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Ram Gopal Yadav meets CM Yogi: उत्तर प्रदेश की सियासत रोज नई करवट लेती रहती है और सूबे की राजनीति में अब एक नया घटनाक्रम सामने आया है. समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव ने सोमवार को अचानक से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की है. अखिलेश यादव के एक चाचा शिवपाल यादव पहले ही सपा से बगावत के संकेत दे चुके हैं और ऐसे में रामगोपाल का सीएम योगी से मिलना अटकलें तेज कर गया.
सीएम से मिलने पहुंचे अखिलेश के चाचा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पांच कालीदास मार्ग स्थित आवास पर रामगोपाल यादव से उनकी मुलाकात हुई है. राज्यसभा सदस्य राम गोपाल समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के चाचा हैं और दोनों के बीच काफी अच्छे संबंध हैं. ऐसे में कयासों पर विराम लगाते हुए समाजवादी पार्टी ने यह मुलाकात का मकसद सार्वजनिकर किया है. पार्टी ने ट्वीट कर बताया कि दोनों नेताओं के बीच किस मुद्दे पर चर्चा हुई है.
आज समाजवादी पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव जी ने मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से लखनऊ में मुलाक़ात की।
प्रदेशभर में पिछड़ों और मुसलमानों पर एकतरफा फ़र्ज़ी मुकदमें दर्ज कर उनके उत्पीड़न के संदर्भ में की बात।
फ़र्ज़ी मुकदमों को वापस ले सरकार।
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) August 1, 2022
सियासी अटकलें हुईं तेज
रामगोपाल यादव राज्यसभा के सदस्य हैं और वह लगातार उच्च सदन में यूपी सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहते हैं. साथ ही उन्हें अखिलेश यादव का भरोसेमंद माना जाता है और वह दिल्ली में सपा के प्रतिनिधि के तौर पर भी देखे जाते हैं. ऐसे में अचानक से उनका योगी आदित्यनाथ से मिलना शुरू में सभी के लिए हैरान करने वाला था. हालांकि सवाल अब भी यही है कि क्या पार्टी की ओर से जो बात बताई गई है वही सच है, या फिर अंदर ही अंदर कुछ और भी खिचड़ी पक रही है?
जानकारी के मुताबिक इस मुलाकात में रामगोपाल यादव ने सूबे में पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज होने का आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने योगी सरकार से ऐसे मुकदमे वापस लेने की मांग की है. इस मुलाकात में अलीगंज विधानसभा सीट से पूर्व सपा विधायक रामेश्वर सिंह यादव और उनके भाई जुगेंद्र सिंह के खिलाफ दर्ज मुकदमों को लेकर भी चर्चा हुई है. दोनों ही नेताओं के खिलाफ योगी सरकार ने सख्त एक्शन लेते हुए इनकी अवैध संपत्ति को कुर्क करने का काम किया था. सपा लगातार इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताती आई है.
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