हिंदू शादी तभी वैध, जब शादी से जुडी रीतियों का पालन हो- SC
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हिंदू शादी तभी वैध, जब शादी से जुडी रीतियों का पालन हो- SC

Hindu Wedding : सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया है कि कोई भी हिंदू शादी तभी वैध होगी, जब इसमे शादी से जुड़ी रीतियों का पालन हो.

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Supreme Court

Supreme Court :  सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया है कि कोई भी हिंदू शादी तभी वैध होगी, जब इसमे शादी से जुड़ी रीतियों का पालन हो.  हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 7 के तहत इसमे सप्तपदी ( सात फेरो जैसी  रीति) का पालन होना चाहिए अन्यथा शादी मान्य नहीं होगी.

महज शादी का रजिस्ट्रेशन काफी नहीं

कोर्ट ने कहा कि अगर शादी को लेकर बाद विवाद होता है तो  शादी को वैध साबित करने के लिए इन रीतियों  को निभाये जाने के सबूत होने चाहिए. अगर यह सबूत नहीं है तो सिर्फ शादी का रजिस्ट्रेशन  होने भर से वो शादी वैध नहीं मानी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि  हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 8 के तहत शादी के लिए रजिस्ट्रेशन का प्रावधान है, ये अपने आप में शादी होने का सबूत है , पर इसके होने भर से शादी  वैध नहीं मानी जाएगी. शादी तभी वैध होगी जब उसमे हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 7 (2)के तहत शादी के लिए ज़रूरी परंपराओं का पालन हो. कोर्ट ने साथ में ये भी कहा है कि जब तक शादी वैध साबित होने के लिए ज़रूरी सबूत न हो, तब  तक मैरिज रजिस्ट्रेशन ऑफिसर सेक्शन 8 के तहत शादी रजिस्टर्ड नहीं कर सकते

 

युवाओं को नसीहत- शादी की अहमियत समझे
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में युवाओं को नसीहत भी दी है कि वो बिना शादी की रीतियों को निभाये पति- पत्नी का  स्टेटस हासिल करने की कोशिश न करे. कोर्ट ने कहा कि शादी एक पवित्र बंधन है. युवाओं को इस  संस्था की महत्व को समझना चाहिए. हिंदू शादी एक संस्कार है, जिसकी भारतीय समाज में अपनी एक अहमियत है.इसलिए ज़रूरी है कि युवा लड़के- लड़की शादी में जाने से पहले गम्भीरता से विचार करे. शादी कोई गाने/डांस करने ,शराब पीने,खाने- पीने  /दहेज लेने का आयोजन  नहीं है. यह ऐसा अहम आयोजन है, जिसमे दो लोग जीवन भर के साथ निभाने के लिए आपस में जुड़ते है. इसके लिए ज़रूरी है कि इसके तहत रीतियों का निष्ठा से पालन हो.

 

बिना रीतिरिवाज निभाये पति पत्नी का दर्जा नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई ऐसे मामले हमारे सामने आए है,जब लड़का- लडक़ी वीजा अप्लाई  करने कुछ व्यवहारिक सुविधाओं  के लिए  शादी की परपंराओं को निभाये  बिना ही शादी कारजिस्ट्रेशन करा लेते है. उनकी योजना भविष्य में भले ही रीतिरिवाज/ परंपराओं  को निभाकर शादी करने की हो, लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता तो फिर उस शादी का क्या स्टेटस रह जाएगा.  कानून के मुताबिक वो पति-पत्नी तो नहीं माने जा सकते है.

 

कोर्ट में मामला क्या था
सुप्रीम कोर्ट में ये सब टिप्पणी महिला की ओर  दायर याचिका पर आदेश में की है. इस केस में महिला और उसके साथी दोनो कॉमर्शियल पायलट थे. महिला ने  अपने पुरूष साथी की ओर से दायर तलाक की कार्यवाही को बिहार के मुजफ्फरपुर से रांची ( झारखंड )में ट्रांसफर करने की मांग की थी.  हालांकि सुप्रीम कोर्ट में केस की पेंडेंसी के दरमियान ही पति और पत्नी ने एक जॉइंट एप्लिकेशन दायर कर  ये घोषणा की कि उनकी शादी वैध नहीं मानी जा सकती..  इस साझा अर्जी में दोनो ने कहा कि उन्होंने कुछ दबाव के चलते  वैदिक जनकल्याण समिति से शादी का सर्टिफिकेट हासिल करने के बाद शादी का रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है ,पर चूंकि उनकी ओर से शादी के लिए ज़रूरी रीति रिवाज/ अनुष्ठान/परंपराओं का पालन नहीं किया गया, लिहाजा उनकी शादी को वैध नहीं मानी जा सकत.
सुप्रीम कोर्ट ने इस अर्जी को स्वीकार करते गके  कहा कि चूंकि शादी के लिए ज़रूरी  रीतिरिवाजों का पालन नहीं हुआ, लिहाजा इस शादी को वैध नहीं माना जा सकता . कोर्ट ने शादी को अमान्य करार देने के साथ साथ इन दोनों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ केस को भी रद्द कर दिया.

 

 

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