Ghat Sthapna Muhurt 2023: शारदीय नवरात्र की शुरूआत रविवार यानी 15 अक्टूबर से होने जा रही है. इस बार मां दुर्गा अपने भक्तों के घर पर हाथी पर सवार होकर आएंगी. नवरात्रि का शुभारंभ प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना के साथ हो रहा है. इसमें घटस्थापना करके नौ दु्र्गा के नाम का कलश पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है.
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Ghatsthapna muhurt 2023: शारदीय नवरात्र उत्तर भारत के सबसे प्रमुख त्योहार में से एक है.इसकी शुरूआत रविवार यानी 15 अक्टूबर से होने जा रही है. इस दिन के लिए हर घर में मां दुर्गा के आवहान के लिए हर घर में घट स्थापना की विधि विदवत तैयारियां शुरू होगी. इस बार मां दुर्गा अपने भक्तों के घर पर हाथी पर सवार होकर आएंगी. जानकारों की मानें तो यह योग 30 साल बाद शारदीय नवरात्र पर बन रहा है. इस योग में तीन योग मिलने इसे बेहद दुर्लभ फल इच्छित माना गया है. इसमें राजयोग बुधादित्य, शशराज और भद्र राजयोग तीनों का समावेश है.
नवरात्रि का शुभारंभ प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना के साथ हो रहा है. इसमें घटस्थापना करके नौ दु्र्गा के नाम का कलश पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है. इसके बाद ही भक्त अपने व्रत और देवी के स्वरूपों की पूजा शुरू की जाती है. आइए जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि में आज घटस्थापना का मुहूर्त क्या है.
नवरात्रि में घटस्थापना नवरात्रि के प्रथम दिन यानी पहले नवरात्र पर की जाती है. इस दिन प्रतिप्रदा तिथि लगती है. घटस्थापना बी इसी दिन की जाती है. इसकी स्थापना अभिजीत मुहूर्त में ही करना ज्यादा शुभ और फलकारी माना जाता है. इसलिए आज यानी 15 पहले नवरात्र में यह अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 30 मिनट तक है. यानी घटस्थानपना के लिए 46 मिनट का समय होगा. इस अवधि में भक्त विधिवत घटस्थापना कर माता का आहवान अपने घरों में कर सकते हैं.
घटस्थापना करने से पहले उसकी सही विधि को जानना बेहद जरूरी होती है. इसके लिए सबसे पहले कलश को भगवान विष्णु का रूप मानते है. इसलिए शुभ कार्यों से पहले कलश स्थापित करना अनिवार्य है. इसके साथ ही उस कलश मपर स्वस्तिक बनाया जाता है.इसके साथ ही एक पात्र में जौ और रेत लेकर उसमें जौ को बोया जाता है. जिसके बाद उसमें कलश के उपर नारियल और चुन्नी रख कर कलश को स्थापित किया जाता है. इस दिन पूजा करने वाले यजमानों को सुबह जल्दी उठें और स्नानादि के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें. इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करें, जहां कलश में जल भरकर रखा जाता है.
घटस्थापना में सबसे पहले कलश पर कलावा लपेटें. इसके बाद कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते लगाएं. नारियल को लाल चुनरी में लपटेकर कलश के ऊपर रख दें. इस कलश में साबुत सुपारी, फूल, इत्र, अक्षत, पंचरत्न और सिक्का डालना न भूलें. इस कलश को माता की चौकी के दाईं ओर रख दें. इसके बाद धूप, दीप जलाकर मां दुर्गा का आवाहन करें और शास्त्रों के मुताबिक मां दुर्गा की पूजा-उपासना करें. |
नवरात्रि में पूरे नौ दिन माता की पूजाल करने का विधि विधान है. इसलिए इन दिनों सुबह-शाम दोनों समय पूजा करें. दोनों समय मंत्र का जाप करें और आरती भी करें. नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सबसे उत्तम रहेगा. इसका नियमित पाठ करते रहें. अलग-अलग दिन अलग-अलग प्रसाद का भोग लगाएं. या दो दो लौंग रोज अर्पित करें.
रविवार, 15 अक्टूबर 2023- मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि सोमवार, 16 अक्टूबर 2023- मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि मंगलवार, 17 अक्टूबर 2023- मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि बुधवार, 18 अक्टूबर 2023- मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि गुरुवार, 19 अक्टूबर 2023- मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2023- मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि शनिवार, 21 अक्टूबर 2023- मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि रविवार, 22 अक्टूबर 2023- मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी सोमवार, 23 अक्टूबर 2023- महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023- मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा) |