Uttarkashi Tunnel Collapse: सुरंग में मोटी पाइपों के सहारे मजदूरों को बचाने का प्लान, ऐसे चलेगा रेस्क्यू ऑपरेशन
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Uttarkashi Tunnel Collapse: सुरंग में मोटी पाइपों के सहारे मजदूरों को बचाने का प्लान, ऐसे चलेगा रेस्क्यू ऑपरेशन

Uttarakhand News: मजदूरों को पाइपलाइन के जरिए खाना भेजा गया. वहीं सुरंग से मलबा हटाने का काम भी लगातार जारी है. उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में चार धाम ऑल वेदर राजमार्ग परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था.

Uttarakhand Uttarkashi Tunnel Collapse

राम अनुज/उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा डंडालगांव सुरंग में 2 दिनों से फंसे 40 मजदूरों को बचाने का प्लान तैयार हो गया है. मलबे के बीच 900 मिमी मोटी पाइप डालकर उसी से मजदूरों को बचाने का रेस्क्यू प्लान तैयार किया गया है, क्योंकि मलबा बार बार गिरने से सीधे मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश नाकाम रही है. अधिकारियों का कहना है कि कि 900 मिलीमीटर एमएम की पाइप को सुरंग के अंदर ड्रिलिंग करके मलबे में डाला जाएगा. इसी पाइप से सरकते हुए मजदूर सुरंग से बाहर आ सकेंगे. इन पाइपों को ड्रिलिंग मशीन के जरिए अंदर डालने के लिए घटनास्थल पर लाया गया है. ड्रिलिंग मशीन के लिए प्लेटफॉर्म बनाया गया है. 

उत्तरकाशी यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के पास निर्माणाधीन सिलक्यारा टर्नल में कल सुबह (13 नवंबर) करीब 5 बजे टनल का लगभग 50 से 70 मीटर हिस्सा टूट गया था. इसके कारण टनल के अंदर करीब 40 मजदूर फंसे हुए हैं. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए टनल हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर जारी है. बता दें कि इस टनल हादसे को 36 घंटों से ज्यादा का समय बीच चुका है. लगातार गिर रहा मलबा परेशानी बढ़ा रहा है. आज शाम तक गुड न्यूज मिल सकती है. सुरंग के पास एक अस्थायी अस्पताल बनाया गया है, जिसमें छह बेड का अस्पताल स्थापित किए गए हैं. मौके पर चौबीसों घंटे मेडिकल टीमों सहित 10 एम्बुलेंस को तैनात किया गया है.

गाजियाबाद, हरिद्वार से भी मंगाई जा रही नई मशीन
देहरादून उत्तरकाशी टनल के अंदर पहुंची जी मीडिया की टीम ने टनल का जायजा लिया. टनल में लगातार में रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. टनल में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश हो रही है. एक बार फिर से टनल में मलबा आने की बात सामने आई है. अब गाजियाबाद, हरिद्वार से भी नई मशीन मंगाई जा रही है. ड्रिल के जरिए फंसे मजदूर तक पहुंचाने की कोशिश है. पिछले 36 घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. उत्तरकाशी टनल में चल रहे ऑपरेशन में बदलाव किया गया है. अब ड्रिल मशीन का की मदद ली जाएगी. टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचाने के लिए ड्रिल मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा. 

सभी को सुरक्षित बचाना है प्राथमिकता: सीएम धामी
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रेलमंत्री ने भी इस संबंध में हमसे बात की है.  प्रधानमंत्री ने बचाव और राहत कार्यों के संबंध में विस्तार से जानकारी लेते हुए प्रदेश सरकार को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है. सीएम धामी ने अपने सोशल मीडिया X पर लिखा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जीजी ने दूरभाष के माध्यम से सिल्क्यारा के पास निर्माणाधीन टनल में हुई दुर्घटना में फंसे श्रमिकों की वस्तुस्थिति की जानकारी ली.

इस दौरान टनल में फंसे हुए लोगों को सकुशल बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे राहत एवं बचाव कार्यों से अवगत कराया. सीएम धामी ने स्वयं भी घटना स्थल का स्थलीय निरीक्षण किया और बचाव कार्य के लिये आवश्यक उपकरणों की अतिशीघ्र आपूर्ति हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया. सुरंग के अंदर फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें जल्द बाहर निकालने की पूरी कोशिश की जा रही है. रेस्क्यू ऑपरेशन में ग्राउंड जीरो पर स्थानीय प्रशासन की सहायता हेतु केंद्रीय एजेंसियां और एक्सपर्ट भी तैनात हैं.

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ऑल वेदर सदल टनल का निर्माण कार्य नवयुग कंपनी कर रही है. जिसकी रेख देख NHIDCL कम्पनी के द्वारा हो रहा है. जिला प्रशासन की टीम एसडीआरएफ ,पैरामिलिट्री एनडीआरएफ रेस्कयू कर रही है. जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला भी टीम के साथ अंदर टर्नल में गए और मौके का जायजा लिया. सुरंग के अंदर सभी मजदूर सुरक्षित बताए जा रहे हैं. मजदूरों को बाहर से पाइप के द्वारा ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है. पाइप के माध्यम से ही मजदूरों को खाना और पानी दिया जा रहा है. 

रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी युद्धस्तर पर 
सुरंग में भूस्खलन में 40 मजदूर पिछले 35 घंटे से अंदर फंसे हुए हैं. इन सभी मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है. मजदूरों से वॉकी- टॉकी के माध्यम से बात की जा रही है. मजदूरों ने बताया कि वे सभी अंदर सुरक्षित हैं. सुरंग के अंदर फंसने वाले मजदूर अलग-अलग राज्यों के हैं. इनमें से सबसे ज्यादा मजदूर झारखंड और उत्तर प्रदेश के हैं. मजदूरों में उत्तराखंड के पौड़ी व पिथौरागढ़ के 2 व बिहार के 4, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखंड के 15, उत्तरप्रदेश के 8, हिमाचल का 1 व ओडिशा के 5 मजदूर हैं. 

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