Jodhpur News: केंद्रीय शुष्क अनुसंधान काजरी ने टिशू कल्चर के माध्यम से अंजीर की नई किस्म का नवाचार किया है. अंजीर मूलतः अर्ध शुष्क जलवायु का पौधा है. मूल रूप से यह महाराष्ट्र नासिक और पुणे में होता है लेकिन काजरी ने कई वर्षों के प्रयास के बाद इसे अब राजस्थान में भी सफलता पूर्वक उपजाया है.
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Jodhpur News: केंद्रीय शुष्क अनुसंधान काजरी ने टिशू कल्चर के माध्यम से अंजीर की नई किस्म का नवाचार किया है. इस फसल के माध्यम से पश्चिमी राजस्थान के किसानों को अधिक आय और अधिक उपज देने का प्रयास किया गया है.
अंजीर फसल जिसे अंग्रेजी में फिक भी कहा जाता हैं. अंजीर मूलतः अर्ध शुष्क जलवायु का पौधा है. मूल रूप से यह महाराष्ट्र नासिक और पुणे में होता है लेकिन काजरी ने कई वर्षों के प्रयास के बाद इसे अब राजस्थान में भी सफलता पूर्वक उपजाया है.
काजरी ने नवाचार करते हुए एक हेक्टर के क्षेत्र में करीब 240 अंजीर के पौधे लगाए हैं. इससे बहुत अच्छा प्रोडक्शन भी प्राप्त किया जा रहा है. जोधपुर काजरी में डायना कल्चर किस्म को लगाया गया है. इस किस्म का फायदे की बात करें तो इसमें बीमारियां बहुत कम लगती है. यह बहुत जल्दी फल देना प्रारंभ कर देता है. फल का साइज भी अच्छा होता है और मिनरल्स भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. प्रमुख रूप से इस फसल का उपयोग सूखे मेवे और सूखे अंजीर के रूप में किया जाता है.
राजस्थान में किसानों ने इसे लेना शुरू किया है. कुछ प्रगतिशील किसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है. किसान 3 वर्ष के बाद इन पौधों से फल प्राप्त कर सकता है. शुरू में यह पौधा 5 किलोग्राम तक फल देता है और इसकी मात्रा प्रतिवर्ष बढ़ती जाती है. पूर्ण रूप से पौधा बड़ा होने के बाद इस पौधे से किसान 15 किलो से 20 किलो तक फल प्राप्त कर सकता है.
शीत कालीन समय में यह पौधा फसल देता है. नवंबर और दिसंबर में सबसे ज्यादा क्रॉप प्राप्त की जा सकती है. अधिक सर्दी के मौसम में फल में भी मिठास बढ़ती है. काजरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक धीरज सिंह ने बताया कि राजस्थान के किसान हमेशा से परंपरागत खेती करते हुए आए है.
परंपरागत खेती में किसानों को मुनाफा काफी कम होता है. ऐसे में काजरी ने ऐसी नई किस्मों का नवाचार किया है, जो जलवायु में उपयुक्त हो और मुनाफा भी अच्छा मिले, जिसमें अंजीर प्रमुख फसल है. यह टिशू कल्चर किस्म है, जो मूलतः हैदराबाद में पाई जाती है. इसमें बीमारियां भी कम लगती है. ये देखने में हरा रंग का बड़ा फल होता है. यह किस्म ज्यादा क्षेत्र में नहीं फैलती है, जिससे किसान इसे कम क्षेत्र में लगाकर ज्यादा उपज प्राप्त कर सकते हैं.