Supreme Court On UP Madrasa Act: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है जिसमें यूपी मदरसा एक्ट पर इलाहाबाद कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया गया है.
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UP Madrasa Act Latest News: यूपी मदरसा एक्ट की संवैधानिकता को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सुनाया गया है. यूपी मदरसा एक्ट (UP Madrasa Act) को असंवैधानिक घोषित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है. इस संबंध में खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की जिसमें यूपी मदरसा एक्ट पर इलाहाबाद कोर्ट का फैसला रद्द करते हुए मदरसा एक्ट की संवैधानिकता को बरकरार रखी है.
मदरसों और छात्रों की संख्या
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में मदरसों की कुल संख्या लगभग 23,500 है और इनमें 16,513 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं यानी ये सभी रजिस्टर्ड हैं. इसके अलावा लगभग गैर मान्यता प्राप्त 8000 मदरसे हैं. मान्यता प्राप्त मदरसों में ऐसे 560 मदरसे भी है जो एडेड हैं यानी 560 मदरसों का संचालन सरकारी धन से किया जा रहा है.से हो रहा है. यूपी के मदरसों में 17 लाख छात्र हैं.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और मदरसों का संचालन
मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते इस कानून को राज्य सरकार द्वारा पास किया गया था. याचिका में हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए इसे मनमाना बताया गया है. वैसे मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाई थी जिसके कारण मदरसा एक्ट के तहत मदरसो में पढ़ाई अभी चल रही है. अब सुप्रीम कोर्ट को मदरसा एक्ट की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है.
मूल अधिकारों का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की उस दलील को रद्द कर दिया है कि मदरसा एक्ट सेक्युलरिज्म के सिद्धांत के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी कानून अगर मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है या फिर अगर सरकार ऐसा कोई कानून बनाती है तो उसके क्षेत्राधिकार के बाहर है, तो उसी आधार पर कानून को रद्द किया जा सकता है.
फाजिल और कामिल डिग्री वाले हिस्से को रद्द कर दिया है
सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा कानून के फाजिल और कामिल डिग्री वाले हिस्से को रद्द कर दिया है. इसे यूजीसी के प्रावधानों के खिलाफ बताया है और उसके दिशानिर्देशों का पालन करना होगा. साथ ही यह भी अदालत ने कहा है कि सरकार मदरसों में अच्छी आधुनिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए नियमों और दिशानिर्देश लागू कर सकती है, लेकिन उसके प्रशासनिक कामकाज में दखल नहीं दे सकती.
17 लाख मदरसा छात्र व 10 हजार शिक्षक
हाई कोर्ट के आदेश पर 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई थी.चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारडीवाला के साथ ही मनोज मिश्रा की बेंच ने विस्तार से मामले पर बाद में सुनवाई की. इस तरह पिछले महीने 22 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रखा था. हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मदरसा संचालकों ने कहा कि इससे 17 लाख मदरसा छात्र व 10 हजार शिक्षक पर असर पड़ेगा. उनकी दलील यह थी कि मजहबी शिक्षा के साथ मदरसों में दूसरे विषय भी पढ़ाए जाते हैं. यहां वही कोर्स कराए जाते हैं जिसको राज्य सरकार द्वारा मान्यता दी जाती है.
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