. बताया जा रहा है कि प्रदेश के अस्पतालों में जिस तुलना में इस वायरस के सिम्पटम्स के मरीज पहुंच रहे हैं उस तुलना में जांच नहीं हो रही है. एसएमएस अस्पताल के चिकित्सक डॉ.पुनित सक्सैना ने बताया कि एहतियात बरत के इस वायरस के बचा जा सकता है.
कैसे हो सकता है बचाव
सर्दी-खांसी के मरीजों से बनाए दूरी
लोगों को करनी चाहिए सोशल डिस्टेंसिंग
भीड़ में मास्क का उपयोग करना चाहिए
इस फ्लू की वजह से मरीजों की मौत की खबर आने के बाद चिंताएं बढ गई है. मौसम में होने वाले बदलावों के कारण सर्दी-खासी-बुखार के मरीजों की संख्या बढती जा रही है. लेकिन अस्पतालों में सैम्पलिंग नहीं की जा रही है.