Kanhaiyalal murder case: 28 जून 2022 लेकसिटी उदयपुर में दोपहर तक सब कुछ शांत चल रहा था. शहर की हवाओं में मानसून की पहली बारिश की महक को महसूस कर हर कोई खुश नजर आ रहा था. लेकिन क्या पता था की कुछ देश विरोधी ताकतें इस दिन कन्हैयालाल हत्याकांड के माध्यम से इस शहर के नाम एक कलंक का दाग लगा देंगे.
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Kanhaiyalal murder case: हाथों में खंजर को लहराते हुए बड़े ही गर्व से अपने जुर्म का कबूल करने वाले गोष मोहम्म्द और रियाज की यह तस्वीर एक साल पहले की है.इन दोनों ने शहर के मालदास स्ट्रीट इलाके में टेलरिंग का काम करने वाले कन्हैया लाल साहू की गला रेत कर हत्या की और उसका वीडियों बनाया.
इसके बाद पहले हत्याकांड के लाइव वीडियों को सोशल मीडिया पर वायरल किया. कुछ ही देर बाद अपने गुनाह के कबूल करने वाला वीडियों भी वायरल कर दिया. ये दोनों वीडिया जब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे थे, उस समय शहर में झमाझम बारिश का दौर चल रहा था.
लेकिन आसमान से बरस रहा पानी लोगों के गुस्से को शांत करने की बाजाए उस में आग में घी डालने का काम कर रहा था. शाम होते होते शहर के अधिकांश बाजर बंद हो गए और हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर थे. हर को कन्हैयालाल की निर्मम हत्या होने पर गुस्से में था.शहर में प्रदर्शन का दौर शुरू हो जाता है, चौराहों पर टॉयर जलाए जाते हैं.
रात होते होते लोगों को गुस्सा ओर बढ़ जाता है.कुछ इलाकों में पथराव और आगजनी की घटनाएं भी होती हैं,बड़ी संख्या में पुलिस जाब्ता भी मौके पर तैनात किया जाता है, और महौल को शांत करने की कोशिश होती है. इस बीच काई ये समझ नहीं पा रहा था कि आखीर क्यों कन्हैयालाल की इस तरह से निर्मम हत्या की गई.
दरअसल कन्हैयालाल शाहू के सोशल मीडिया अकाउंट से नुपूर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट हो जाती है. इसके बाद उन्हे धमकियां मिलने लगी. कन्हैयाला की पोस्ट और उनको मिलने वाली धमकियों को लेकर धानमंडी थाने में मामला भी दर्ज हुआ.
लेकिन पुलिस ने इसे सामान्य घटना के रूप में लिया. मामले का रफा-दफा कर दिया. परिवार के सदस्यों का कहना है कि लगातार मिल रही धममियों के कारण उन्होने करीब एक सप्ताह तक दुकान को बंद रखा.लेकिन परिवार की जिम्मेदारी और त्योहारी सीजन में काम के बोझ के कारण उन्हे दुकान खोलनी पड़ी और आखिर उन्हे अपनी जान गवानी पड़ी.
कन्हैयालाल हत्या कांड से कुछ समय पहले शहर में सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोगों ने नूपुर शर्मा के खिलाफ रैली निकाली.जिसमें सर तन से जुदा करने के नारे तक लगाए गए. इन्हे नारों के बीच कलेक्ट्रेट के बाहर उग्र प्रदर्शन किया गया. इसे भी प्रशासन ने हल्के में लिया और आखिर इन नारों का असर कुछ दिनों में बाद ही कन्हैयालाल हत्या कांड के रूप में सामने आया.
कन्हैयालाल की हत्या को अंजाम देने के लिए गोष मोहम्मद और रियाज कपड़े सिलवाने के बहाने दुकान के अंदर जाते हैं, कन्हैयालाल जब उनके कपड़ों का नाप ले रहा होता है, उसी दौरान मौका देख कर वे उस पर धारदार हथियार से हमला कर देते हैं, और उसके सर को तन से जुदा कर देते हैं.इसके बाद वे बाजार से भागने में भी सफल हो जाते हैं.
इस दौरान कन्हैयालाल की दुकान में काम करने वाले इश्वर और राजकुमार भी उसे बचाने में सफल नहीं हो जोते है. हालांकि हत्याकांड को अंजाम देने वाले दोनों आरोपियों को राजसमन्द में लोगों की मदद से पुलिस पकड़ने में सफल हो जाती है. इस पूरे मामले की जांच एनआईए अपने हाथ में लेती है.एनआईए मुख्य आरोपियों के साथ कुल नौ लोग गिरफ्तार करती है. ये सभी आरोपी अभी सलाखों के पीछे हैं, हालांकि दो आरोपी अभी भी फरार हैं.
कन्हैयालाल के परिवार के सदस्य बाताते है कि घटना के एक साल बाद भी वे खौफ के माहौल में अपना जीवन यापन कर रहे हैं, हालांकि घर के बाहर पुलिस के जवानों को तैनात कर रखा है. परिवार के काई भी सदस्य घर के बाहर निकलता है, तो पुलिस का जवान उनके साथ होता है. कन्हैया के हत्याकांड को मंजर जब भी उनकी आखों के सामने आता है, तो अनायास की आंसू निकल आते हैं. परिवार के सदस्यों को कहना है कि इस एक साल के दौरान सरकार और विभिन्न संगठनों ने उनकी बहुत मदद की है.
सरकारी नौकरी भी दी, लेकिन उन्हे अभी भी कन्हैयालाल के हत्यारों को फांसी की सजा मिलने का इंतजार है. असमय अपने पिता को खोने वाले कन्हैयालाल के बड़े बेटे ने जब तक पिता के हत्यारों को फांसी की सजा नहीं होती है, नंगे पैर रहने और बाल नहीं कटावाने की प्रतिज्ञा कर रखी है. छोटे बेटे के मन में अपने पिता के सपने का साकार नहीं करने का मलाल है.
तो वहीं, मां हर पल खौफ के साए में जिने को मजबूर है. बेटे घर आने में थोड़े भी लेट हो जाए तो चिंता में डूब जाती है. यही नहीं परिवार ने अभी तक कहैन्या लाल की अस्थियों का गंगा में विर्सजन तक नहीं किया है. उनका मानना है कि जब तक दोषियों को सजा नहीं होगी कन्हैयालाल की आत्मा को शांति नहीं मिल सकती है.
कन्हैयालाल हत्याकांड के एक साल बाद जिस मालदास स्ट्रीट में उनकी हत्या हुई, वहां का माहौल भी अब पूरी तरह शांत हो गया है. यहां के व्यापारियों की माने तो शहर के अन्य बाजारों की तरह मालदास स्ट्रीट का बाजार भी पूरी तरह से पटरी पर लौट आया है. लेकिन कन्हैयालाल की हत्या के बाद जिस गली में उनकी दुकान थी, वहां की गली जरूर विरान हो गई है. वहां, जाने पर एक अजीबसा सन्नाटा महसूस होता है. साथ ही इस बाजार में आने वाला अनजान व्यक्ति यह जरूर पूछताछ है कि कन्हैयालाल की हत्या कहां हुई थी.
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