दिव्यांगों के अधिकार को प्रभावी तरीके से लागू करे सरकार,RHC ने आरपीएससी पर लगाया पांच लाख का हर्जाना
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दिव्यांगों के अधिकार को प्रभावी तरीके से लागू करे सरकार,RHC ने आरपीएससी पर लगाया पांच लाख का हर्जाना

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि दिव्यांगों के अधिकार को प्रभावी तरीके से लागू करे सरकार,आरपीएससी पर लगाया पांच लाख का हर्जाना. इसके अलावा राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी है कि दिव्यांग व्यक्तियों को समाज में समान अवसर मिल सके.

फाइल फोटो.

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा की राज्य सरकार को दिव्यांगों के अधिकारों को प्रभावी तरीके से लागू किया जाना चाहिए. यह दिव्यांग व्यक्ति का अधिकार है कि उसे सम्मान के साथ सशक्त किया जाए. इसके अलावा राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी है कि दिव्यांग व्यक्तियों को समाज में समान अवसर मिल सके.

 इसके लिए समान को भी तेजी से जागरूक करना चाहिए. वहीं, अदालत ने सौ फीसदी नेत्रहीन दिव्यांग को आरएएस भर्ती की परीक्षा में शामिल नहीं करने पर आरपीएससी पर पांच लाख रुपए का हर्जाना लगाया है.

अदालत ने कहा की हर्जाना राशि एक माह में याचिकाकर्ता को अदा की जाए. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश कुलदीप जैमन की याचिका पर दिए. अदालत ने कहा की आरपीएससी ने एक दृष्टिहीन अभ्यर्थी के सामने अनावश्यक बाधाएं पैदा की, जिससे वह परीक्षा में शामिल नहीं हो पाया.

याचिका में अधिवक्ता शोवित झाझड़िया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने आरएएस भर्ती-2021 के लिए आवेदन किया था. भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होने के लिए वह 27 अक्टूबर, 2021 को अलवर स्थित परीक्षा केंद्र पर अपने साथ राइटर को पहुंचा.

उसे यह कहते हुए परीक्षा में नहीं बैठने दिया कि उसने अपने राइटर की सूचना दो दिन पहले देनी चाहिए थी और उसके पास दिव्यांग प्रमाण पत्र भी नहीं है. याचिका में कहा गया की आरपीएससी की ओर से राइटर उपलब्ध कराने पर ही दो दिन पूर्व सूचना देनी होती है। अभ्यर्थी ने आवेदन के समय ही खुद का राइटर लाने के लिए बता दिया था.

 इसलिए उसे पूर्व सूचना देने की जरुरत नहीं थी. इसके अलावा आयोग ने ही दिव्यांग वर्ग का प्रवेश पत्र जारी किया था और परीक्षा केन्द्र पर प्रवेश पत्र, पैन और फोटो के अलावा अन्य सामग्री लाने पर रोक लगाई थी. इसलिए वह दिव्यांग प्रमाण पत्र नहीं लेकर गया। वहीं आयोग की ओर से कहा गया की प्रमाण पत्र और समय पर जानकारी नहीं देने के कारण याचिकाकर्ता को परीक्षा में शामिल नहीं किया गया। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आयोग पर पांच लाख रुपए का हर्जाना लगाया है.

Reporter- Mahesh Pareek

 

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