कैसे हनुमानगढ़ी के महंत बने राजू दास, अयोध्या में मां-बाप ने बेसहारा छोड़ा, एबीवीपी से विहिप तक राजनीति और विवादों का साया
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कैसे हनुमानगढ़ी के महंत बने राजू दास, अयोध्या में मां-बाप ने बेसहारा छोड़ा, एबीवीपी से विहिप तक राजनीति और विवादों का साया

Ayodhya Hanumangarhi Mahant Raju Das: हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास की कहानी भी कम रोचक नहीं है. बचपन में मां-बाप ने उन्हें बेसहारा छोड़ा और फिर कैसे वो महंत बने और छात्र राजनीति में सक्रिय रहे.

 

 

Ayodhya Hanumangarhi Mahant Raju Das

Ayodhya Hanumangarhi Mahant Raju Das News in Hindi: अयोध्या में हनुमानगढ़ी के महंत राजूदास अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. अयोध्या के जिलाधिकारी नीतीश कुमार से कहासुनी का मसला हो या फिर स्वामी प्रसाद मौर्या से एक कार्यक्रम के दौरान हुई हाथापाई की बात...राजूदास हमेशा चर्चा में रहते हैं.  

राजू दास का कहना है कि पांच साल से कम उम्र में उनके मां-बाप उन्हें यहां हनुमानगढ़ी में छोड़कर चले गए थे. एक साक्षात्कार में उनका दावा है कि शायद उनके माता-पिता ने उन्हें बजरंगबली की सेवा में समर्पित किया था और यह उनके लिए आशीर्वाद बन गया. अयोध्या में ही महंत राम दास ने उन्हें पाला पोसा और शिक्षा दिलवाई. 

राजू दास ने हनुमानगढ़ी के मंदिर में ही रहकर प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की. साथ ही धार्मिक ग्रंथों को भी कंठस्थ किया. स्कूली पढ़ाई के बाद साकेत पीजी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री ली. साथ ही लॉ की डिग्री भी हासिल की. कॉलेज के वक्त ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए और 2018 तक छात्र राजनीति में कूद गए. हिन्दू संगठनों बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद में भी अलग-अलग जिम्मेदारियां संभाली.

राजू दास स्वयं को नागा साधु भी कहते हैं. उनका कहना है कि हनुमानगढ़ी मंदिर में एक वक्त डेढ़ हजार से ज्यादा साधु निवास करते थे और वो निर्वाणी अखाड़ा से जुड़े थे. हनुमानगढ़ी में अखाड़े की चार पंथ के साधु रहते थे. बसंतिया, उज्जैनिया, हरद्वारी और सागरिया में इन्हें विभाजित किया जाता है. राजू दास उज्जैनिया पट्टी से ताल्लुक रखते हैं. ये पट्टियां देश में निर्वाणी अखाड़े से संबंधित मंदिरों का संचालन करती हैं.

लोकसभा चुनाव के बाद एक समीक्षा बैठक के दौरान अयोध्या के तत्कालीन डीएम से उनकी भिड़ंत हो गई तो उनका गनर वापस ले लिया गया. उनके दो सरकारी गनर पहले ही वापस हो चुके थे. प्रशासन ने उनके आपराधिक मामलों को वजह बताकर ये कार्रवाई की. हालांकि राजू दास ने सफाई में कहा कि उनके खिलाफ दो केस तो राजनीतिक विरोध प्रदर्शन से जुड़े हैं. जबकि एक साधु की गलतफहमी से उनके खिलाफ दर्ज किया गया था.

इससे पहले पठान फिल्म में दीपिका के भगवा बिकिनी पहनकर शाहरुख खान के साथ डांस को लेकर मचे बवाल के बाद ये फिल्म दिखाने वाले हर सिनेमाघर को फूंक देने की चेतावनी दी. रामचरित मानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के आग उगलते बयानों के बाद उनकी गर्दन काटने वाले को इनाम देने की वकालत की. 

दरअसल, अयोध्या हनुमानगढ़ी में रजिस्टर्ड पंचायती संस्थान है. अखिल भारतीय श्री पंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़े का मुख्यालय भी हनुमानगढ़ी है. यह हिंदू धर्म के तीन महत्वपूर्ण वैष्णव अखाड़ों में से एक माना जाता है. अयोध्या में इस अखाड़े में 700 से 1000 के करीब साधु हैं. हनुमानगढ़ी की चार पट्टियों में नागा साधु रहते हैं.

हनुमानगढ़ी के प्रमुख महंत को गद्दीनशीं महंत बोलते हैं, जिनके प्रमुख के सागरिया पट्टी के प्रेम दास हैं.इन चार पट्टियों में से एक बसंतिया पट्टी है, जिसके महंत संत राम दास हैं और वो ही राजू दास के गुरु हैं. हनुमान गढ़ी की पंचायती व्यवस्था में राजू दास उज्जैनिया पट्टी के प्रमुख हैं.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, गद्दी संभालने के बाद प्रेमदास ने हनुमानगढ़ी के गर्भ गृह की चौखट पर सिर रखकर शपथ ली थी. बिना दुर्भावना के साथ नागा संतों को साथ लेकर चलेंगे और धर्म की रक्षा करेंगे. हनुमानगढ़ी की परंपरा के अनुसार, गद्दी संभालने के बाद महंत को हनुमानगढ़ी की 52 एकड़ के दायरे में ही रहना होता है. 

राजूदास भाजपा से टिकट की दावेदारी भी जताते रहे हैं.लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उन्होंने जोर आजमाइश की है. लल्लू सिंह की हार के बाद आगे अयोध्या में राजनीतिक शून्यता भरने के लिए उभरते चेहरों में राजूदास भी हैं. 

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