इधर उदयपुर की रॉयल फैमिली पर थी नजर, उधर बेतिया महाराज की 15000 एकड़ जमीन पर फैसला
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इधर उदयपुर की रॉयल फैमिली पर थी नजर, उधर बेतिया महाराज की 15000 एकड़ जमीन पर फैसला

Udaipur Royal Family and Bettiah Royal Family: उदयपुर में विरासत को लेकर मेवाड़ राजघराने के वारिसों में संघर्ष की खबरें आ रही हैं. इस बीच राजस्‍थान से दूर बिहार में बेतिया महाराज की संपत्ति को लेकर बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. 

इधर उदयपुर की रॉयल फैमिली पर थी नजर, उधर बेतिया महाराज की 15000 एकड़ जमीन पर फैसला

उदयपुर में विरासत को लेकर मेवाड़ राजघराने के वारिसों में संघर्ष की खबरें आ रही हैं. इस बीच राजस्‍थान से दूर बिहार में बेतिया महाराज की संपत्ति को लेकर बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. बिहार के भूमि एवं राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल के मुताबिक बेतिया महाराज की जमीन आजादी से पहले अंग्रेजों के द्वारा ही कोर्ट ऑफ वार्ड्स को समर्पित की गई थी क्योंकि अंतिम रानी के बाद कोई वारिस नहीं था. 

लिहाजा जमीन की संपत्ति का अधिकार बिहार सरकार ने अपने अंदर निहित किया था लेकिन इसके लिए कानून बनाना लंबित था. बहुत लोग अतिक्रमण किए हुए थे. जमीन माफिया की नजर थी. लोग अतिक्रमण करके उस जमीन का उपयोग कर रहे थे. ऐसी परिस्थिति में अब सरकार को कानून बनाना पड़ा है. अब इस कानून बनने के बाद करीब 15,200 एकड़ जमीन अब बिहार सरकार में निहित होगी और इसका मालिकाना हक बिहार सरकार को होगा. 

इस आशय का बिल बिहार विधानमंडल शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन यानी मंगलवार को सदन में पेश किया गया जिसे सदन की मंजूरी मिल गई है. इसमें ये भी प्रावधान किया गया है कि अगर किसी कोर्ट में भी इस जमीन का केस चल रहा है, इस कानून के बनने के बाद वो केस भी समाप्त माना जाएगा. इसके अलावा दिलीप जायसवाल ने कहा कि जो हमें 15,200 एकड़ के आसपास जमीन उपलब्ध होगी, उस पर हम सरकारी संस्थान, मेडिकल कॉलेज, अस्पताल एवं खेल के मैदान बनाएंगे. यानी जनता के उपयोग में लाने का काम करेंगे. इसी तरह उत्तर प्रदेश में जो 143 एकड़ जमीन है, उसको भी इस कानून के तहत हमने बिहार सरकार को मालिकाना हक दे दिया है. वहां की सरकार से इस कानून के बनने के बाद संबंध स्थापित किया जाएगा. इस मामले को अच्छे तरीके से सुलझाने का काम करेंगे.

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उदयपुर के सिटी पैलेस में विवादित हिस्से के लिए ‘रिसीवर’ नियुक्त
इसी तरह राजस्‍थान में उदयपुर के मेवाड़ राजघराने में चल रहे गतिरोध को समाप्‍त करने के लिए प्रशासन ने हस्‍तक्षेप किया है. उदयपुर जिला प्रशासन ने शहर में स्थित सिटी पैलेस में विवादित हिस्से के लिए ‘रिसीवर’ नियुक्त किया है. अधिकारियों के अनुसार यह फैसला विश्वराज सिंह और उनके समर्थकों द्वारा पूजा स्थल ‘‘धूणी’’ के दर्शन के लिए प्रवेश करने को लेकर सोमवार रात हुए तनाव के बाद किया गया है.

विश्वराज सिंह को सोमवार को उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के मुखिया के रूप में ‘‘गद्दी’’ पर बैठाया गया था. अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट द्वारा कल रात ‘रिसीवर’ नियुक्त किए गए घंटाघर थानाधिकारी योगेंद्र कुमार व्यास ने कहा कि अब तक कब्जा नहीं लिया जा सका है. उन्होंने कहा कि मंगलवार को स्थिति नियंत्रण में रही.

