शुंभ-निशुंभ का वध कर यहां खंभ में विराजमान हुईं मां चंडी, धागा-चुनरी बांधने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं
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शुंभ-निशुंभ का वध कर यहां खंभ में विराजमान हुईं मां चंडी, धागा-चुनरी बांधने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

Navratri 2024: नील पर्वत पर स्थित मां चंडी देवी के मंदिर में शारदीय नवरात्रों के दिनों में भक्तों में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. देश के अन्य राज्यों से भक्त अपनी मुराद लेकर माँ चंडी मंदिर में दर्शन करने धर्मनगरी हरिद्वार आते हैं.

Chandi Devi Mandir Haridwar

Chandi Devi Mandir Haridwar: देश के प्रसिद्ध सिद्ध पीठों में से एक मां चंडी देवी की महिमा का गुणगान विश्व भर में किया जाता है.  नील पर्वत पर स्थित मां चंडी देवी के मंदिर में शारदीय नवरात्रों के दिनों में भक्तों में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. देश के अन्य राज्यों से भक्त अपनी मुराद लेकर माँ चंडी मंदिर में दर्शन करने धर्मनगरी हरिद्वार आते हैं और माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. मंदिर की मान्यता है कि मां चंडी के दर्शन मात्र से ही लोगों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

चंडी रूप धारण कर किया राक्षसों का वध 
हरिद्वार के नील पर्वत पर मां चंडी देवी दो रूपों में विराजमान हैं. खंभ के रूप में रुद्र चंडी और मंगल चंडी के रूप में विराजमान है. ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में जब पृथ्वी लोक से लेकर देवलोक तक शुंभ निशुंभ राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया था. तब देवी देवताओं के आवाहन पर मां भगवती ने रुद्र चंडी का रूप धारण किया और दोनों राक्षसों का वध करके उनके अत्याचार से सभी देवी देवताओं को मुक्ति दिलाई थी.

नील पर्वत पर खंभ के  रूप में विराजमान
उसके बाद भक्तों के कल्याण के लिए माँ चंडी देवी हरिद्वार में नील पर्वत पर खम्ब के रूप में विराजमान हो गईं. तब से लेकर आज तक मां अपने भक्तों की मुराद पूरी कर अपने भक्तों का कल्याण करती आ रही हैं. इसी लिए भक्त दूरदराज से यहां माता के दर्शन करने आते हैं और जिसकी जैसी मन्नत होती है वह मांगकर चुनरी बांधते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद चुनरी खोलने दोबारा आते हैं.

धागा-चुनरी बांधने की प्रथा
शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन चंडी देवी मंदिर में अलग ही भक्तों की रौनक देखने को मिलती है. दूर दूर से आने वाले श्रद्धालु माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. अपनी मन्नत को पूरी करने के लिए मंदिर में मन्नत का धागा चुनरी बांधने की भी प्रथा है. इसी लिए यहां पर माता के भक्त दर्शन करने आते हैं.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं,वास्तुशास्त्र पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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