UP Nikay Chunav Result: इनके आगे CM योगी का जलवा भी फीका! निकाय चुनाव में BJP से भी ज्यादा इनकी सीटें, जानें कौन हैं ये
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UP Nikay Chunav Result: इनके आगे CM योगी का जलवा भी फीका! निकाय चुनाव में BJP से भी ज्यादा इनकी सीटें, जानें कौन हैं ये

UP Civic Polls: यूपी निकाय चुनाव 2023 (UP Nikay Chunav 2023) में बीजेपी (BJP) को बंपर जीत मिली है. लेकिन कुछ उम्मीदवार ऐसे भी थे जिनके आगे बीजेपी की लहर भी फीकी पड़ गई, आइए इनके बारे में जानते हैं.

UP Nikay Chunav Result: इनके आगे CM योगी का जलवा भी फीका! निकाय चुनाव में BJP से भी ज्यादा इनकी सीटें, जानें कौन हैं ये

UP Nikay Chunav 2023: कर्नाटक चुनाव (Karnataka Election) में भले ही बीजेपी (BJP) को मायूसी मिली हो मगर उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव (UP Civic Polls) में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया. राज्य के सभी 17 नगर निगम बीजेपी के खाते में आए और विपक्ष खाता नहीं खोल पाया. निकाय चुनाव के नतीजों को 2024 के ट्रेलर के तौर पर भी देखा जा रहा है. जीत के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने मिठाई खाई, कार्यकर्ताओं ने डांस किया, कहीं आतिशबाजी हुई, कहीं ढोल बजे और कहीं अबीर गुलाल उड़ा. उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में मिली कामयाबी के बाद बीजेपी ने जगह-जगह जश्न मनाया. कार्यकर्ता हों या नेता हर किसी के चेहरे पर जीत की खुशी थी और हर कोई उत्साहित नजर आया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि निकाय चुनाव में बीजेपी से भी ज्यादा सीटें कुछ लोगों ने जीतीं.

किनके आगे फीकी पड़ी BJP की लहर?

जान लें कि यूपी नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत चुनाव में बीजेपी से ज्यादा जलवा निर्दलीय उम्मीदवारों का रहा. नगर पालिका चुनाव में अध्यक्ष पद पर बीजेपी के 88 उम्मीदवार चुने गए तो वहीं 59 निर्दलीय चेयरमैन बने. इसके अलावा 998 बीजेपी कैंडिडेट सभासद चुने गए तो 1459 निर्दलीय उम्मीदवार सभासद बनने में कामयाब हुए. नगर पंचायत चुनाव की बात करें तो जहां बीजेपी के 189 कैंडिडेट अध्यक्ष बन पाए तो इसके मुकाबले 230 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. नगर पंचायत के सदस्य जहां बीजेपी के 1210 कैंडिडेट बने तो इस पद पर 1997 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की.

यूपी में बीजेपी का क्लीन स्वीप

बता दें कि नगर निकाय चुनाव में जीत का जश्न लखनऊ के बीजेपी ऑफिस में भी मना. सुबह से ही यहां कार्यकर्ता जुटने लगे और नतीजे आने के बाद सबके चेहरे खिल गए.
कार्यकर्ताओं और नेताओं की खुशी को सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दोगुना कर दिया. योगी खुद बीजेपी ऑफिस पहुंचे यहां उनका स्वागत हुआ. काशी से लेकर मथुरा और अयोध्या से लेकर लखनऊ तक सभी 17 निगर निगम बीजेपी के खाते में आए.

बीजेपी की बंपर जीत का राज

यूपी निकाय चुनाव से पहले और चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष ने सरकार पर कई आरोप लगाए मगर उसका कोई फायदा नहीं हुआ. ऐसे में सवाल यही है कि क्या योगी का माफिया के खिलाफ एक्शन और क्राइम कंट्रोल के लिए जीरो टॉलरेंस वाला प्लान जनता को पसंद आ रहा है? निकाय चुनाव में बीजेपी ने ट्रिपल इंजन सरकार के लिए मैंडेट मांगा था और जनता ने वो दे भी दिया. योगी की नीति और रीति की बदौलत बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया. निकाय चुनाव के अलावा यूपी की 2 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भी विपक्ष को करारा झटका लगा.

आजम के गढ़ में BJP समर्थित प्रत्याशी की जीत

गौरतलब है कि आजम खान का गढ़ कहे जाने वाली रामपुर की स्वार सीट पर बीजेपी और अपना दल के साझा उम्मीदवार शफीक अहमद अंसारी ने जीत दर्ज की, जबकि मिर्जापुर की छानबे विधानसभा सीट पर अपना दल की रिंकी कोल को कामयाबी मिली. निकाय चुनाव हो या विधानसभा उपचुनाव हर जगह बीजेपी ने जीत दर्ज कर विपक्ष को करारा झटका दिया. ऐसे में सवाल विपक्ष की रणनीति पर भी उठने लगा है.

नगर निगम में विपक्ष का खाता नहीं खुल पाया जो भविष्य की राजनीति के लिहाज से काफी चुनौती वाला साबित हो सकता है. लेकिन जीत हासिल करने वाले बीजेपी के उम्मीदवार अब नई संभावनाएं और नई उम्मीदों के साथ आगे बढ़ने को तैयार हैं. जनता की अदालत में पास होने के बाद बीजेपी ऊंचाइयों का नया आसमान तलाश रही है जबकि विपक्षी खेमे में खलबली है. गोरखपुर में मेयर का चुनाव हार चुकीं समाजवादी पार्टी की काजल निषाद ने खुदकुशी की धमकी दी, सिस्टम को कोसा, कई सवाल उठाए. वोटों की गिनती दोबारा कराने की मांग को लेकर हंगामा किया मगर हाथ कुछ नहीं आया.

काजल निषाद की तरह ही समाजवादी पार्टी ने भी साजिश वाला मुद्दा उठाया. हालांकि, एसपी के बड़े नेताओं ने बयान देने की बजाय सोशल मीडिया वाली पॉलिटिक्स का सहारा लिया. समाजवादी पार्टी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से से ट्वीट किया गया कि साजिशन पूरे-पूरे घरों के वोट बीजेपी ने कटवाए. फर्जी आधार कार्ड के जरिए भाजपाइयों के अपने पक्ष में वोट डलवाया. लोकतंत्र का इससे बड़ा मजाक हो ही नहीं सकता.

उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग और इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ये सब बीजेपी सरकार के इशारे पर बीजेपी के एजेंट के रूप में काम कर रहे निष्पक्षता ताक पर है. अखिलेश की पार्टी भले ही आरोप लगा रही हो लेकिन निकाय और उपचुनाव की जीत का संदेश बीजेपी कुछ अलग तरीके से दे रही है. बीजेपी की चुनावी रणनीति का तोड़ विपक्ष ना तो 2022 विधानसभा चुनाव में निकाल पाया और नाही निकाय चुनाव में विपक्ष की कोई प्लानिंग काम आई. अब लड़ाई 2024 की है लिहाजा बीजेपी उसी हिसाब से कसरत करने में जुटना चाहती है. 80 लोकसभा सीट वाले यूपी से 2014 और 2019 में बीजेपी को रिकॉर्ड जीत मिली, जिसकी बदौलत दिल्ली में कमल खिलने में आसानी हुई. वही उम्मीद अब अगले साल होने वाले चुनाव में भी बीजेपी कर रही है. मगर सवाल ये है कि क्या वर्तमान के नतीजे भविष्य में भी साथ देंगे?

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