दूसरी ओर, विश्वराज सिंह ने अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा कि उन्हें “धूणी” पर जाने से रोका गया, जो उनका अधिकार है. सिंह ने कहा कि वह बुधवार को एकलिंगनाथजी मंदिर जाएंगे.

जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने कहा कि पत्थरबाजी के संबंध में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और उनके खिलाफ संबंधित धाराओं में कानूनी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों से बातचीत के जरिए मामले को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है.

महेंद्र सिंह मेवाड़ Vs अरविंद सिंह मेवाड़
महेंद्र सिंह मेवाड़ (विश्वराज के पिता) और उनके छोटे भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के बीच विवाद है और सिटी पैलेस विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के नियंत्रण में है. वहीं अरविंद सिंह मेवाड़ के पुत्र लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने मंगलवार रात संवाददाताओं से कहा कि पूजा-अर्चना या दर्शन के नाम पर लोगों की जान जोखिम में डालना उचित नहीं है.

उन्होंने कहा कि सरकारी पदों पर बैठे कुछ लोग निजी स्वार्थ के लिए प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं और जबरन किसी के घर में घुसने की कोशिश कर रहे हैं. लक्ष्यराज ने कहा, “ऐसी स्थिति की संभावना थी, इसलिए हमने कई दिन पहले प्रशासन को सूचित कर दिया था और अखबारों के माध्यम से सार्वजनिक सूचना जारी कर दी थी. उन्होंने कहा कि पूजा-अर्चना के नाम पर लोगों को गुमराह करना ठीक नहीं है.

सिटी पैलेस में ‘‘धूणी’’ वह जगह है जहां विश्वराज को ‘‘गद्दी’’ पर बैठने के बाद दर्शन करने जाना था. उनका ‘धूणी’ के बाद उदयपुर में एकलिंगनाथ जी मंदिर जाने का कार्यक्रम था, जो अरविंद सिंह के नियंत्रण में है. ‘रिसीवर’ अब क्षेत्र को अपने कब्जे में लेगा और प्रवेश के बारे में निर्णय करेगा.

महेंद्र सिंह मेवाड़ का हाल में निधन हो गया था. उनके बेटे विश्वराज का ‘अभिषेक’ करने की पारंपरिक रस्म ‘दस्तूर’ सोमवार को चित्तौड़गढ़ में की गई. इसके बाद उनका सिटी पैलेस में ‘धूणी’ के दर्शन करने और फिर उदयपुर में एकलिंगनाथ जी मंदिर जाने का कार्यक्रम था.

ये दोनों ही स्थान अरविंद सिंह मेवाड़ के नियंत्रण में हैं और विश्वराज को दोनों स्थानों पर प्रवेश करने से रोकने के लिए उन्होंने अपने वकील के माध्यम से सोमवार को स्थानीय समाचार पत्रों में दो सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करवाए थे. इनमें अतिक्रमण या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी.

सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित होने के बाद स्थिति को संभालने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था. समारोह के बाद विश्वराज और उनके समर्थक बड़ी संख्या में शाम को उदयपुर पहुंचे, लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया. विश्वराज कई घंटों तक सिटी पैलेस के प्रवेश द्वार से कुछ मीटर की दूरी पर जगदीश चौक पर इंतजार करते रहे. इस दौरान उनके समर्थकों ने अवरोधक लांघने की कोशिश की और विरोध प्रदर्शन किया.

पोसवाल और पुलिस अधीक्षक (एसपी) योगेश गोयल ने मामले में हस्तक्षेप किया और इसे सुलझाने के लिए विश्वराज सिंह एवं उनके चचेरे भाई लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ (अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे) से अलग-अलग कई दौर की बातचीत की. लेकिन बातचीत बेनतीजा रही. इस बीच, देर रात सिटी पैलेस के मुख्य द्वार पर पथराव शुरू हो गया. दोनों तरफ से पथराव हुआ, जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए.

तनाव बढ़ने के बाद अतिरिक्त जिलाधिकारी, उदयपुर ने सिटी पैलेस के विवादित हिस्से - बड़ी पोल से ‘धूणी’ तक के लिए घंटाघर के थाना प्रभारी को ‘रिसीवर’ नियुक्त किया. ‘रिसीवर’ की नियुक्ति का नोटिस सिटी पैलेस के मुख्य द्वार पर चस्पा कर दिया गया है. विश्वराज सिंह नाथद्वारा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक हैं और उनकी पत्नी महिमा कुमारी राजसमंद से सांसद हैं.

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