UPPCL Smart Meter: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्मार्ट मीटरों को लेकर बिजली उपभोक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कई उपभोक्ताओं ने शिकायत की है कि उनके स्मार्ट मीटरों में रीडिंग बढ़ाकर दिखाई जा रही है. पढ़िए पूरी खबर ...
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Smart Meter Updates: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्मार्ट मीटरों को लेकर बिजली उपभोक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कई उपभोक्ताओं ने शिकायत की है कि उनके स्मार्ट मीटरों में रीडिंग बढ़ाकर दिखाई जा रही है. जहां गोरखपुर के लोहिया एन्क्लेव में रहने वाली उपभोक्ता स्मिता चतुर्वेदी ने बताया कि उनके दो किलोवाट के कनेक्शन पर हाल ही में स्मार्ट मीटर लगाया गया. पहले के मीटर में 4380 यूनिट रीडिंग थी. लेकिन जब इस मीटर की जांच परीक्षण खंड में की गई. तो उसमें 11,862 यूनिट रीडिंग पाई गई. यानी दोनों रिपोर्टों में 7,482 यूनिट का अंतर था. इसके आधार पर मीटर में करीब 45,000 रुपये का अंतर पाया गया.
एक और मामला आया सामने
इसी तरह लोहिया एन्क्लेव के विपिन कुमार श्रीवास्तव के दो किलोवाट के कनेक्शन पर भी स्मार्ट मीटर लगाया गया था. पुराने मीटर में 8,250 यूनिट की रीडिंग थी. लेकिन जांच के दौरान उसमें 6,325 यूनिट रीडिंग पाई गई. इस रिपोर्ट के अनुसार उपभोक्ता के खाते में 12,000 रुपये से अधिक का क्रेडिट भी जमा है.
बिजली निगम ने मांगा
इन दोनों मामलों का विवरण बिजली निगम की ओर से स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को भेजा गया है. इसके साथ ही पांच और कनेक्शनों की जांच रिपोर्ट भी भेजी गई है. बिजली निगम के परीक्षण खंड के अधिशासी अभियंता राजन कुमार ने इस मामले को प्रक्रिया की अवहेलना और अनैतिक कार्यों का मामला बताते हुए कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा है.
मीटर बदलते समय अनियमितता का आरोप
पुराने मीटर बदलते समय रीडिंग में अनियमितता का आरोप लगाया गया है. कई बार अधिक रीडिंग स्टोर की जाती है. फिर लेन-देन करके उसे कम कर दिया जाता है. कुछ मामलों में जब जांच के दौरान अधिक रीडिंग मिलती है. तो उपभोक्ताओं से बिल की वसूली की जाती है. हालांकि, ज्यादातर मामलों में पुरानी रीडिंग के आधार पर बिल तैयार कर मामले को खत्म कर दिया जाता है.
कंपनी ने बताया
इस पर जीनस कंपनी के मैनेजर राकेश सिंह ने कहा कि जब मीटर बदला जाता है. तो पुरानी रीडिंग की फोटो और वीडियो ली जाती है और उसी आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि जांच में रीडिंग में वृद्धि या कमी पाई जाती है. तो इसके बारे में कंपनी कुछ नहीं कह सकती. क्योंकि वे सभी प्रक्रियाओं का पालन करते हैं.
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